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केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटीं मंजिल सैनी, डीजीपी मुख्यालय से अटैच, जानिए किन मामलों में चर्चा में रहीं ये अफसर

डीजीपी प्रशांत कुमार व मंजिल सैनी को 26 जनवरी को राष्ट्रपति (IPS Manzil Saini) के वीरता पदक से पुरस्कृत किया गया था. 2005 बैच की आईपीएस अधिकारी मंजिल सैनी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आ गई हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 7, 2024, 12:22 PM IST

लखनऊ : 26 जनवरी को बहादुरी के लिए गैलेंट्री अवार्ड से सम्मानित होने वाली वर्ष 2005 बैच की तेजतर्रार आईपीएस अफसर मंजिल सैनी की यूपी में वापसी हो गई है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आने पर उन्हें डीजीपी मुख्यालय से अटैच किया गया है. जनवरी 2023 को उन्हें प्रोन्नति मिली थी, ऐसे में अब उन्हें आईजी के पद पर तैनाती मिलेगी. फिलहाल अभी तक वो एसपी एनएसजी थीं.

26 जनवरी को मिला था गैलेंट्री अवार्ड :गणतंत्र दिवस के मौके पर 'लेडी सिंघम' के नाम से मशहूर मंजिल सैनी को तत्कालीन डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के साथ मेरठ में तैनाती के दौरान दिल्ली के डॉक्टर को बदमाशों के चंगुल से छुड़वाने के लिए गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा गया था. दरअसल, 6 जुलाई 2017, दिल्ली के एक डॉक्टर श्रीकांत का गौड़ का कुछ बदमाशों ने अपहरण कर लिया था. फिरौती में डॉक्टर के परिवार से पांच करोड़ रुपयों की डिमांड की गई थी. दिल्ली की स्पेशल सेल किडनैपर्स की तलाश में जुटी थी, लेकिन न ही डॉक्टर का कोई सुराग लग रहा था और न ही अपहरकर्ताओं की कोई भनक. सूचना मिली की डॉक्टर को बदमाशों ने मेरठ में छिपाकर रखा हुआ है. तब क्या था कि, तत्कालीन एडीजी मेरठ प्रशांत कुमार व एसएसपी मंजिल सैनी ने मोर्चा संभाला और 19 जुलाई को डॉक्टर का अपहरण करने वाले चार बदमाशों को एनकाउंटर कर गिरफ्तार कर लिया था.



जब श्रवण साहू हत्याकांड में घिरी थीं मंजिल सैनी :लखनऊ में एसएसपी रहते मंजिल सैनी, विवादों में भी घिर गई थीं. आरोप लगा था कि अपने बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए कोर्ट में पैरवी कर रहे पिता श्रवण साहू ने जब तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी से सुरक्षा की गुहार लगाई थी तो इसे अनसुना कर दिया गया था और उसके कुछ दिन बाद 1 फरवरी 2017 को श्रवण साहू की बदमाशों ने हत्या कर दी थी. इस मामले में सीबीआई जांच हुई और मंजिल सैनी को लापरवाही का दोषी मानते हुए मार्च 2021 को विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी. विभाग ने जांच बैठाई और फिर सभी के बयान दर्ज करने के बाद मंजिल सैनी को क्लीन चिट दे दी गई थी.



केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के नहीं माना था काबिल :एक वक्त था जब आईपीएस मंजिल सैनी को प्रतिनियुक्ति पर जाने के योग्य नहीं माना गया था. केंद्र सरकार ने उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पांच वर्ष तक अयोग्य (डीबार) घोषित कर दिया था. दरअसल, मंजिल सैनी ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन किया था. मुजफ्फरनगर में तैनाती के दौरान सीबीआई ने उनकी अर्जी स्वीकार कर ली, लेकिन उन्होंने तब चाइल्ड केयर के लिए छह माह की लीव के लिए अर्जी डाल दी, ऐसे में मई 2013 को उन्होंने केंद्र को जवाब देते हुए कहा कि अब वो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं जाना चाहती हैं. ऐसे में जुलाई 2013 को केंद्र ने उन्हें पांच वर्षों के लिए डिबार घोषित कर दिया था.




किडनी चोरी के रैकेट का भंडाफोड़ कर देश में हुईं प्रसिद्ध :यूपी में 'लेडी सिंघम' के नाम से चर्चित मंजिल सैनी 2005 बैच की यूपी कैडर की आईपीएस अफसर हैं. मंजिल सैनी ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से फिजिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया है. मंजिल सैनी इकोनॉमिक्स में गोल्ड मेडल विनर रही हैं. मंजिल सैनी ने वर्ष 2000 में जसपाल देहाल से प्रेम विवाह किया था. पढ़ाई के बाद उन्होंने 3 वर्षों तक कॉरपोरेट फर्म में काम किया. फिर इस्तीफा देकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की. वर्ष 2005 में पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और यूपी कैडर से आईपीएस अधिकारी बनीं. पहली पोस्टिंग में मुरादाबाद में एएसपी बनीं थीं. मंजिल सैनी तब चर्चा में आईं जब उन्होंने मेरठ व नोएडा में किडनी चोरी करने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया था. मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान भी उन्हें वहां तैनाती मिली थी. इसके अलावा लखनऊ व इटावा में भी पुलिस कप्तान रह चुकी हैं.

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