जबलपुर। मध्य प्रदेश सरकार ने एक आदेश निकाला था. इसके तहत निजी स्कूलों के पुस्तकों की फीस और ड्रेस मैटेरियल की साठगांठ की जांच की जानी थी. इसके तहत जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कुछ स्कूलों की जांच की. साथ ही सबसे बड़ी जांच पुस्तकों के आईएसबीएन नंबर की थी. दरअसल, आईएसबीएन नंबर किसी भी पुस्तक की यूनिक आइडेंटिटी होती है, जिसका महत्व राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है. जबलपुर में जिला प्रशासन ने जब पुस्तकों की जांच की तो कई पुस्तकों में आईएसबीएन फर्जी मिला. इस आधार पर कुटरचित दस्तावेज बनाने का मुकदमा प्रकाशकों के खिलाफ बनाया गया. कई प्रकाशकों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. करीब 50 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इनमें कई लोग गिरफ्तार हो गए हैं और कई लोगों के खिलाफ वारंट जारी है.
द फेडरेशन ऑफ एजुकेशन पब्लिशर ऑफ़ इंडिया का पत्र
इसी बीच में द फेडरेशन ऑफ एजुकेशन पब्लिशर ऑफ़ इंडिया का एक पत्र सामने आया है, जिसमें फेडरेशन के महासचिव गोपाल शर्मा ने जबलपुर जिला प्रशासन से मांग की है कि जिस आईएसबीएन नंबर के आधार पर पब्लिशर के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं, दरअसल, कानून के तहत उसकी अनिवार्यता नहीं है. यह जरूरी नहीं है कि पाठ्यक्रम में जो पुस्तक इस्तेमाल की जा रही है, उसे आईएसबीएन नंबर लेना ही हो. इसमें यह भी बताया गया है कि पहले आईएसबीएन नंबर ऑनलाइन नहीं थे. इसलिए पुस्तकों में जो आईएसबीएन नंबर मिले हैं, जरूरी नहीं है कि वह ऑनलाइन चेक किया जा सकें. इसलिए इस आधार पर जो मुकदमे बनाए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए.
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