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चकराता के ठाणा डांडा में बिस्सू गनियात पर्व की धूम, जौनसार बावर के गीत नृत्य ने मोहा मन - Jaunsar Bawar Ganiyat Parv - JAUNSAR BAWAR GANIYAT PARV

Bissu Ganiyat festival celebration in Thana Danda of Chakrata उत्तराखंड के देहरादून जिले का जौनसार बावर क्षेत्र अपनी संस्कृति और त्यौहारों के लिए प्रसिद्ध है. इन दिनों यहां बिस्सू गनियात पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. स्थानीय गीत और नृत्य पर जब लोग झूमे तो बड़ी संख्या में मौजूद दर्शक उन्हें निहारते रह गए.

Bissu Ganiyat festival
जौनसार बावर की लोक संस्कृति

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 17, 2024, 11:49 AM IST

Updated : Apr 17, 2024, 1:34 PM IST

बिस्सू गनियात पर्व की धूम

विकासनगर: जौनसार बावर चकराता के ठाणा डांडा में बिस्सू गनियात पर्व की धूम मची रही. पर्व में जौनसार बावर की संस्कृति की झलक दिखी. आपसी भाईचारे और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है बिस्सू गनियात पर्व बहुत फेमस है.

चकराता के ठाणा डांडा में बिस्सू गनियात पर्व की धूम

जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र के तीज त्यौहार और सांस्कृतिक परंम्परा खास है. यहां हरेक पर्व को अलग ही अंदाज में मनाया जाता है. इन दिनों अलग अलग क्षेत्रों में बिस्सू गनियात की धूम है. यह पर्व आपसी भाईचारे और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है. चकराता के ठाणा डांडा का बिस्सू गनियात पर्व करीब सौ सालों से भी अधिक समय से मनाया जाता आ रहा है. इस पर्व में ठाणा गांव और बणगांव खत पट्टी के कई गांव शिरकत करते हैं.

जौनसार बावर के गीत नृत्य ने मोहा मन

ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते गाते चकराता के समीप ठाणा डांडा थात (मैदान )में पहुंचते हैं. यहां पर ठाणा के ग्रामीण बणगांव के लोगों का स्वागत ढोल नगाड़े बजाकर करते हैं. एक दूसरे के गले मिलकर बिस्सू गनियात पर्व की बधाई देते हैं. इस दृश्य को देखने के लिए हजारों की संख्या में बिस्सू गनियात मेले में लोग पहुंचते हैं. पौराणिक तांदी, हारूल, झैता, जूडो, ठोऊडा नृत्य का सिलसिला शुरू होता है.

चकराता के ठाणा डांडा में बिस्सू गनियात पर्व की धूम

गनियात पर्व की खास बात यह है कि महिलाएं पारम्परिक परिधान घाघरा, ढांटू, जगा पहन कर लोक नृत्य कर पर्व मनाती हैं. पुरुष भी पौराणिक परिधान जूडो पहनकर पर्व की खुशी मनाते हैं. साथ ही ठोऊडा नृत्य देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है. जौनसार बावर की पौराणिक संस्कृति की झलक इस बिस्सू गनियात मेले में देखने को मिलती है.

जौनसार बावर की पौराणिक संस्कृति की झलक

रिटायर्ड आईएएस कुलानंद जोशी बताते हैं, कि बैसाखी और बिस्सू गनियात मेला जौनसार बावर में कहीं दो दिन और कहीं तीन दिन का होता है. ठाणा डांडा में दो खतों, उप्पल गांव और बणगांव का मेला होता है. इसमें जौनसार बावर के रीति रिवाज, संस्कृति, लोक संस्कृति की बहुत बड़ी झलक देखने को मिलती है. कई लोग एक दूसरे से सद्भभाव, प्रेम से मेल मुलाकात करते हैं. एक दूसरे को पर्व शुभकामनाएं देते हैं. एक दूसरे को आने का न्यौता देते हैं. यह पंरम्परा समाज को संस्कृति, गीतों, नृत्यों के माध्यम से जोड़ती है.

पुरुषों ने भी किया लोकनृत्य

ठाणा गांव की महिला शशि चौहान ने कहा कि मेले की विशेषता है कि जो लड़कियां ससुराल से मेले में आती हैं, उनके लिए गांव से महिलाएं पर्व में बनाई जाने वाली मीठी रोटी (बाबर), चावल के आटे से बने पापड़ (लाडू) और मिठाई देते हैं. सभी महिलाएं अपनी वेश भूषा में आती हैं और हारूल, झैता, तांदी गीतों पर नृत्य किया जाता है.

पारंपरिक लोकनृत्य देखने को उमड़ी भीड़

: मेला समिति के उपाध्यक्ष सालक राम जोशी ने कहा कि यह मेला करीब 100 साल से भी अधिक समय से चला आ रहा है. सिर्फ कोरोना काल में दो साल मेला नहीं हुआ था. इस मेले में पारंम्परिक वेशभूषा जूडो पहन कर पुरुष नृत्य करते हैं और ठोऊडा नृत्य भी किया जाता है. महिलाओं द्वारा तांदी, हारूल गीत नृत्य की धूम रहती है.
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Last Updated : Apr 17, 2024, 1:34 PM IST

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