जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में डीजे को लेकर गाइडलाइन बनाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया "डीजे की तेज आवाज से लोगों को शारीरिक नुकसान होता है. इसके अलावा सामुदायिक दंगे भड़काने में डीजे भी माध्यम बनता है." याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया है "इस मुद्दे पर जवाब पेश करें." याचिका पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को निर्धारित की गयी है.
"DJ पर गाइडलाइन बनी,अमल कौन कराएगा" MP हाईकोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब - MP HIGH COURT
डीजे से होने वाले कानफोड़ू शोर से लोगों की सेहत खराब हो रही है. साथ ही इससे दंगे भी भड़कते हैं.
By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : Jan 22, 2025, 10:40 AM IST
अधिवक्ता अमिताभ गुप्ताकी तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया "दिन के समय डीजे की अधिकतम आवाज 55 डिसमिल तथा रात के समय 45 डिसमिल होना चाहिए. इससे अधिक आवाज से ध्वनि प्रदूषण फैलता है और लोगों के स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव पडता है. वर्तमान में सिर्फ कोलाहल एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान है. ट्रकों में 20 फीट तक सउंड बांधकर डीजे बजाये जाते हैं, जिससे लोगों के कान खराब हो रहे हैं. इसके अलावा डीजे बजाने के कारण कई स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे भी भड़के हैं. इसका मुख्य कारण डीजे में बजाए जाने वाले गाने हैं."
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हाई कोर्ट ने सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी
याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया "मुख्यमंत्री ने डीजे बजाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये हैं." इस पर युगलपीठ ने कहा "सिर्फ निर्देश जारी पर्याप्त नहीं है, उनका पालन भी आवश्यक है." युगलपीठ ने सुनवाई के बाद आदेश जारी करते हुए सरकार से कहा है "इस मामले में सारे बिंदुओं पर विस्तृत जवाब पेश करें." बता दें कि मुख्यमंत्री का पद संभालने के कुछ दिनों बाद डॉ. मोहन यादव ने डीजे और लाउड स्पीकर को लेकर सख्ती की थी. लेकिन ये मुहिम एक हफ्ते ही चली. इसके बाद फिर वही ढर्रा शुरू हो गया.