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डायल 112 के रिस्पांस टाइम और ट्रैकिंग सिस्टम की होगी समीक्षा, लापरवाही मिली तो नपेंगे पुलिस अफसर - Dial 112

Jharkhand police helpline number.डीजीपी अनुराग गुप्ता डायल 112 के रिस्पांस टाइम को लेकर समीक्षा करने वाले हैं. झारखंड पुलिस का उद्देश्य जनता को फौरन सहायता पहुंचाने का है. इस दौरान डीजीपी ट्रैकिंग सिस्टम की भी जानकारी लेंगे.

Dial 112 Response Time
रांची में पुलिस कंट्रोल रूम और डायल 112 का क्यूआर. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 18, 2024, 1:26 PM IST

रांचीः झारखंड में पुलिस की रिस्पांस टाइम और डायल 112 को बेहतर बनाने के लिए पिछले 2 महीने के भीतर कई कदम उठाए गए हैं. दो महीने के भीतर डायल 112 के रिस्पांस में कई तरह के बदलाव किए गए हैं, जिसका फायदा आम लोगों को मिला है. अब डीजीपी अनुराग गुप्ता इसे लेकर समीक्षा करेंगे. समीक्षा के दौरान अगर लापरवाही पाई गई तो कई पुलिस अफसर नप भी सकते हैं.

बेहद महत्वपूर्ण है दोनों हेल्पलाइन

किसी भी संकट की स्थिति में लोग डायल 100 और डायल 112 पर कॉल करते हैं. पुलिस की दोनों हेल्पलाइन नंबर बेहद कारगर हैं. दोनों हेल्पलाइन नंबर 24x7 चालू रहता है. आम लोग किसी भी समय फोन कर पुलिस की सहायता प्राप्त कर सकते हैं.

डायल 112 को बेहतर बनाने की कवायद

ऐसे में जरूरत है कि 112 के रिस्पांस समय को और बेहतर किया जाए. 112 के रिस्पांस टाइम को बेहतर करने के लिए तमाम तरह के तकनीकी उपकरण कंट्रोल रूम में लगाए गए हैं. 112 को लेकर अब डीजीपी अनुराग गुप्ता मंगलवार को समीक्षा करेंगे. समीक्षा के दौरान अगर किसी पुलिस अफसर या पुलिसकर्मी की लापरवाही सामने आयी तो उसपर कार्रवाई भी हो सकती है.

पुलिस रिस्पांस टाइम की होगी समीक्षा

हाल में ही रांची पुलिस के द्वारा डायल 112 का क्यूआर कोड भी जारी किया गया है. हजारों क्यूआर कोड रांची के विभिन्न ऑटो, बस और सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए हैं. क्यूआर कोड में स्कैन करने के साथ ही वह डायल 112 से कनेक्ट होता है. पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 20 अगस्त को डीजीपी डायल 112 के क्यूआर कोड के रिस्पांस के साथ-साथ डायल 112 के डायरेक्टर सेवा की भी समीक्षा करेंगे.

मोबाइल नेटवर्क को किया गया दुरुस्त

इससे पूर्व डायल 112 को लेकर सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मोबाइल कंपनियों के नेटवर्क को लेकर था.लगातार शिकायतें आ रही थी रांची के कई इलाकों में नेटवर्क काम नहीं करता है. ऐसे में सूचना मिलने पर भी पीसीआर और टाइगर के जवान रास्ता भटक जाते हैं और घटनास्थल तक जल्दी नहीं पहुंच पाते हैं. इस मामले को सुलझाने के लिए सभी नेटवर्क ऑपरेटर को बुलाकर उन्हें नेटवर्क को दुरुस्त करने का निर्देश दिया गया था.

दरअसल, जब भी डायल 112 पर कॉल आता है तो कॉलर का लोकेशन भी आ जाता है. उसी लोकेशन के आधार पर पीसीआर या फिर टाइगर के जवान फोन करने वाले की मदद के लिए मौके पर पहुंचते हैं, लेकिन अगर नेटवर्क सही न हो तो फिर लोकेशन नहीं मिल पाता है.

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