अलवर :आदिशक्ति के महापर्व नवरात्र के मौके पर यूं तो हर देवी मंदिरों में माता की महिमा गूंज रही है. माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें भी लग रही हैं. जगह-जगह चल रहे भजन कीर्तन में लोग मइया की महिमा का जमकर बखान भी कर रहे हैं. इस बीच आज हम आपको अलवर के मालाखेड़ा बाजार में स्थित वैष्णो देवी मंदिर की महिमा बताने जा रहे हैं.
गुफा वाले इस मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लग रही है. कारण है कि यह मंदिर जम्मू स्थित कटरा के वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर ही बनाया गया है. इस मंदिर में माता के तीनों पिंडी स्वरूपों की पूजा की जाती है. वहीं, भक्तों के लिए साल में मात्र नवरात्रों पर ही दर्शन के लिए यह गुफा खोली जाती है. इसके चलते बड़ी संख्या में भक्त यहां पर आकर गुफा में माताजी के दर्शन करते हैं.
अलवर के वैष्णोदेवी मंदिर के निर्माण की कहानी (ETV BHARAT ALWAR) इसे भी पढ़ें -यहां माता के घुटनों की होती है पूजा, खीर-पूरी और मांस-मदिरा का भी लगता है भोग - Navratri 2024
55 साल पुराना है मंदिर :मंदिर के महंत नरेश पाराशर ने बताया कि यह मंदिर करीब 55 साल पुराना है. इसे माता वैष्णो देवी गुफा वाले मंदिर के नाम से जाना जाता है. वैष्णो देवी मंदिर के तर्ज पर अलवर के मंदिर में गुफा बनाई गई है. यहां रोजाना भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं, लेकिन भक्तों के लिए नवरात्रों के पर्व पर विशेष आकर्षण रहता है. नवरात्र के पर्व पर मंदिर में बनी गुफा भक्तों के लिए शुरू की जाती है. बडी संख्या में भक्त 9 दिन आकर माता के पिंडी स्वरूप के दर्शन करते हैं. उन्होंने बताया कि नवरात्र के समय में मंदिर के पट सुबह 4 बजे खुल जाते हैं और देर रात 12 बजे तक भक्त माता के दर्शन करते हैं. उन्होंने बताया कि 9 दिन मंदिर प्रांगण में संगत की ओर से माता के गीत व भजन गाए जाते हैं. साथ ही ऑर्केस्ट्रा पार्टी भी भक्तों को झूमने पर मजबूर कर देते हैं. महंत ने बताया कि जो भक्त कटरा स्थित वैष्णो मंदिर नहीं जा पाए वह सब यहां आकर माता के दर्शन करते हैं.
माता के पिंडी रूप के दर्शन मात्र से पूरी होती है भक्तों की मनोकामनाएं (ETV BHARAT ALWAR) जम्मू के कारीगरों ने किया तैयार :महंत नरेश पाराशर ने बताया कि मंदिर का निर्माण के लिए विशेष रूप से जम्मू के कारीगरों को बुलाया गया. उन्होंने ही इस मंदिर को व गुफा को तैयार किया है. महंत नरेश पाराशर ने बताया कि कारीगरों का कहना था कि अलवर में यह पहला मंदिर है, जिसे उन्होंने तैयार किया है. उन कारीगरों का कहना था कि अब ऐसा मंदिर उनके द्वारा कहीं नहीं बनाया जाएगा. महंत नरेश पाराशर ने कहा कि गुफा के अंदर रोजाना बर्फ डाली जाती है, जिससे कि पानी ठंडा रहे, मंदिर आने वाले भक्तों को गुफा के अंदर दर्शन करने पर विशेष आनंद प्राप्त होता है.
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गुफा में विराजित हैं पिंडी स्वरूप में माता : महंत नरेश पाराशर ने बताया कि मंदिर में बनी गुफा में देवी स्वरूप में विराजित काली, सरस्वती व लक्ष्मी के स्वरूप में माता की पूजा की जाती है. इसके साथ ही मंदिर प्रांगण में झूलेलाल, संतोषी माता, गणेश जी, हनुमान जी, शिव परिवार, राम दरबार सहित सभी देवी देवता विराजमान हैं. नवरात्र के दौरान ही इस गुफा को शुरू किया जाता है. इसके बाद गुफा को बंद करके बाहर से ही माता की आरती की जाती है.