वाराणसीः सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अभद्र टिप्पणी करने वालों पर अब लगाम लगेगा. आईआईटी BHU ने इसको लेकर के शोध किया है. आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर और छात्र ने एआई तकनीक से सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करने वालों से निपटने का समाधान ढूंढ लिया है.
अब सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी और ट्रोलिंग की खैर नहीं, इस तकनीक से कसेगा शिकंजा - IIT BHU Research
आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग ने सोशल मीडिया पर साइबर बुलिंग या अभद्र टिप्पणी करने वालों पर रोक लगाने के लिए शोध किया है. इसके लिए एक नई तकनीक का प्रयोग किया है. जिससे मिश्रित भाषा में भी टिप्पणी करने वालों की पहचान हो सकेगी.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Oct 1, 2024, 4:09 PM IST
IIT BHU में हुआ शोधःसोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनेकों ऐसे लोग हैं, जो साइबर बुलिंग यानी की अभद्र टिप्पणी के माध्यम से लोगों को परेशान करते हैं. इस समस्या को देखते हुए आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग के छात्र व प्रोफेसर ने साइबर बुलिंग को किस तरीके से रोका जाए, इस पर शोध किया है. इसके लिए एक नई तकनीक का प्रयोग किया है. जिससे मिश्रित भाषा में भी टिप्पणी करने वालों का पहचान कर उसे दूर किया जा सके.
मिश्रित भाषा में टिप्पणी की भी होगी पहचानःप्रोफेसर डॉ. रविंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल आबादी वाला घर है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, एक्स इत्यादि काफी सक्रिय है. यह प्लेटफॉर्म हमारे दैनिक जीवन का एक बड़ा हिस्सा भी बन गए हैं. लेकिन यहां पर कई ऐसे और संवेदनशील लोग भी हैं, जो साइबर बुलिंग जैसे कृत्य करते हैं. उन्होंने बताया कि साइबर पुलिंग करने वाले लोग अक्सर हिंदी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं. ऐसे में किस तरीके से से बचा जाए, इसी को लेकर के विभाग के छात्र पारस ने शोध किया है.
शोध का जनरल में हुआ प्रकाशनःप्रोफेसर डॉ. रविंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि छात्र पारस तिवारी ने शोध में देवनागरी-रोमन मिश्रित टेक्स्ट की जटिलताओं का गहन विश्लेषण किया. 20.38 प्रतिशत प्रासंगिकता स्कोर के साथ कोड-मिश्रित अपमानजनक टेक्स्ट, उदाहरणों को एकत्र और एनोटेट करने के लिए एक किफायती पद्धति को प्रस्तावित किया है. उन्होंने इसके लिए पारंपरिक मशीन, लर्निंग तकनीकों और उन्नत प्री-ट्रेंड बड़े भाषा मॉडलों का उपयोग करके प्रभावी समाधान निकाला है. जिससे भारत में विविध उपयोगकर्ता आधार के लिए एसएमपी को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि यह शोध भारत की विशाल और विविध डिजिटल समुदाय के लिए साइबर बुलिंग से निपटने के लिए अधिक सटीक और समर्पित समाधान विकसित करने की नींव प्रदान करता है. यह शोध बहुप्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल स्प्रिंगर लिंक के लैग्वेंज रिसोर्स एंड इवाल्युवेशन में जनवरी 2024 में प्रकाशित हो चुका है. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने नए शोध के लिए डॉ. रविंद्र चौधरी सी. और उनकी टीम को बधाई दी है.
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