जबलपुर:शहर के व्यापारियों का कहना है कि यदि जबलपुर में सरकार आयरन ओर आधारित उद्योग विकसित करती तो जबलपुर की तस्वीर बदल सकती थी. भारत में सबसे अच्छा आयरन ओर हेमेटाइट उड़ीसा और झारखंड में पाया जाता है. इसी आयरन ओर हेमेटाइट की वजह से जमशेदपुर देश का एक समृद्धशाली शहर है, जिसमें लोहा आधारित उद्योग विकसित हुआ. आयरन ओर की वजह से ही छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति आय बहुत अधिक है और भिलाई स्टील प्लांट जैसा बड़ा कारखाना छत्तीसगढ़ में लगाया गया है. कुछ ऐसा ही हाल कर्नाटक के कुछ शहरों का भी है, जिनके पास लोह अयस्क की खदानें हैं.
जबलपुर का आयरन ओर नंबर-1
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय खान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार लोह अयस्क में सबसे अच्छा हेमेटाइट मध्य प्रदेश के जबलपुर और कटनी जिले के बीचों-बीच पाया जाता है. इस हेमेटाइट में 68 से 70% तक लोहा पाया जाता है. ऐसा नहीं है कि जबलपुर के आसपास इस लोह अयस्क का खनन नहीं हो रहा बल्कि जबलपुर से लेकर कटनी तक सैकड़ों खदानों में यह लोह अयस्क खोदा जा रहा है लेकिन इसका उपयोग लोहा आधारित उद्योगों में करने की बजाय इसे सीधे जबलपुर से एक्सपोर्ट किया जाता है. जबलपुर के कछपुरा माल गोदाम पर लगभग हर दूसरे तीसरे दिन रेलगाड़ी इस लोह अयस्क को जबलपुर से ले जाती है और यह भारत और भारत के बाहर भेज दिया जाता है.
तो बदल जाती जबलपुर की तस्वीर
जबलपुर के उमरिया डूंगरिया इंडस्ट्रियल एरिया के कारोबारी संगठन के अध्यक्ष मनीष मिश्रा कहते हैं, '' जबलपुर के इस काले सोने के बारे में कभी किसी ने कुछ नहीं सोचा. जबलपुर के पास इतना कीमती खजाना है लेकिन इसका उपयोग जबलपुर के विकास के लिए नहीं हो रहा. खदानों से यह लोह अयस्क निकाला जाता है और जबलपुर के रेलवे स्टेशन से होता हुआ विशाखापट्टनम के पोर्ट तक भेज दिया जाता है. या फिर देश के दूसरे इलाकों में यह चला जाता है. यदि इसी लोह अयस्क के उपयोग से जबलपुर में लोहे के कारखाने डाले जाएं तो जबलपुर की तस्वीर ही बदल जाएगी. लेकिन इस विषय में कभी सरकारों ने कोई पहल नहीं की.''