देश के कोचिंग इंस्टिट्यूट पर इंदौर HC की नकेल, 50 से ज्यादा छात्रों के एडमिशन पर कराना होगा पंजीयन - मप्र कोचिंग रेगुलेटिंग बिल 2012
Coaching Centre Guidelines: छात्रों के भविष्य को देखते इंदौर हाईकोर्ट ने प्राइवेट कोचिंग संस्थानों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब सभी कोचिंग इंस्टिट्यूट को 50 से ज्यादा छात्रों के एडमिशन पर पंजीयन करना अनिवार्य होगा.
इंदौर।देश भर में विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने के नाम पर संचालित हो रहे तमाम कोचिंग इंस्टिट्यूट और कॉम्पिटेटिव एक्जाम सेंटर की तमाम गतिविधियां अब भारत सरकार के शिक्षा विभाग के अधीन रहेगी. दरअसल इंदौर हाई कोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका के बाद हाईकोर्ट ने केंद्र को विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले शिक्षा संस्थानों और कोचिंग सेंटरों के खिलाफ गाइडलाइन तैयार करके उन्हें गाइडलाइन के दायरे में लाने के निर्देश दिए हैं.
केंद्र को देना होगी सभी जानकारी
हाई कोर्ट के आदेश के बाद आगामी 3 महीने में सभी कोचिंग इंस्टिट्यूट को न केवल पंजीयन करना होगा बल्कि अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या के अलावा तमाम छात्रों की जानकारी और कोचिंग की सुविधाओं की जानकारी भी अब केंद्र शासन को देनी होगी. इस आदेश का पालन नहीं करने पर कोर्ट ने कोचिंग इंस्टिट्यूट के खिलाफ लाखों के आर्थिक दंड के अलावा इंस्टिट्यूट को स्थाई तौर पर बंद करने की व्यवस्था भी दी है. यह पहला मौका है जब देशभर के कोचिंग इंस्टिट्यूट की मनमानी के खिलाफ किसी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने किसी तरह का फैसला दिया हो.
प्राइवेट कोचिंग संस्थानों पर हाईकोर्ट का फैसला
मनमानी फीस लेते हैं कोचिंग इंस्टिट्यूट
दरअसल देश के कॉम्पिटेटिव एक्जाम के एजुकेशन हब कहे जाने वाले कोटा, दिल्ली, पुणे और इंदौर जैसे शहरों में लाखों की संख्या में बच्चे स्कूल की पढ़ाई लिखाई के अलावा प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने के लिए इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में हर साल लाखों की फीस चुकाकर एडमिशन लेते हैं. इसके अलावा कोचिंग इंस्टिट्यूट में जो शिक्षक उन्हें पढ़ते हैं ना तो उनके क्वालिफिकेशन का कोई पता होता ना ही कोचिंग इंस्टिट्यूट की शैक्षणिक सुविधाओं का लाभ सभी बच्चों को मिल पाता है. इन इंस्टिट्यूट में जो बच्चे मेधावी होते हैं उन्हें rankar कैटेगरी में और जो औसत होते हैं उन्हें banker कैटेगरी में डाल दिया जाता है.
इंदौर हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका
कोचिंग सेंटरों की जो कक्षाएं लगती हैं उनमें एक-एक क्लास में सैकड़ों बच्चों को बिठाकर पढ़ाया जाता है. जिनके बीच भी कंपटीशन की भावना होती है. इनमें से जो बच्चे प्रतियोगिता परीक्षाओं में सेलेक्ट हो जाते हैं उन्हें एक कोचिंग के अलावा कई कोचिंग द्वारा अपना छात्र बढ़कर प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में श्रेय लूटने का काम किया जाता है. जो बच्चे किसी कारणवश कोचिंग छोड़ते हैं, उनसे भी कोचिंग संस्थानों द्वारा पूरी फीस जमा कराई जाती है जो वापस करने योग्य नहीं होती. इन तमाम विषयों को लेकर इंदौर के वकील अमन मालवीय ने अपने अधिवक्ता प्रवर वारचे के माध्यम से इंदौर हाई कोर्ट में इस आशय की जनहित याचिका दायर की थी.
सिलेबस में दर्शानी होगी फीस
याचिका पर सुनवाई के बाद इंदौर हाई कोर्ट की डबल बेंच ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय को इस आशय के निर्देश दिए थे. फिलहाल मंत्रालय ने इस आदेश के बाद जो गाइडलाइन जारी की है उसके मुताबिक 50 बच्चों से ज्यादा की संख्या में पढ़ने वाले कोचिंग इंस्टिट्यूट को शिक्षा विभाग से पंजीयन करना होगा. इसके अलावा न केवल अपने यहां पढ़ने वाली फैकेल्टी बल्कि कोर्स की फीस भी सिलेबस में पहले ही दर्शनी होगी. इसके अलावा क्या कोर्स पढ़ाई जाएंगे यह जानकारी भी गाइडलाइन के अनुरूप देनी होगी. वहीं, कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र यदि किसी कारण से कोचिंग छोड़ने हैं तो शेष समय की पूरी फीस छात्रों को लौटानी होगी. कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाई जाने वाले कोर्स की फीस भी केंद्र शासन के समक्ष सार्वजनिक करनी होगी.
मध्य प्रदेश में कोचिंग इंस्टिट्यूट की मनमानी के खिलाफ मध्य प्रदेश कोचिंग इंस्टिट्यूट रेगुलेटिंग बिल 2012 में तैयार किया गया था. जिसे राज्य सरकार को तत्काल लागू करना था लेकिन बीते 10 साल में भी कोचिंग माफिया और शिक्षा माफिया के दबाव में आज भी यह बिल लंबित है. हालांकि अब हाई कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी किया है तो माना जा रहा है कि आगामी तीन माह में देश के कई कोचिंग इंस्टिट्यूट इसे गाइडलाइन के दायरे में ले जा सकेंगे. जिससे कि न केवल छात्र बल्कि उनके परिजनों को कोचिंग संस्थानों की लूट खसोट और मनमानी से राहत जरूर मिल सकेगी.