पटना:बालू के अवैध खनन मामले में निलंबित भोजपुर के पूर्व एसपी और आईपीएस अधिकारी राकेश दुबे को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है. राज्य सरकार ने उनका निलंबन खत्म कर दिया है. बिहार सरकार के गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में राकेश दुबे को पुलिस मुख्यालय में योगदान देने को कहा गया है. केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण यानी कैट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने राकेश दुबे को निलंबन मुक्त करने का फैसला लिया है. आईपीएस राकेश दूबे पिछले पौने तीन साल से निलंबित चल रहे हैं.
IPS राकेश दुबे निलंबन मुक्त: बता दें कि बिहार सरकार ने बालू के अवैध कारोबार में पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता के खिलाफ वर्ष 2021 में एक मुहिम चलाई थी. उस समय राकेश दुबे भोजपुर के एसपी थे. राज्य सरकार की एजेंसी ईओयू ने आरोप लगाया था कि बालू के अवैध खनन और कारोबार में राकेश दुबे की संलिप्तता रही है और उनका आचरण संदिग्ध है. इन्हीं आरोपों के बाद बिहार सरकार ने 27 जुलाई, 2021 को राकेश दुबे को दो महीने के लिए निलंबित कर दिया था. उसके बाद चार बार उनके निलंबन के अवधि को विस्तार दिया गया.
राज्य सरकार ने दी बड़ी राहत:राकेश दुबे ने दो साल के बाद भी उन्हें निलंबित रखे जाने के खिलाफ कोर्ट और केंद्रीय गृह मंत्रालय में अपील की थी. जिसके बाद राज्य सरकार को निलंबन की समीक्षा कर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया था, लेकिन राज्य सरकार ने विगत 12 जनवरी 2024 को निलंबन अवधि फिर से 180 दिन बढ़ा दिया गया जो 10 जुलाई 2024 को समाप्त हो रहा था. इसके बाद राकेश दुबे ने CAT का सहारा लिया. वहीं कैट में सुनवाई करते हुए निलंबन अवधि के बढ़ने के आदेश को गलत ठहराया है.
हेड क्वार्टर पुलिस मुख्यालय योगदान का आदेश:कैट के आदेश के आलोक में राज्य सरकार ने बुधवार (22 मई) को राकेश दुबे का निलंबन निरस्त कर दिया है. उन्हें अभी हेड क्वार्टर पुलिस मुख्यालय दिया गया है. हालांकि राज्य सरकार के आदेश में स्पष्ट है कि राकेश दुबे के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलती रहेगी और राकेश दुबे को उसमें पूरा सहयोग करना होगा.
बालू माफियाओं से सांठगांठ के आरोप में सस्पेंड:बता दें कि राकेश दुबे के मामले में जांच आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा की गई रही है. वहीं आर्थिक अपराधी इकाई के द्वारा पुलिस महानिदेशक के अनुशंसा के आलोक में जांच रिपोर्ट सौंप गई थी. जिसमें कहा गया था कि भोजपुरी के एसपी रहते हुए जिला में बालू के अवैध भंडारण में संलिप्तता रही है. वहीं माफियाओं को मदद पहुंचाने और अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रखने का आरोप लगा.