रांची: बोरियो के झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक रहे लोबिन हेंब्रम की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने स्पीकर ट्रिब्यूनल के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायाधीश अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने लोबिन हेंब्रम की याचिका पर सुनवाई के दौरान विधानसभा के सचिव को केस रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.
लोबिन हेंब्रम के अधिवक्ता अनुज कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि कोर्ट ने केस को एडमिट कर लिया है. इस मामले में शिबू सोरेन को भी पार्टी बनाया गया है. उन्होंने बताया कि लोबिन हेंब्रम को पार्टी स्तर पर किसी तरह का नोटिस नहीं मिला था. इसके बावजूद स्पीकर के ट्रिब्यूनल में सुनवाई चली और उनके क्लाइंट की सदस्यता रद्द कर दी गई. विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने दलील पेश की.
लोबिन हेंब्रम के अधिवक्ता के मुताबिक, किसी विशेष दबाव में आकर स्पीकर ने उनके क्लाइंट के खिलाफ यह फैसला सुनाया है. स्पीकर ट्रिब्यूनल के फैसले से पहले ही मानसून सत्र की घोषणा हो चुकी थी. लोबिन हेंब्रम ने अपने क्षेत्र से जुड़े दो सवाल सभा पटेल पर रखने की तैयारी की थी. इसकी अनुमति भी मिल गई थी. इसी बीच आनन-फानन में ट्रिब्यूनल ने सुनवाई करते हुए विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि बिशुनपुर के झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने भी पार्टी के आदेश की अवहेलना करते हुए चुनाव लड़ा था, लेकिन उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी. जबकि चमरा लिंडा पूर्व में भी पार्टी स्टैंड से अलग जाकर चुनाव लड़ चुके हैं. लोबिन हेंब्रम की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि पार्टी संविधान के मुताबिक पार्टी से निष्कासित करने के लिए केंद्रीय कमेटी की सहमति जरूरी है, लेकिन उनके मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ.