रांची: झारखंड में वर्ष 2024 ऐसा लगातार तीसरा वर्ष साबित होने जा रहा है जब राज्य में कृषि पिछड़ गयी है. देर से आए मानसून और औसत से लगभग आधी बारिश से वर्षाजल पर आधारित राज्य की खेतीबाड़ी अभी से ही पिछड़ सी गई है. कृषि निदेशालय से जारी ताजा अपडेट के अनुसार राज्य में अभी तक सिर्फ लक्षित क्षेत्रफल के सिर्फ 9.82% में ही खरीफ फसल का आच्छादन (कवरेज) हो सका है. 16 जुलाई तक धान का आच्छादन 71 हजार 351 हेक्टेयर में, मक्का का आच्छादन 86 हजार 406 हेक्टेयर,दलहन का आच्छादन 74 हजार हेक्टेयर,तिलहन का आच्छादन 10 हजार 257 हेक्टेयर और मोटे अनाज एवं अन्य का आच्छादन 04 हजार 457 हेक्टेयर में हो सका है.
राज्य के 22 जिले में सामान्य से कम बारिश, पांच जिलों की स्थिति बेहद खराब
राज्य में वर्षा जल पर ही खेती मुख्य रूप से आधारित है. ऐसे में पहले सामान्य से काफी देर से राज्य में मानसून की दस्तक और फिर अपेक्षा से काफी कम वर्षा ने राज्य में कृषि को काफी प्रभावित किया है. राज्य में अभी तक सामान्य 359.8MM वर्षा की जगह 188.1MM ही वर्षा हुई है. राज्य में गोड्डा और साहिबगंज को छोड़ अन्य सभी जिलों में सामान्य से कम वर्षा हुई है. इसमें से भी चतरा, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और पाकुड़ ऐसे पांच जिले हैं जहां औसत से काफी कम (माइनस 61 से माइनस 68%) वर्षा हुई है. वर्षा आधारित खेती में मानसून की कम वर्षा की वजह से आच्छादन काफी कम हुआ है.
2022 और 2023 में भी लक्ष्य से पीछे रह गया था खरीफ का आच्छादन
अगर राज्य में खरीफ फसल के आच्छादन की बात करें तो वर्ष 2022 और 2023 में भी मानसून की बेरुखी से झारखंड लक्ष्य से काफी पीछे रह गया था.
राज्य में 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ फसल की खेती का लक्ष्य 2022 से रखा जा रहा है, जिसमें अकेले 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का हिस्सा है.
2022 में लक्ष्य का 50.63% यानी 14 लाख 31 हजार 609 हेक्टेयर में ही खेती की जा सकी थी. उस वर्ष धान की लक्षित 18 लाख रकबा में 855084 (47.50%) हेक्टेयर में ही आच्छादन हो सका था.
2023 में भी खरीफ की खेती में पीछे रह गया था झारखंड