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जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में तत्कालीन CMHO के खिलाफ फिर होगी विभागीय जांच - Jabalpur Hospital fire incident - JABALPUR HOSPITAL FIRE INCIDENT

जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में 8 लोगों की मौत के मामले में तत्कालीन सीएमएचओ के खिलाफ पुनः विभागीय जांच के आदेश जारी किए गए हैं. सरकार ने ये जानकारी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के सामने दी.

Jabalpur New Life Hospital fire incident
जबलपुर न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड फिर होगी विभागीय जांच

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 4, 2024, 2:35 PM IST

जबलपुर।जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में हुए भीषण अग्निकांड मामले इससे पहले सरकार ने हाईकोर्ट को बताया गया था कि विभागीय जांच के बाद तत्कालीन सीएमएचओ का एक इंक्रीमेंट रोकने की सजा से दंडित किया गया. हाईकोर्ट ने इस बारे में मुख्य सचिव से हलफनामा मांगा था. मुख्य सचिव ने हलफनामा पेश करते हुए इस सजा को अपर्याप्त माना था. इस मामले में सरकार अब कोर्ट के सामने खुद को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है.

जबलपुर न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में 8 मौतें हुई थीं

गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमति प्रदान किये जाने को चुनौती दी गयी थी. याचिका में कहा गया था कि नियमों को ताक में रखकर संचालित न्यू लाइफ अस्पताल में हुए अग्नि हादसे में 8 व्यक्तियों की मौत हो गयी. आपातकालीन द्वार नहीं होने के कारण लोग बाहर तक नहीं निकल पाए. कोरोना काल में विगत तीन साल में 65 निजी अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी गयी है. जिन अस्पतालों को अनुमति दी गयी है, उनमें नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं किया गया है.

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मनमाने तरीके से अस्पतालों के संचालन की अनुमति

याचिका में कहा गया कि जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद अस्पताल संचालन की अनुमति दी गयी. बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र नहीं होने के बावजूद अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गयी. भौतिक सत्यापन किये बिना अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गयी. इस मामले में सरकार ने पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करते हुए बताया गया था कि अस्पताल का निरीक्षण करने वाले डॉक्टरों की टीम के खिलाफ विभागीय जांच लंबित है. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया कि कि पूर्व की विभागीय जांच को निरस्त करते हुए तत्कालीन सीएमएचओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. इस बारे अभी कोई जवाब पेश नहीं किया गया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की.

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