गिरिडीहःमृतक बुधन को जिंदा दिखाना, उससे मजदूरी कराना और फिर भुगतान करने के मामले से सभी आश्चर्यचकित हैं. बुधन का भाई सुखदेव भी यह सुनकर हतप्रभ है. इस प्रकरण को लेकर ईटीवी भारत की टीम बुधन के घर पहुंची. घर में बुधन के पुत्र की शादी थी, इस कारण उससे मुलाकात नहीं हो सकी, लेकिन बुधन के भाई सुखदेव पंडित से ईटीवी भारत ने बातचीत की.
मृतक बुधन के भाई सुखदेव से पूछा गया कि आपके भाई कहां हैं. इस पर सुखदेव ने बताया कि बुधन तो दो वर्ष पहले ही गुजर चुका है. सुखदेव को जब बताया गया कि आपके भाई ने मनरेगा की दो योजना एक तालाब और दूसरा डोभा में अभी से दो-तीन माह पहले काम किया है और फिर इस काम के बदले भुगतान भी पाया है. यह सुनते ही सुखदेव बोल पड़ा ऐसा कैसे संभव हो सकता है. उन्होंने मामले की जांच की मांग की है. वहीं मृतक बुधन के घर के आसपास रहने वाले लोग भी कह रहे हैं कि सरकारी बाबू की मिलीभगत का यह परिणाम है.
रोजगार सेवक की भूमिका अहम
चूंकि मनरेगा में काम की मांग रोजगार सेवक से की जाती है. रोजगार सेवक ही मजदूर के नाम से लेकर कितने दिनों तक काम हुआ है और कितनी मजदूरी हुई है इसकी इंट्री करता है. जानकार बताते हैं कि मजदूरी पूर्ण होने के बाद भुगतान की प्रक्रिया में रोजगार सेवक की ही भूमिका रहती है. अब जब मृतक को काम मिल गया. अलग-अलग महीने में पांच - पांच दिन अलग-अलग योजना में काम कर लिया. मृतक बुधन के खाते में राशि चली गई और मामला उजागर हो गया, तब बीडीओ ने रोजगार सेवक से शो-कॉज किया है. बताते चलें कि इस खबर को ईटीवी भारत ने सबसे पहले प्रकाशित की थी.
सफाई देने में जुटा रोजगार सेवक
इधर, मामला उजागर होने के बाद रोजगार सेवक सफाई देने में जुट गया है. रोजगार सेवक बसंत मंडल का कहना है कि उन्होंने बुधन के बेटे को काम दिया था. पता नहीं ऑनलाइन कैसे बुधन हो गया. रोजगार सेवक अब कम्प्यूटर ऑपरेटर और बीपीओ के सिर गड़बड़ी मढ़ रहा है.
गलती या सब जानते हुए की गई गड़बड़ी
रोजगार सेवक ने कहा कि उसने मिथुन पंडित का नाम दिया था. पता नहीं बुधन कैसे हो गया. रोजगार सेवक के जवाब में ही दो सवाल छिपे हैं. पहला है कि बुधन के नाम पर अप्रैल में एक मास्टर रोल बनाया गया फिर मई में दूसरा मास्टर रोल बनाया गया. अब एक बार गलती हो तो उसे भूल कहेंगे, लेकिन जब वही प्रक्रिया दूसरी बार मई में दोहराई जाए तो इसे क्या कहेंगे आप ही तय करें.