पलामू: झारखंड के विभिन्न इलाकों में बाघों का मूवमेंट लगातार रिकॉर्ड किया जा रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व से बाघ निकलकर दलमा के इलाके में पहुंच गए हैं. बाघों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए बड़ी संख्या में वनकर्मियों को भी तैनात किया गया है. लेकिन बाघों और अन्य वन्यजीवों की निगरानी के लिए इन सब के अलावा मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम भी डेवलप किया गया है. जो काफी कारगर साबित हुआ है.
यह मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम एम स्ट्रिप एप से जुड़ा है. एएम स्ट्रिप एप्प नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के द्वारा मॉनिटर किया जाता है. देश के सभी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों का डाटा मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए एम स्ट्रिप एप में फीड किया जाता है. बाद में इस डाटा का नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और संबंधित टाइगर रिजर्व द्वारा अध्ययन किया जाता है.
पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना कहते हैं कि देश के सभी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों के लिए मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम मौजूद हैं. वन्यजीवों से जुड़ा सारा डाटा एम स्ट्रिप एप पर फीड किया जाता है और उसका अध्ययन भी किया जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि वन्यजीवों के मूवमेंट और उनके व्यवहार के बारे में भी सटीक जानकारी मिलती है. डाटा को फॉरेस्टर से लेकर अधिकारी तक फीड करते हैं.
शिकार पर भी रखी जाती है निगरानी
मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए बाघों की आवाजाही और उनके द्वारा किए जाने वाले शिकार पर भी नजर रखी जाती है. कोविड-19 के बाद के दौर में पलामू टाइगर रिजर्व में मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम को बढ़ावा दिया गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के कई इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की पहुंच बढ़ी है, जिससे ट्रैकिंग सिस्टम और मजबूत हुआ है.
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