ग्वालियर: मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के धन कुबेर सौरभ शर्मा को लेकर आए दिन नए नए खुलासे हो रहे हैं. पुलिस भोपाल के साथ-साथ ग्वालियर में भी जड़े तलाश रही है. इस सबके बीच इस केस से जुड़े आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू ने चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जिनका दावा है कि सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की अनुशंसा पर हुई थी.
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त, आयकर से लेकर ईडी जैसी जांच एजेंसियां लगातार जांच कर रही है. अब तक करोड़ों का सोना-चांदी और कैश बरामद हो चुका है. सौरभ शर्मा की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. पता चला है कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति पूरी तरह फर्जी थी. संकेत साहू का आरोप है कि मध्य प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का भी कनेक्शन सौरभ शर्मा की नियुक्ति से जुड़ा है.
तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने की थी सिफारिश
ग्वालियर के RTI एक्टिविस्ट संकेत साहू ऐसे तथ्य सामने लाए हैं. जिसने इस केस को और चौंकाने वाला बना दिया है. RTI एक्टिविस्ट संकेत साहू ने एक अनुशंसा पत्र मीडिया के सामने रखा है. जिसमें आरोप है कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा का लेटर पैड पर सौरभ शर्मा को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की सिफारिश की गई है. यह पत्र 12 अप्रैल 2016 को लिखा गया है.
'सीएमएचओ ने दी थी गलत जानकारी'
संकेत साहू का कहना है कि, "सौरभ शर्मा को पिता डॉक्टर आरके शर्मा की मौत के बाद उसे अनुकंपा नियुक्ति का फायदा पहुंचाने के लिए तत्कालीन सीएमएचओ ने सौरभ शर्मा के साथ मिलीभगत की थी और फर्जी तरीके से गलत तथ्य के साथ लेटर जारी किया था. जिसमें बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग में सहायक वर्ग तीन के लिए कोई पद खाली ही नहीं है. षड़यंत्रपूर्वक सौरभ शर्मा को गलत तथ्यों के आधार पर नियुक्त कराया गया. तत्कालीन सीएमएचओ के पत्र के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ग्वालियर ने भी 12 अगस्त 2016 को अपना पत्र परिवहन विभाग को दिया और परिवहन विभाग ने सौरभ शर्मा की नियुक्ति कर दी."
पहली पोस्टिंग भी दतिया के बैरियर पर
संकेत साहू ने आरोप लगाया कि "सौरभ शर्मा की नियुक्ति मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में किसी और की वजह से नहीं बल्कि तत्कालीन शिवराज सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा के अनुशंसा पत्र से हुई थी, उनकी सिफारिश करते ही उसे आरक्षक के पद पर परिवहन विभाग में पदस्थ कर दिया गया था. इसमें गौर करने वाली बात यह भी है कि जिस दतिया विधानसभा क्षेत्र से डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा विधायक थे. वहां क्षेत्र के चिरूला बैरियर पर उसकी पहली पोस्टिंग हुई. इससे यह स्पष्ट होता है कि सौरभ शर्मा की पोस्टिंग मिलीभगत से हुई थी."
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सीएमएचओ से मंत्री तक सबकी मिलीभगत
RTI एक्टिविस्ट संकेत साहू का आरोप है कि "शर्मा की नियुक्ति संगठित रूप से षड़यंत्र कर कराई गई थी. जिसमें तत्कालीन सीएमएचओ, तत्कालीन कलेक्टर संजय गोयल, तत्कालीन परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव शामिल थे और नरोत्तम मिश्रा भी शामिल थे, क्योंकि उनका अनुशंसा पत्र इस बात की गवाही दे रहा है. संकेत साहू का यह भी आरोप है कि सबसे ज्यादा वसूली दतिया के चिरूला और दूसरे बेरियर पर ही होती थी. जिसका खुलासा भी वे जल्द ही तथ्यों के साथ दो दिन बाद करेंगे.
नरोत्तम मिश्रा बोले- मुझे इसकी जानकारी नहीं
वहीं इस मामले में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि "कानूनी रूप से इसमें गलत क्या है. मैं उस समय इस विभाग का मंत्री था. अनुकम्पा नियुक्ति के लिए ये आवेदन आया था. उसे आगामी कार्रवाई के लिए मैंने स्वास्थ्य आयुक्त की तरफ भेज दिया था. ये तो मंत्री बतौर मेरे रूटीन कामकाज का हिस्सा था. इसके बाद के घटनाक्रम की मुझे कोई जानकारी नहीं है."