जबलपुर: रेप पीड़ित किशोरी को समय से पहले गर्भपात या प्रसव की अनुमति हाईकोर्ट के द्वारा प्रदान की गई थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बच्चा यदि जिंदा पैदा होता है तो उसकी देखभाल राज्य सरकार द्वारा की जाएगी. बच्चे के जिंदा पैदा होने पर नाबालिग और उसके माता-पिता ने बच्चे की कस्टडी के लिए आवेदन पेश किया था. हाईकोर्ट जस्टिस ए के सिंह की एकलपीठ ने आवेदन की सुनवाई करते हुए पूर्व में पारित आदेश में संशोधन करते हुए नाबालिग और उसके माता-पिता को बच्चे की कस्टडी देने के आदेश जारी किये है.
प्रीमेच्योर अबॉर्शन की मांगी थी अनुमति
बता दें कि रेप पीड़िता नाबालिग ने प्रीमेच्योर अबॉर्शन के लिए विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में आवेदन दायर किया था. विशेष न्यायाधीश ने आवेदन को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए याचिका के रूप में सुनवाई के आदेश जारी किये थे. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पीड़ित की मेडिकल रिपोर्ट हमीदिया हॉस्पिटल भोपाल को प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे.
मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया था कि पीड़िता की गर्भावस्था 32 सप्ताह 6 दिन की है. मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद 27 दिसंबर 2024 को समय पूर्व पीड़िता के प्रसव या गर्भपात की अनुमति हाईकोर्ट ने प्रदान की थी. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि बच्चा जिंदा पैदा होता है तो उसकी देखभाल सरकार के द्वारा की जाएगी.
नवजात की कस्टडी के लिए दिया था आवेदन
नाबालिग पीड़िता ने 1 जनवरी 2025 को अस्पताल में एक स्वस्थ लड़के को जन्म दिया था. एकलपीठ ने अपने आदेश में पहले ही कहा था कि बच्चा जिंदा पैदा होता है तो उसकी देखभाल सरकार के द्वारा की जाएगी. इसके बाद बच्चे की कस्टडी के लिए पीड़ित और उसके माता-पिता ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था.