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जग्गी हत्याकांड के 25 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, दो ने किया सरेंडर - jaggi hatyakand

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित राम अवतार जग्गी हत्याकांड केस में 4 अप्रैल 2024 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने फैसला दिया था. इस केस के सभी 27 आरोपियों को 15 अप्रैल को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन केवल दो ने ही सरेंडर किया. जिसके बाद रायपुर कोर्ट ने 25 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है.

JAGGI MURDER CASE
जग्गी हत्याकांड

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 16, 2024, 12:13 PM IST

Updated : Apr 16, 2024, 12:24 PM IST

रायपुर: राजधानी रायपुर में हुए राम अवतार जग्गी हत्याकांड प्रदेश की बहुचर्चित और राजनीतिक हत्याकांड का सबसे बड़ा केस है. इस मामले में रायपुर कोर्ट ने सोमवार को 25 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. वहीं दो आरोपियों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया है. जग्गी हत्याकांड में शामिल पांच आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर करने के लिए मोहलत मांगी थी, जिसे स्वीकार करते हुए एससी ने सरेंडर करने के लिए 5 आरोपियों को 3 सप्ताह की मोहलत दी है.

25 आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी : 4 अप्रैल 2024 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए सभी आरोपियों को कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए थे. सोमवार को 27 आरोपियों को कोर्ट में पेश होना था, जिसमें से दो आरोपी चिमन सिंह और विनोद सिंह राठौर ने विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटीज की कोर्ट पहुंचकर सरेंडर किया. बाकी बचे 25 आरोपियों के खिलाफ रायपुर कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश दिए हैं.

5 आरोपियों को सरेंडर करने मिली मोहलत: जग्गी हत्याकांड केस में शामिल पांच आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर करने के लिए मोहलत मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए पुलिस विभाग के पूर्व सीएसपी कोतवाली रहे अमरीक सिंह गिल, मौदहापारा के पूर्व थाना प्रभारी सी के पांडेय, पूर्व क्राइम ब्रांच प्रभारी राकेश चंद्र द्विवेदी, याहया ढेबर और सूर्यकांत तिवारी को सरेंडर करने के लिए तीन सप्ताह की मोहलत दी है.

क्या है जग्गी हत्याकांड? : 4 जून 2003 को मॉर्निंग वॉक पर निकले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष राम अवतार जाग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके परिजनों ने रायपुर के मौदहापारा थाना में केस दर्ज कराया था. सतीश जग्गी ने अपने पिता की हत्या करवाने का आरोप लगाते हुए अजीत जोगी और अमित जोगी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराया था. आरोप लगा कि पुलिस ने पूरे मामले में लीपापोती करते हुए फर्जी आरोपियों को जेल में डाला दिया.

सीबीआई ने अमित जोगी को बनाया मुख्य आरोपी: दिसंबर 2004 में इस केस को सीबीआई को सौंपा गया. इसके बाद सीबीआई ने अमित जोगी को मुख्य आरोपी बनाते हुए लगभग 30 आरोपियों को इस हत्याकांड में शामिल होना पाया. इसमें दो आरोपी महंत उर्फ बुलठू पाठक और सुरेश सिंह सीबीआई के सरकारी गवाह बन गए. इसके बाद सीबीआई ने अमित जोगी सहित 30 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था. 31 मई 2007 को रायपुर स्थित विशेष न्यायाधीश की कोर्ट ने अमित जोगी सहित 5 लोगों को दोष मुक्त ठहराते हुए 19 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. पुलिस अधिकारियों को भी पांच-पांच साल की सजा सुनाई थी.

आरोपियों ने फैसले को हाईकोर्ट में दी चुनौती: इस फैसले के बाद लगभग सभी आरोपियों को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से जमानत ले लिया था. इस फैसले के खिलाफ सभी आरोपियों ने निचली अदालत को चुनौती देने के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट में अपील की. लेकिन 21 साल बाद 4 अप्रैल 2024 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए सभी आरोपियों को कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए थे. जग्गी हत्याकांड में शामिल दो आरोपी बुलठू पाठक और विक्रम शर्मा की मौत हो चुकी है. अमित जोगी ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे लिया हुआ है. बाकी बचे 25 आरोपियों के खिलाफ रायपुर कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश दिए हैं.

Last Updated : Apr 16, 2024, 12:24 PM IST

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