गिरिडीह:झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में मतदान से पहले दिवंगत सांसद रीतलाल प्रसाद वर्मा के पुत्र प्रणव वर्मा झारखंड मुक्ति मोर्चा ज्वाइन कर चुके हैं. प्रणव के अलावा भाजपाई दारा हाजरा भी अब हरा चोला ओढ़ चुके हैं. मतदान से पहले जमुआ विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले दोनों नेताओं का भाजपा छोड़ना चुनाव में कितना असर डाल सकता है. जमुआ के अलावा गांडेय और धनवार सीट पर क्या असर पड़ सकता है. क्या गांडेय सीट पर कल्पना मुर्मू सोरेन और जमुआ से केदार हाजरा की जीत सुनिश्चित करने के लिए ही कुशवाहा जाती से आनेवाले प्रणव को झामुमो में शामिल करवाया गया. इस तरह की बातों की चर्चा लोग कर रहे हैं.
प्रणव वर्मा कुशवाहा जाति के बड़े नेता माने जाते हैं. प्रणव की पकड़ जमुआ के अलावा गांडेय में भी है. गांडेय से भाजपा ने जिस मुनिया देवी को उम्मीदवार बनाया है, वह न सिर्फ कुशवाहा जाति से आती हैं बल्कि प्रणव की रिश्तेदार भी लगती हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री के समक्ष प्रणव को झामुमो में शामिल करवाया जाने को लोग कुशवाहा जाति के वोट से जोड़कर देख रहे हैं. लोग कहते हैं कि पार्टी छोड़ने के साथ ही जिस तरह से प्रणव ने भाजपा पर उपेक्षा का आरोप लगाया वह भी कुशवाहा जाति के वोटरों को झामुमो से जोड़ने की कवायद है. लोग कहते हैं कि प्रणव के आने से कुशवाहा समाज के वोट में सेंधमारी होगी जिसका फायदा झामुमो को जमुआ और गांडेय विधानसभा में मिल सकता है.
क्या कहते हैं जानकार
इस विषय पर राजनीतिक मामले के जानकार वरिष्ठ पत्रकार सूरज सिन्हा का कहना है कि प्रणव निश्चित तौर पर कुशवाहा समाज के नेता हैं और कुशवाहा समाज के वोटरों पर प्रभाव भी डाल सकते हैं. वहीं दारा हाजरा भाजपा के पुराने नेता हैं. दोनों के भाजपा छोड़ने से कुछ न कुछ असर पड़ सकता है. प्रणव के भाजपा छोड़ने का असर गांडेय में भी देखने को मिल सकता है. हालांकि भाजपा इस डैमेज को कंट्रोल करने में जुट गई है.
झामुमो ने किया सम्मान
इधर, इन दोनों नेताओं के झारखंड मुक्ति मोर्चा मैं ज्वाइन करने के बाद. सोमवार को इनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया. झामुमो के कार्यालय में आयोजित इस सम्मान समारोह में सदर विधायक सह गिरिडीह प्रत्याशी सुदिव्य कुमार, जमुआ विधायक सह जमुआ प्रत्याशी केदार हाजरा, जिलाध्यक्ष संजय सिंह समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे.
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