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बेशकीमती है गोल्डन रॉक, कोई घोड़ा नहीं तोड़ पाया इसका रिकॉर्ड, जानें इसकी नस्ल व क्यों बना पहली पसंद - अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में कई नस्ल के घोड़े-घोड़ियां आईं हैं. इनमें मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा गोल्डन रॉक पहली पसंद बना हुआ है.

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला
अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला (ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 11, 2024, 11:06 AM IST

Updated : Nov 11, 2024, 5:09 PM IST

अजमेर : हॉर्स लवर्स के लिए अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला जन्नत बन गया है. पिछले एक दशक से मेले में अश्व वंश बढ़ता ही जा रहा है. देशभर से स्टड फार्म का संचालन करने वाले पुष्कर मेले में अपने अश्व लेकर आए हैं. मेले में कई तरह के घोड़े-घोड़ियां आईं हैं. इनमें मारवाड़ी नस्ल के अलावा काठियावाड़ी और सिंध भी शामिल हैं. मेले में उत्तर भारत से ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत से भी स्टड फार्म संचालक अपने अश्व वंश के साथ आए हैं. इस बार पुष्कर मेले में 4 हजार 633 अश्व वंश आया हुआ है. इनमें 3 हजार 81 राजस्थान के विभिन्न जिलों से और अन्य प्रदेशों से 1 हजार 552 अश्व वंश आए हैं.

50 हजार से करोड़ों तक कीमत :अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में अश्व वंश की कीमत 50 हजार से लेकर करोड़ों रुपए तक है. यहां मारवाड़ी और पंजाब का नुगरा नस्ल का सफेद घोड़ा पहली पसंद है. देशभर से खरीदार भी पुष्कर आए हुए हैं. खरीदार मेले में घूम कर घोड़े-घोड़ियों को देख रहे हैं. 11 और 12 नवम्बर तक बिक्री में तेजी आएगी. पशुपालन विभाग के मुताबिक 150 के लगभग आश्व वंश की बिक्री मेले में अभी तक हुई है. अभी तक 1 करोड़ रुपए से ऊपर अश्व वंश की खरीद फरोख्त हो चुकी है.

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में बेशकीमती घोड़े (ETV Bharat Ajmer)

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मेले में हॉर्स ट्रेलर भी आए बिकने :घोड़े-घोड़ियों को परिवहन करके लाना-ले जाना काफी मंहगा पड़ता है. इस परिवहन में घोड़े-घोड़ियों को कई तरह की तकलीफ भी होती है, लेकिन हॉर्स ट्रेलर में अश्व के लिए लग्जरी व्यवस्था है. हॉर्स ट्रेलर कम्पनी के निदेशक युवराज सिंह ने बताया कि कंपनी यूएस, न्यूजीलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में हॉर्स ट्रेलर सप्लाई कर रही है. देश में भी स्टड फार्म संचालकों को हॉर्स ट्रेलर की उपयोगिता और अश्व वंश के परिवहन में सुविधा के बारे में बताया जा रहा है. उन्होंने बताया कि हॉर्स ट्रेलर की शुरुआती कीमत साढ़े 3 लाख रुपए है.

दुबई से हाशमी दम्पति आए, हैदराबाद से लाए घोड़े :दुबई में रहने वाले निसार हाशमी आईफोन का होलसेल का बिजनस करते हैं. निसार हाशमी को भारत से बहुत प्यार है. वे मूलतः हैदराबाद से हैं. वो अपनी पत्नी जीनत के साथ शुक्रवार रात को दुबई से पुष्कर आए हैं. निसार हाशमी का हैदराबाद में स्टड फार्म है, जिसको उन्होंने 2016 में शुरू किया था. दुबई से ही निसार हाशमी और उनकी पत्नी जीनत स्टड फार्म संभालते हैं. निसार हाशमी बताते हैं कि मारवाड़ी नस्ल में काला कांटा घोड़ा काफी प्रसिद्ध रहा है. काला कांटा कई प्रतियोगिताओं में चैंपियन रहा है. हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी अजीत नांदल से उन्होंने काला कांटा की मां हंसिया को खरीदा था. हंसिया का एक और बच्चा सालार उनके पास है, जिसकी हाइट 65 इंच है और उम्र 31 माह है. काले रंग का यह घोड़ा मारवाड़ी उन्नत नस्ल है. इसके सहित 5 घोड़ों को वे पहली बार पुष्कर मेले में लेकर आए हैं. हाशमी ने बातचीत में कहा कि पुष्कर हॉर्स लवर के लिए जन्नत बन गया है. घोड़े की खरीद के लिए पहले इधर-उधर जाना पड़ता था, लेकिन अब एक ही जगह पर हजारों घोड़ें देखने को मिल जाते हैं.

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मारवाड़ी नस्ल सबसे बेहतर :हाशमी ने बताया कि दुबई में रहते हुए उन्होंने कई विदेशी नस्ल के घोड़े भी देखे हैं, लेकिन उन्हें अपनी भारत में पाए जाने वाली मारवाड़ी नस्ल के घोड़े से प्यार है. मारवाड़ी नस्ल के घोड़े हमारे राजा महाराजा अपने पास रखा करते थे. यह जंगी घोड़े हैं और अपने मालिक के प्रति वफादार होते हैं, इसलिए मारवाड़ी नस्ल के घोड़े का कोई सानी नहीं है. पुष्कर पशु मेले में पंजाब के नुरगढ़ से घोड़े लेकर आए सन्नी गिल भी कारोबारी हैं. कारोबार के साथ घोड़े घोड़ियां पालना उनका शौक है. मेले में सबसे उन्नत नस्ल का मारवाड़ी घोड़ा गोल्डन रॉक उनके पास है. सन्नी गिल बताते हैं कि 17 प्रतियोगिता अभी तक जीत चुका है. पुष्कर मेले में भीगत वर्ष का चैंपियन गोल्डन रॉक ही था. बातचीत में उन्होंने बताया कि वह कई बार पुष्कर मेले में अपने घोड़े-घोड़ियां लेकर आ चुके हैं.

मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की डिमांड ज्यादा :अश्व पालक सन्नी गिल बताते हैं कि चैंपियनशिप में घोड़े की नस्ल को देखा जाता है. उसके पैरों का आकार, उसके शरीर की बनावट आदि मारवाड़ नस्ल के घोड़ों में देखी जाती है. गोल्डन रॉक घोड़ा मारवाड़ी नस्ल में उदाहरण है. प्रतियोगिताओं का मकसद भी नस्ल सुधार ही होता है. गोल्डन रॉक के कई बच्चें भी हमारे पास हैं जो हूबहू उसकी तरह हैं. सदियों से पशुपालन को मेले के माध्यम से बढ़ावा मिलता आया है. आज के दौर में घोड़ों की कीमतें भी ऊंची हो गईं हैं. देश भर से खरीदार पुष्कर मेले में आते हैं. गिल भी 22 घोड़ें लेकर आए हैं. कुछ खरीदेंगे और कुछ बेचेंगे.

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मुंह से निकल जाए वही कीमत है :कारोबारी और अश्व पालक सन्नी गिल बताते हैं कि अश्व पालना शौक है और इसकी कोई कीमत नहीं होती है. उन्नत नस्ल का घोड़ा एक ही होता है और वह बेशकीमती होता है. ऐसे घोड़ों के पालक के मुंह से जो निकल जाए वही कीमत है. यह खरीदार पर निर्भर करता है कि वह कितनी शिद्दत से घोड़ा खरीदना चाहता है. खरीदार दिल से घोड़ा खरीदना चाहता है और उसकी हैसियत है तो फिर कीमत की कोई सीमा नहीं होती. बता दें कि पुष्कर पशु मेला एशिया का सबसे बड़ा मेला है.

Last Updated : Nov 11, 2024, 5:09 PM IST

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