कोटा:इजराइल-हमास बीच चल रहे युद्ध का असर कोटा और अन्य मंडी में भी देखने को मिल रहा है. इसका सीधा नुकसान हाड़ौती ही नहीं, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के धान (चावल) उत्पादक किसानों को भी झेलना पड़ रहा है. हालत यह है कि मंडी में धान की आवक शुरू हो गई है. हाड़ौती की मंडियों में अच्छी खासी तादाद यानी करीब 50 हजार क्विंटल माल रोज आ रहा है, लेकिन बीते साल जिस स्तर पर किसानों का माल बिक गया था, उसमें 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक की कमी है. जबकि शुरुआत में बीते साल मंडी में जो भाव थे, उससे 1000 रुपये प्रति क्विंटल की कमी है.
यही नुकसान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी किसानों को हो रहा है. ऐसे में किसानों को रोज करीब 8 से 10 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हो रहा है. कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में धान की ट्रेड के बड़े व्यापारी प्रकाश चंद जैन 'पालीवाल' का कहना है कि धान की दाम में कमी का सीधा कारण मुस्लिम देशों के बीच चल रहा आपसी कलह है. इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में डिमांड काफी कम हो गई है. मुख्य कारण इजराइल के साथ ईरान व हमास का युद्ध है. मुस्लिम देशों में चल रही उथल-पुथल का असर है. इनकी लड़ाई-झगड़े की वजह से एक्सपोर्ट कम हो रहा है और दाम गिर रहा है.
युद्ध का बड़ा नुकसान उठा रहा किसान (ETV Bharat Kota) व्यापारी प्रकाश चंद जैन 'पालीवाल' का कहना है कि किसानों के सामने वर्तमान में डीएपी की कमी और अन्य खाद का भी संकट है. इसके अलावा खाद, बीज और दवाई की व्यवस्था भी उसे अगली फसल के लिए करनी है. इसी के चलते उन्हें मजबूरी में अपनी माल को बेचना पड़ रहा है. इसलिए कम दाम पर भी वह माल बेचने को तैयार हैं. इन हालातों में तो हर किसान को नुकसान झेलना पड़ रहा है. इन किसानों में राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश और कुछ उत्तर प्रदेश के किसान भी हैं. यह हाड़ौती की मंडियों में अपना माल लेकर आते हैं.
पूरे देश में इस बार अच्छा हुआ है धान का उत्पादन : अविनाश राठी का कहना है कि बीते साल से इस साल प्रोडक्शन ज्यादा धान का हुआ है. मानसून में काफी सहयोग किया. इसके अलावा वाटर बॉडीज भी अच्छी रिचार्ज हो गई है. धान की फसल के लिए मौसम ने भी सहयोग किया और अच्छी उच्च पैदावार भी हुई है. भारत में काफी अच्छा प्रोडक्शन है, जिसमें बंगाल व बिहार में भी काफी अच्छा है.
पढ़ें :लहसुन ने किया मालामाल, मंडी में बीते साल से कम पहुंचा माल फिर भी दोगुना मिला भाव - Garlic Farmers in Profit
इसके अलावा हाड़ौती के कोटा-बूंदी एरिया में भी अच्छा है. हाड़ौती से लगे मध्यप्रदेश के श्योपुर, गुना, अशोकनगर भोपाल, विदिशा, दतिया व उत्तर प्रदेश के झांसी सहित अन्य जगह भी अच्छा प्रोडक्शन हुआ है. वर्तमान में कृषि उपज मंडी कोटा में करीब 50 हजार बोरी माल मंडी में आ रहा है. इसी तरह से बूंदी में 30 हजार और 20 हजार बोरी माल आ रहा है. दिवाली के बाद यह 3 लाख बोरी के आसपास पहुंच जाएगा, जिसमें कोटा मंडी में करीब डेढ़ लाख बोरी माल आएगा, जबकि बूंदी में एक लाख और बारां में 50 हजार बोरी माल आएगा.
धान के दाम में अंतर (ETV Bharat GFX) जीरो एक्सपोर्ट ड्यूटी का देखने को मिलेगा असर, सुधरेंगे दाम : भामाशाह कृषि उपज मंडी की ग्रैंड एंड सीट्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी का कहना है कि वर्तमान में कम दाम के यह हालत है, लेकिन हाल ही में सरकार ने तीन दिन पहले किसानों के हित में एक फैसला लिया है, जिसके तहत एक्सपोर्ट ड्यूटी को जीरो कर दिया है. पहले यह 10 फीसदी हुआ करती थी. राठी का यह भी कहना है कि 3 साल पहले यह तीस फीसदी थी, जिसमें से लगातार चावल का एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए सरकार से कम करते हुए पहले 20 और फिर 10 किया था. अब एसको जीरो किया है. इसके पीछे लॉजिक किसानों की फसल है, उसका मैक्सिमम दाम मिल जाए. इसका असर भी दिवाली के बाद में मंडी में देखने को मिलेगा और वर्तमान में धान थोड़ा गीला भी आ रहा है, इसलिए भी दाम थोड़ा कम है.
वर्तमान के दाम से नीचे जाना मुश्किल, ऊपर ही जाएगा भाव : अविनाश राठी का कहना है कि बीटा ट्रेंड बताता है कि शुरुआत के बाद से हमेशा धान का भाव ऊपर की तरफ ही जाता है. इससे नीचे जाने की संभावना नहीं है, बीते कुछ दिनों में 200 से 300 रुपये की बढ़ोतरी जरूर हुई है. यह बढ़ोतरी कितनी आगे होगी, यह अभी मार्केट पर ही डिपेंड है. हालांकि, वर्तमान में जो दाम चल रहे हैं, उससे नीचे जाना मुश्किल है. अविनाश राठी का कहना है कि एक्सपोर्ट में थोड़ी सी प्रॉब्लम आ सकती है, लेकिन यह शुरुआती फेज है, क्योंकि फसल साल भर चलती है. आज युद्ध की पोजीशन व माहौल है. हो सकता आने वाले कुछ दिनों में संधि हो जाए, फिर शांति का माहौल बन जाए. फिलहाल, थोड़ा सा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मार्केट डिस्टर्ब है. जैसे ही शांति होगी, बाजार वापस ऊंचाई पर पहुंच जाएगा.
बीते साल यह रहे थे उच्चतर स्तर पर धान के दाम : बीते साल 2023 में सीजन बढ़ने के साथ धान के भाव में भी लगातार बढ़ोतरी होती गई थी. इसका यह असर हुआ था कि 1718 के भाव बीच सीजन में 4500 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गए थे, जबकि 1121 के 4600 रुपये प्रति क्विंटल तक भी भाव किसानों को मिले थे. इसी तरह से 1509 के दाम 3800 रुपये प्रति क्विंटल तक किसानों को मिल गए थे. इस स्थिति से आज देखा जाए तो दाम काफी कम किसानों को मिल रहे हैं. 1509 में करीब 1500 रुपये प्रति क्विंटल की कमी है. इसी तरह से 1718 और 1121 क्वालिटी में करीब 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल की कमी है.