नई दिल्ली : देश भर से कई लोग अपनी बीमारी को ठीक करने की उम्मीद से अक्सर एम्स, सफदरगंज या गंगा राम जैसे बड़े-बड़े अस्पताल में आते रहते है. ऐसे ही उम्मीद से एक 15 साल के मासूम बच्चे को इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां बच्चे में एक नहीं बल्कि तीन जटिल बीमारियों का पता चला. बच्चे, बिकरस्टाफ का ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी बीमारी से जूझ रहा था, जिसका ठीक होना नामुमकिन था. लेकिन यहां के डाक्टरों ने हार नहीं मानी और बच्चे को एक नया जीवनदान मिल गया.
डॉक्टर ने बताया कि कुछ समय पहले हरियाणा के करनाल जिले से एक 15 वर्षीय मरीज असंतुलन, बोलने में कठिनाई, दोहरी दृष्टि, खाना खाने में कठिनाई और कई तरह के लक्षण होने के साथ इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती हुआ. मरीज की हालत तेजी से बिगड़ने लगा और उसके चेहरे का विचलन, लार टपकना और दाहिनी आंख बंद करने में कठिनाई जैसे गंभीर लक्षण भी दिखाई देने लगे. इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पीएन रेनजेन की निगरानी में मरीज की जांच शुरू की गई.
डॉक्टरों ने आईवीआईजी से शुरू किया इलाज
एमआरआई जांच में पता चला कि मरीज को बिकरस्टाफ ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस, मिलर फिशर सिंड्रोम और एक्सोनल न्यूरोपैथी बीमारी है, जो दुर्लभ बीमारी की श्रेणी में आता है. डॉक्टरों ने बताया कि बिकरस्टाफ का ब्रेनस्टेम एन्सेफलाइटिस (बीबीई) एक दुर्लभ, ऑटोइम्यून बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है. वहीं, मिलर फिशर सिंड्रोम (एमएफएस) मरीज की नसों पर अटैक करता है. जबकि एक्सोनल न्यूरोपैथी केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकती है. अस्पताल में मरीज को करीब पांच दिन तक इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) के साथ इलाज किया गया, जिससे बच्चे ने अपनी स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार महसूस करने लगा. इसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.