रांची: अगस्त महीने के पहले तीन तक दिन राज्यभर में हुई जोरदार और लगातार बारिश ने झारखंड को सुखाड़ वाली स्थिति से बाहर निकाल दिया है. मौसम केंद्र रांची से मिली वर्षापात के 31 जुलाई के आंकड़े की तुलना अगर 05 जुलाई तक के वर्षापात के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. इससे यह साफ है कि कैसे इन तीन-चार दिन की बारिश ने लगातार तीसरे वर्ष सुखाड़ की ओर बढ़ते झारखंड को सामान्य मानसूनी वर्षापात वाले राज्यों की सूची में ला दिया है.
मौसम केंद्र रांची के 31 जुलाई के आंकड़े के अनुसार राज्य के सभी 24 जिलों में सामान्य से कम मानसूनी वर्षा हुई थी. 01 जून से 31 जुलाई तक राज्य में सामान्यत होने वाली औसत वर्षा 508.2 एमएम की जगह महज 295.9 एमएम बारिश ही हुई. यह सामान्य से 42% कम था. राज्य के चतरा, पाकुड़, पलामू, गढ़वा, चतरा जैसे कई जिलों की स्थिति बेहद खराब थी. लेकिन पश्चिम बंगाल के ऊपर बने कम दबाव के क्षेत्र और उस सिस्टम से हुई भारी से अत्यंत भारी वर्षा से राज्य में वर्षापात का आंकड़ा पूरी तरह बदल गया.
झारखंड में वर्षापात के ताजा आंकड़ें बताते हैं कि 05 अगस्त 2024 तक सामान्य औसत वर्षापात 559.8 mm की तुलना में 455.3 mm बारिश हुई है. इस तरह इन पांच दिनों में ही 159.41 mm वर्षा हो जाने से राज्य के सभी 24 जिले सामान्य वर्षापात वाले जिलों में आ गया. औसत से कम वर्षा का प्रतिशत घटकर माइनस 19% रह गया गया. सामान्य वर्षापात से माइनस-प्लस 19% वर्षापात को सामान्य वर्षापात की श्रेणी में रखा जाता है.
खरीफ फसलों के आच्छादन का रकबा बढ़ा
राज्य में अगस्त तक शुरुआती दिनों में हुई झमाझम बारिश का असर यह हुआ कि राज्य में पांच दिन में ही खरीफ फसलों के आच्छादन 01 लाख 07 हजार हेक्टेयर से ज्यादा बढ़ गया. राज्य में सबसे ज्यादा 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाई जाती है. 31 जुलाई को जहां 03 लाख 77 हजार 610 हेक्टेयर में धान का आच्छादन हुआ था. वह अब बढ़कर 04 लाख 55 हजार 111 हेक्टेयर हो गया है.