गोरखपुर: भाई बहन के अटूट प्रेम के पर्व रक्षाबंधन को निभाने के लिए बहने भाई के घर तो भाई बहनों के घर पहुंचा करते हैं. जो बहन नहीं पहुंच पाती वह अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए, डाक विभाग का सहयोग लेती हैं. वह भी इस विश्वास के साथ कि उनकी राखी समय से पहुंचेगी और भाई की कलाई सूनी नहीं रहेगी. लेकिन, 17 साल पहले गोरखपुर से पंजाब के लिए भेजी गई एक राखी जब भाई तक नहीं पहुंची तो, बहन ने डाक विभाग पर मुकदमा कर दिया.
लीलावती नाम की यह बहन अपने भाई की कलाई पर रखी न बंधने से इतनी दुखी हो गई कि वह वर्ष 2007 से इस मुद्दे की लड़ाई लगातार लड़ रही हैं. लेकिन डाक विभाग और कंज्यूमर फोरम तक से अभी उसके पक्ष में फैसला नहीं हुआ है. यही वजह है कि अब उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर इस मामले में त्वरित न्याय की गुहार लगाई है.
यह घटना वर्ष 2007 में घटी थी. जब पंजाब में रहने वाले भाई के पास रजिस्टर्ड डाक से सही पते पर लीलावती ने राखी भेजी थी. डाक विभाग ने भाई को राखी नहीं पहुंचाई और रक्षाबंधन के एक दिन पहले, यह राखी लीलावती के पते पर वापस आ गई. जबकि भाई के पंजाब निवास का पता ठिकाना सब कुछ ठीक था.
कारण स्पष्ट न होने पर लीलावती काफी दुखी हुई. जिस पर उसके कहने पर उसके पति बिंदु प्रसाद चौधरी ने उपभोक्ता फोरम में डाक विभाग पर दावा ठोक दिया. इस मामले में फैसला भी उनके पक्ष में आया, जिसके बाद डाक विभाग राज्य उपभोक्ता आयोग पहुंच गया. तभी से शुरू हुई लड़ाई अब तक जारी है.
राज्य स्तर से इस मामले में निर्णय नहीं हो रहा है तो वहीं लीलावती अपनी बढ़ती उम्र और बीमारी के बाद भी इस लड़ाई को लड़ रही हैं. वह दृढ़ प्रतिज्ञ हैं कि वह इसमें डाक विभाग पर जुर्माना कराकर ही दम लेंगी और अंतिम सांस तक इस लड़ाई को लड़ेंगी.
लीलावती के पति बिंदु प्रसाद कहते हैं कि न्याय की आस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी प्रार्थना पत्र भेजा है. जनता दरबार में गुहार लगाई है. वह अब इस माध्यम से आगे बढ़ रहे हैं. उन्हें न्याय कब तक मिलेगा, लड़ाई कब तक चलेगी यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन, उनकी कहानी राखी के पर्व की गंभीरता को बयां करती है और डाक विभाग की लापरवाही भी उजागर करती है. जिसके सहारे लाखों बहने अपने भाइयों की कलाई को सजाने का सपना संजोए रखती हैं.
हालांकि, ऐसी घटना बहुत कम देखने को मिलती है. लेकिन, इस घटना में बहन का दिल इतना टूटा की डाक विभाग को उसने कानूनी कटघरे में खड़ा कर दिया है. लीलावती के पति बिंदु प्रसाद बताते हैं कि 18 अगस्त 2007 को पंजाब के शेरपुर में रहने वाले अपने साले खूब लाल चौधरी के नाम, उनकी पत्नी की ओर से पंजीकृत डाक से राखी भेजी गई थी.
उस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व 28 अगस्त को था लेकिन, डाक विभाग बिना कोई कारण बताएं उनकी रजिस्ट्री 27 अगस्त को वापस कर दी. वह भी रक्षाबंधन से एक दिन पहले. इसके बाद उन्होंने 30 अगस्त को डाक विभाग को नोटिस भेजा लेकिन, उसका कोई जवाब नहीं आया जिस पर उन्हें जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल करना पड़ा. 2 साल बाद 19 में 2009 को उनके पक्ष में फैसला आया.
फोरम ने डाक विभाग को आदेश दिया कि वादी को ₹5000 क्षतिपूर्ति दी जाए और ₹1000 प्रतिवाद का खर्च भी. बिंदु प्रसाद ने बताया कि 2 महीने तक फोरम के निर्णय के अनुपालन का इंतजार उन्होंने किया. लेकिन, जब कोई जवाब नहीं आया तो वसूली के लिए दूसरा वाद दाखिल कर दिया. जिसके विरुद्ध डाक विभाग ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतिशोष आयोग लखनऊ में अपील कर दिया.
जिसमें डाक विभाग को स्थगन मिल गया और लगभग 13 वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी उसमें यथा स्थिति बनी हुई है. वह बताते हैं कि उन्हें तारीख पर तारीख मिल रही है लेकिन, रिजल्ट नहीं आ रहा. अब लेट लतीफी से वह ऊब गए हैं तो उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में गुहार लगाई है. जिससे कम से कम समय में मामले का निस्तारण हो और निर्णय चाहे जो भी हो लेकिन निर्णय हो.
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