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फसलों की देशी प्रजातियों को संरक्षित करने की कवायद, जीन बैंक की स्थापना करेगा स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय - University will establish gene bank - UNIVERSITY WILL ESTABLISH GENE BANK

बीकानेर के स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय नवाचार करते हुए फसलों की देशी प्रजातियां को संरक्षित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में जीन बैंक की भी स्थापना की जाएगी. विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि इसके साथ ही फसलों की देशी प्रजातियों को संरक्षित करने की कवायद भी शुरू की जाएगी.

जीन बैंक की स्थापना करेगा विश्वविद्यालय
जीन बैंक की स्थापना करेगा विश्वविद्यालय (फोटो ईटीवी भारत बीकानेर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 17, 2024, 7:00 AM IST

बीकानेर.जलवायु परिवर्तन के साथ ही मौसम चक्र में परिवर्तन के चलते किसान प्रभावित नहीं हो और जानकारी के अभाव में किसानों को फसल भरपूर उत्पादन नहीं मिलने की समस्या को देखते हुए स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय देसी फसलों की अलग-अलग प्रजातियों को सुरक्षित करने की कवायद शुरू कर रहा है. विभिन्न फसलों की देशी प्रजातियां को संरक्षित करते हुए 'पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार अभिकरण'' (प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैराइटीज एंड फॉर्मर्स राइट अथोरिटी- पीपीवीएफआरए) में किसान के नाम ही रजिस्ट्रेशन करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहल शुरू की है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्रजातियों को राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो में संरक्षित कराए जाने को लेकर भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रयास शुरू कर दिए हैं और उसको लेकर विश्वविद्यालय की कुलपति ने निर्देश दिए हैं. कुलपति डॉ अरुण कुमार ने विश्वविद्यालय के सभी विभाग में संचालित किए गए शोध कार्यक्रमों को संकलित कर उच्च तकनीकों को कृषकों तक पहुंचाने के निर्देश भी दिए.

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जीन बैंक की स्थापना करेगा विश्वविद्यालय :कुलपति डॉ अरूण कुमार ने साथ ही कहा कि इन देशी प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में जीन बैंक की भी स्थापना की जाएगी. ताकि भविष्य में जैसा मौसम परिवर्तित हो रहा है तापमान बढ़ रहा है या वर्षा में परिवर्तन हो रहा है. इसी प्रकार गुणवत्तायुक्त पौध प्रजाति जिसमें विटामिन, मिनरल्स,प्रोटीन आदि पदार्थ पाए जाते हैं इन सभी को आवश्यकतानुसार गुणों को ट्रांसफर करके ऐसी प्रजातियां विकसित की जाएगी जो वर्तमान समय के अनुरूप हो और किसानों के लिए लाभदायक हो.

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