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जब रामलला को ला सकते हैं तो मथुरा और काशी का ज्ञानवापी भी लाकर दिखाएंगे : रामभद्राचार्य महाराज

जयपुर में श्री राम कथा. रामभद्राचार्य महाराज बोले- जब रामलला को ला सकते हैं तो मथुरा, काशी का ज्ञानवापी भी लाकर दिखाएंगे.

Shri Ram Katha
छोटी काशी में श्री राम कथा (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 11, 2024, 10:47 PM IST

जयपुर: किसी भी संत को निराश होने की आवश्यकता नहीं है. जब रामलला को ला सकते हैं तो मथुरा और काशी के ज्ञानवापी को भी लाकर दिखाएंगे. ये कहना है कथावाचक जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज का. छोटी काशी में हो रही श्री राम कथा के पांचवे दिन सोमवार को रामभद्राचार्य महाराज ने ताड़का वध और राम विवाह की लीला का प्रसंग सुनाते हुए इस ज्वलंत मुद्दे पर भी अपना विचार व्यक्त किया. साथ ही कहा कि इस बार कुंभ में कुछ ऐसा करेंगे कि पाकिस्तान का नामो-निशान मिट जाएगा.

राम कथा में पहुंचे श्रोताओं को संबोधित करते हुए रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि उनसे कुछ भूल हो जाती है, वो बाद में हानिकारक हो जाती है. वो कठोर कहने के लिए बदनाम हैं, लेकिन फिर भी ये कहेंगे कि किसी भी संत को निराश होने की आवश्यकता नहीं है. जब रामलला को ला सकते हैं तो मथुरा और काशी के ज्ञानवापी को भी लाकर दिखाएंगे. राष्ट्र की चिंता एक संत ही कर सकता है. परिवार वाला भक्त नहीं. रेवासा पीठ की दुर्दशा नहीं होने देंगे. रेवासा में जो हुआ वो परंपरा के विरुद्ध है.

रामभद्राचार्य महाराज (ETV Bharat Jaipur)

कुंभ में कुछ ऐसा करेंगे कि पाकिस्तान का नामो-निशान मिट जाएगा : रामभद्राचार्य ने कहा कि ये देश गांधी परिवार का नहीं है. ये राष्ट्र हमारा है, सनातनियों का है. विधर्मियों का नहीं है. इस बार कुंभ में हम कुछ ऐसा करेंगे कि विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का नामो-निशान मिट जाएगा. उन्होंने कहा कि चित्रकूट धाम में वो 6 दिसंबर को संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करेंगे. सभी को आकर देखना चाहिए कि देश की संस्कृति कैसे स्थापित की जाती है. अब सांस्कृतिक आंदोलन होकर रहेगा. भारत में गौ हत्या बंद करवा कर रहेंगे. हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाएंगे. अब हम सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते. हमारे प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार नरेंद्र मोदी ही बनें. ऐसी मेरी इच्छा है.

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जयपुर से लगाव सा हाे गया है : राम कथा के दौरान रामभद्राचार्य ने कहा कि जयपुर से लगाव सा हाे गया है. वो जयपुर 2003 में आए थे. इसके बाद 21 सालों तक नहीं आए, इसका खेद है. अब वचन देते हैं कि प्रत्येक वर्ष छोटी काशी आएंगे. वहीं, इस दौरान उन्होंने ताड़का वध और राम विवाह की लीला का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान राम जब विश्वामित्र के साथ अयोध्या से वन के लिए गए. उस दौरान उन्होंने ताड़का का वध किया. उससे पहले ताड़का ने श्रीराम के सामने कई महिमा मंडन किया. इस पर श्री राम ने ताड़का से कहा था कि संतों को मारने वाले को मारना भी उनका धर्म है. रामभद्राचार्य ने कहा कि देवता तो कई हैं, लेकिन राम जैसा कोई नहीं. राम जैसा कोई राजा, त्यागी, स्वामी, दानी नहीं है.

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वहीं, सोमवार को राम कथा में शामिल होने संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और हवा महल विधायक बालमुकुंद आचार्य भी पहुंचे. कथा के बाद भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसिद्ध भजन गायक लखबीर सिंह लक्खा समेत मुंबई और कोलकाता के गायकों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी.

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