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Jharkhand Assembly Elections 2024: प्रणव-दारा का झामुमो में जाना, चुनाव पर कितना डालेगा असर? कल्पना-केदार के लिए JMM ने बनाई रणनीति

प्रणव वर्मा और दारा हाजरा भाजपा छोड़ झामुमो में शामिल हो गए हैं. इसका असर झारखंड विधानसभा चुनाव में कितना पड़ेगा, इस रिपोर्ट में जानिए.

Jharkhand Assembly Elections 2024
गुलदस्ता देकर पार्टी में स्वागतक करते सुदिव्य कुमार (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 5, 2024, 8:47 AM IST

गिरिडीह:झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में मतदान से पहले दिवंगत सांसद रीतलाल प्रसाद वर्मा के पुत्र प्रणव वर्मा झारखंड मुक्ति मोर्चा ज्वाइन कर चुके हैं. प्रणव के अलावा भाजपाई दारा हाजरा भी अब हरा चोला ओढ़ चुके हैं. मतदान से पहले जमुआ विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले दोनों नेताओं का भाजपा छोड़ना चुनाव में कितना असर डाल सकता है. जमुआ के अलावा गांडेय और धनवार सीट पर क्या असर पड़ सकता है. क्या गांडेय सीट पर कल्पना मुर्मू सोरेन और जमुआ से केदार हाजरा की जीत सुनिश्चित करने के लिए ही कुशवाहा जाती से आनेवाले प्रणव को झामुमो में शामिल करवाया गया. इस तरह की बातों की चर्चा लोग कर रहे हैं.

मीडिया से बात करते झामुमो नेता (ईटीवी भारत)

प्रणव वर्मा कुशवाहा जाति के बड़े नेता माने जाते हैं. प्रणव की पकड़ जमुआ के अलावा गांडेय में भी है. गांडेय से भाजपा ने जिस मुनिया देवी को उम्मीदवार बनाया है, वह न सिर्फ कुशवाहा जाति से आती हैं बल्कि प्रणव की रिश्तेदार भी लगती हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री के समक्ष प्रणव को झामुमो में शामिल करवाया जाने को लोग कुशवाहा जाति के वोट से जोड़कर देख रहे हैं. लोग कहते हैं कि पार्टी छोड़ने के साथ ही जिस तरह से प्रणव ने भाजपा पर उपेक्षा का आरोप लगाया वह भी कुशवाहा जाति के वोटरों को झामुमो से जोड़ने की कवायद है. लोग कहते हैं कि प्रणव के आने से कुशवाहा समाज के वोट में सेंधमारी होगी जिसका फायदा झामुमो को जमुआ और गांडेय विधानसभा में मिल सकता है.

क्या कहते हैं जानकार

इस विषय पर राजनीतिक मामले के जानकार वरिष्ठ पत्रकार सूरज सिन्हा का कहना है कि प्रणव निश्चित तौर पर कुशवाहा समाज के नेता हैं और कुशवाहा समाज के वोटरों पर प्रभाव भी डाल सकते हैं. वहीं दारा हाजरा भाजपा के पुराने नेता हैं. दोनों के भाजपा छोड़ने से कुछ न कुछ असर पड़ सकता है. प्रणव के भाजपा छोड़ने का असर गांडेय में भी देखने को मिल सकता है. हालांकि भाजपा इस डैमेज को कंट्रोल करने में जुट गई है.

झामुमो ने किया सम्मान

इधर, इन दोनों नेताओं के झारखंड मुक्ति मोर्चा मैं ज्वाइन करने के बाद. सोमवार को इनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया. झामुमो के कार्यालय में आयोजित इस सम्मान समारोह में सदर विधायक सह गिरिडीह प्रत्याशी सुदिव्य कुमार, जमुआ विधायक सह जमुआ प्रत्याशी केदार हाजरा, जिलाध्यक्ष संजय सिंह समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे.

भाजपा का जुमला है रोटी-बेटी और माटी: सुदिव्य

सुदिव्य कुमार का कहना है कि झारखंडी भूमि पुत्रों को अंतत या एहसास हो गया है कि माटी और जल जंगल जमीन की बात सिर्फ और सिर्फ झारखंड मुक्ति मोर्चा में ही हो सकती है. जिस तरह से 15 लाख रुपया वाला जुमला भारतीय जनता पार्टी ने बोला था उसी तरह से भाजपा का नया जुमला रोटी बेटी और माटी है. कहा कि तमाम जो तकते हैं झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ जुड़ रही है या आने वाला दिन में बेहतर झारखंड बनने में सहायक रहेगी. हम अपने झारखंड को हीरा झारखंड बनने में कामयाब होंगे.

राज्य चलाने के लिए भाजपा को चाहिए बोरो प्लेयर: प्रणव

झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हुए प्रणव वर्मा का कहना है कि उनकी घर वापसी हुई है. 18 वर्ष तक वे इधर-उधर भटकते रहे अब वापस अपने पुराने घर में आ गए हैं. कहा कि भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी बन गई है जिनके आलाकमान को झारखंड के नेताओं पर विश्वास नहीं है. भाजपा में बाबूलाल मरांडी से ज्यादा हिमंता विश्व सरमा को तरजीह दी जा रही है. मतलब भाजपा को राज्य चलाने के लिए बोरो प्लेयर चाहिए. भाजपा को अब झारखंड के नेताओं की जरूरत नहीं है.

भाजपा दलितों की पार्टी नहीं: दारा

झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हुए दारा हाजरा का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी अब दलित व पिछड़ों की पार्टी नहीं रही है. भाजपा में बड़े-बड़े नेताओं की पूछ होने लगी है छोटे कार्यकर्ता का वजूद नहीं रहा इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ने का निर्णय लिया. कहां की टिकट मिलना न मिलाना या बात की बात है. वह भारतीय जनता पार्टी में काफी कुंठित महसूस कर रहे थे इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ दी अब हेमंत के साथ आ गए हैं.

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