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नशे के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए तस्करों के प्लांटेशन और ट्रांसपोर्टिंग नेटवर्क को ध्वस्त करेगी पुलिस! जानें, क्या है एक्शन प्लान - Drug Smuggling Network - DRUG SMUGGLING NETWORK

Police action plan on drug. झारखंड पुलिस ने नशे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नशे के तस्करों के प्लांटेशन और ट्रांसपोर्टिंग नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए पुलिस ने नया एक्शन प्लान बनाया है. इसके जरिए नशे के सौदागरों पर नकेल लगाई जा सकेगी.

Jharkhand police action plan on drug smuggling network
बैठक करते झारखंड डीजीपी (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 8, 2024, 8:32 PM IST

रांचीः पूरे झारखंड में नशे के तस्करों का जाल लगातार फैल रहा है. पुलिस की कार्रवाई भी लगातार हो रही है लेकिन नशे के तस्करों पर ब्रेक नहीं लग रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि अब तक जो भी गिरफ्तारियां पुलिस के द्वारा की जा रही है वे मात्र कुरियर भर हैं. ऐसे में पुलिस मुख्यालय के द्वारा सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को नई रणनीति से नशे के नेटवर्क को ध्वस्त करने की हिदायत दी गई है.

जानकारी देते सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता (ETV Bharat)

अफीम की फसल कौन लगा रहा पहचान करें

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि नशे के तस्करों के खिलाफ करवाई को लेकर पुलिस मुख्यालय बेहद सख्त कार्रवाई के मूड में है. नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हुई बैठक में डीजीपी ने स्पष्ट निर्देश दिया है जल्द से जल्द नशे के तस्करों पर ब्रेक लगाई जाए. झारखंड डीजीपी ने बड़े सख्त लहजे में कहा है कि जिन थाना क्षेत्रों में अफीम की फसल उगाई जा रही वहां के थाना प्रभारी को दंडित किया जाएगा.

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार अब तक जो भी कार्रवाई की जा रही है उसमें जो लोग पकड़े जा रहे हैं वह मात्र कुरियर हैं, उनमें खलासी और ड्राइवर शामिल हैं. नशे के खिलाफ अगर बेहतर कार्रवाई करनी है तो कुरियर के अलावा इसके पीछे जो सफेदपोश तस्कर हैं, उन्हें गिरफ्तार करना होगा. अफीम की फसल उगाना लोकल लोगों के बस की बात नहीं है. ऐसे में सभी थाना प्रभारी को यह पता लगाना जरूरी है कि आखिर अफीम की फसल लगाने में कौन ग्रामीणों की मदद कर रहा है, बाहर राज्य से आने वाले लोगों को पकड़ना होगा.

नशे के अलग-अलग आयाम हैं

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार अगर झारखंड में नशे की तस्करी की बात करें तो आप इसे चार भागों में बांट सकते हैं. पहला भाग है कल्टीवेशन यानी अफीम की खेती जो झारखंड के कई जिलों में की जाती है तैयार अफीम को अलग-अलग राज्यों में तस्करी के माध्यम से भेजा जाता है. दूसरा भाग है ट्रांसपोर्टेशन यानी परिवहन इसके तहत झारखंड के अलग-अलग जिलों से तैयार अफीम को निकाल कर दूसरे राज्यों में विभिन्न तरह के ड्रग्स बनाने के लिए तस्करी किया जाता है. किसी के जैसे गांजा की खेती भी ओडिशा में की जाती है लेकिन उसका ट्रांसपोर्टेशन झारखंड के रास्ते से होता है. वहीं तीसरा जो सबसे खतरनाक है वह छोटी-छोटी पुड़िया में मौजूद ड्रग्स है जो शहरी क्षेत्र में बहुत ज्यादा प्रभाव में है, चौथा है मैन्युफैक्चर ड्रग्स जो मेडिसिन प्रोडक्ट्स से बनाया जाता है.

चारों पर बिना ब्रेक नहीं रुकेगा नशे का कारोबार

सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार जब तक तस्करी के चारों आयाम पर ब्रेक नहीं लगेगा राज्य से नशे के कारोबार पर ब्रेक लगाना बेहद मुश्किल है. यही वजह है कि सबसे पहले अफीम की फसल पर ब्रेक लगाने के लिए डीजीपी अजय कुमार सिंह के द्वारा सभी थाना प्रभारी को स्पस्ट निर्देश दिया गया है कि वह किसी भी हाल में अपने-अपने थाना क्षेत्र में अफीम की खेती न होने दे. तस्करी करने वाले खलासी और ड्राइवर को जेल भेजकर पुलिस अपनी जिम्मेदारी को खत्म ना समझे. राज्य के बाहर से आने वाले तस्करों पर नकेल की सजा है कि उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए साथ ही जो लोग बाहर के राज्यों से बैठकर झारखंड में नशे की तस्करी करवा रहे हैं उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए. नशे पर ब्रेक लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय के द्वारा यह सभी निर्देश जिलों के एसपी को दिए गए हैं, देखना है अब इस मामले में पुलिस किस तरह की कार्रवाई करती है.

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