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खराब मानसून से झारखंड के किसान निराश, अब तक 22 जिलों में सामान्य से कम बारिश, रबी के साथ खरीफ की फसलों पर भी आफत - Effect of monsoon on agriculture

Effect of monsoon on agriculture. झारखंड खराब मानसून के कारण लगातार तीसरे वर्ष खेती में पिछड़ता दिख रहा है. अभी तक महज 10% ही धान की रोपनी हो सकी है. राज्य में खरीफ की फसलों की स्थिति भी ठीक नहीं है. अब तक राज्य के 22 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है.

Effect of monsoon on agriculture
खेती करते किसान (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 17, 2024, 7:25 PM IST

रांची: झारखंड में वर्ष 2024 ऐसा लगातार तीसरा वर्ष साबित होने जा रहा है जब राज्य में कृषि पिछड़ गयी है. देर से आए मानसून और औसत से लगभग आधी बारिश से वर्षाजल पर आधारित राज्य की खेतीबाड़ी अभी से ही पिछड़ सी गई है. कृषि निदेशालय से जारी ताजा अपडेट के अनुसार राज्य में अभी तक सिर्फ लक्षित क्षेत्रफल के सिर्फ 9.82% में ही खरीफ फसल का आच्छादन (कवरेज) हो सका है. 16 जुलाई तक धान का आच्छादन 71 हजार 351 हेक्टेयर में, मक्का का आच्छादन 86 हजार 406 हेक्टेयर,दलहन का आच्छादन 74 हजार हेक्टेयर,तिलहन का आच्छादन 10 हजार 257 हेक्टेयर और मोटे अनाज एवं अन्य का आच्छादन 04 हजार 457 हेक्टेयर में हो सका है.

राज्य के 22 जिले में सामान्य से कम बारिश, पांच जिलों की स्थिति बेहद खराब

राज्य में वर्षा जल पर ही खेती मुख्य रूप से आधारित है. ऐसे में पहले सामान्य से काफी देर से राज्य में मानसून की दस्तक और फिर अपेक्षा से काफी कम वर्षा ने राज्य में कृषि को काफी प्रभावित किया है. राज्य में अभी तक सामान्य 359.8MM वर्षा की जगह 188.1MM ही वर्षा हुई है. राज्य में गोड्डा और साहिबगंज को छोड़ अन्य सभी जिलों में सामान्य से कम वर्षा हुई है. इसमें से भी चतरा, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और पाकुड़ ऐसे पांच जिले हैं जहां औसत से काफी कम (माइनस 61 से माइनस 68%) वर्षा हुई है. वर्षा आधारित खेती में मानसून की कम वर्षा की वजह से आच्छादन काफी कम हुआ है.

2022 और 2023 में भी लक्ष्य से पीछे रह गया था खरीफ का आच्छादन

अगर राज्य में खरीफ फसल के आच्छादन की बात करें तो वर्ष 2022 और 2023 में भी मानसून की बेरुखी से झारखंड लक्ष्य से काफी पीछे रह गया था.
राज्य में 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ फसल की खेती का लक्ष्य 2022 से रखा जा रहा है, जिसमें अकेले 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का हिस्सा है.

2022 में लक्ष्य का 50.63% यानी 14 लाख 31 हजार 609 हेक्टेयर में ही खेती की जा सकी थी. उस वर्ष धान की लक्षित 18 लाख रकबा में 855084 (47.50%) हेक्टेयर में ही आच्छादन हो सका था.

2023 में भी खरीफ की खेती में पीछे रह गया था झारखंड

2022 की तरह वर्ष 2023 में भी मानूसन ने झारखंड को धोखा दिया था तब राज्य में वर्ष 2022 की अपेक्षा खरीफ फसलों के आच्छादन में थोड़ा सुधार जरूर हुआ था बावजूद इसके लक्षित 28 लाख हेक्टेयर में से 11 लाख हेक्टेयर खेती योग्य जमीन में आच्छादन नहीं हो सका था.

स्थिति में सुधार की उम्मीद-कृषि निदेशालय

राज्य के उप कृषि निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने राज्य में अभी तक बेहद कम खरीफ फसल के आच्छादन के सवाल पर कहा कि राज्य में देर से आये मानसून और जून महीने में बेहद कम वर्षापात से अभी आच्छादन बहुत कम हुआ है. मुकेश सिन्हा ने ETV BHARAT को बताया कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान से यह उम्मीद बनती है कि आने वाले दिनों में अच्छी वर्षा पूरे राज्य में होगी और आच्छादन की स्थिति में सुधार होगा.

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