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मत्स्य पालन के साथ अब मोती और सिंघाड़े की खेती, तीन गुना बढ़ेगी आमदनी - INTEGRATED AQUACULTURE

हजारीबाग के किसान अब एक साथ मत्स्य पालन, मोती उत्पादन और सिंघाड़ा की खेती कर तीन गुना आय कमा सकेंगे.

Integrated aquaculture training
प्रशिक्षण के दौरान किसान (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 24, 2025, 7:02 AM IST

हजारीबाग: जिले के किसान अब मतस्य पालन के साथ-साथ मोती उत्पादन और पानी फल सिंघाड़ा की खेती भी कर सकेंगे. हजारीबाग जिले के बरही अनुमंडल के दौडवा कुंडवा में एकीकृत जलीय कृषि प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया. किसान मत्स्य पालन, मोती उत्पादन और पानी फल सिंघाड़ा की खेती एक साथ कर सकेंगे. एकीकृत जलीय कृषि का मतलब है फसल, मवेशी और मछलियों का एक साथ पालना करना.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), मुंबई के प्रयास से हजारीबाग जिले के 70 मत्स्य कृषकों के लिए एकीकृत बहुपोषी जलीय कृषि मॉडल पर तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन बरही अनुमंडल पदाधिकारी जॉन टुडू ने किया, साथ ही प्रशिक्षण पुस्तिका का अनावरण भी किया.

मत्स्य पालन के साथ अब मोती और सिंघाड़े की खेती कर सकेंगे किसान (Etv Bharat)

केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई के वरीय वैज्ञानिक डॉ. प्रेम कुमार ने किसानों को मछली पालन, मोती उत्पादन और पानी फल सिंघाड़ा की खेती एक साथ करने की जानकारी दी. इस विधि से किसान स्वावलंबी तो होंगे ही, कम लागत में अधिक कमाई भी करेंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो कम मेहनत लगेगी और वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे.

उन्होंने कहा कि किसानों को सिर्फ मछली पालन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें मोती उत्पादन और सिंघाड़ा उत्पादन जैसे विकल्पों से जोड़कर उनकी आय के नए द्वार खोलने चाहिए. यह विधि मत्स्य पालकों के लिए मील का पत्थर साबित होगी. वे एक साथ तीन खेती कर सकेंगे. जिससे किसान की आय तीन गुना बढ़ जाएगी.

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