लखनऊ : 26 जनवरी को बहादुरी के लिए गैलेंट्री अवार्ड से सम्मानित होने वाली वर्ष 2005 बैच की तेजतर्रार आईपीएस अफसर मंजिल सैनी की यूपी में वापसी हो गई है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आने पर उन्हें डीजीपी मुख्यालय से अटैच किया गया है. जनवरी 2023 को उन्हें प्रोन्नति मिली थी, ऐसे में अब उन्हें आईजी के पद पर तैनाती मिलेगी. फिलहाल अभी तक वो एसपी एनएसजी थीं.
26 जनवरी को मिला था गैलेंट्री अवार्ड :गणतंत्र दिवस के मौके पर 'लेडी सिंघम' के नाम से मशहूर मंजिल सैनी को तत्कालीन डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के साथ मेरठ में तैनाती के दौरान दिल्ली के डॉक्टर को बदमाशों के चंगुल से छुड़वाने के लिए गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा गया था. दरअसल, 6 जुलाई 2017, दिल्ली के एक डॉक्टर श्रीकांत का गौड़ का कुछ बदमाशों ने अपहरण कर लिया था. फिरौती में डॉक्टर के परिवार से पांच करोड़ रुपयों की डिमांड की गई थी. दिल्ली की स्पेशल सेल किडनैपर्स की तलाश में जुटी थी, लेकिन न ही डॉक्टर का कोई सुराग लग रहा था और न ही अपहरकर्ताओं की कोई भनक. सूचना मिली की डॉक्टर को बदमाशों ने मेरठ में छिपाकर रखा हुआ है. तब क्या था कि, तत्कालीन एडीजी मेरठ प्रशांत कुमार व एसएसपी मंजिल सैनी ने मोर्चा संभाला और 19 जुलाई को डॉक्टर का अपहरण करने वाले चार बदमाशों को एनकाउंटर कर गिरफ्तार कर लिया था.
जब श्रवण साहू हत्याकांड में घिरी थीं मंजिल सैनी :लखनऊ में एसएसपी रहते मंजिल सैनी, विवादों में भी घिर गई थीं. आरोप लगा था कि अपने बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए कोर्ट में पैरवी कर रहे पिता श्रवण साहू ने जब तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी से सुरक्षा की गुहार लगाई थी तो इसे अनसुना कर दिया गया था और उसके कुछ दिन बाद 1 फरवरी 2017 को श्रवण साहू की बदमाशों ने हत्या कर दी थी. इस मामले में सीबीआई जांच हुई और मंजिल सैनी को लापरवाही का दोषी मानते हुए मार्च 2021 को विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी. विभाग ने जांच बैठाई और फिर सभी के बयान दर्ज करने के बाद मंजिल सैनी को क्लीन चिट दे दी गई थी.