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नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश से कोसी नदी में उफान, मधुबनी के दर्जनों गांव में घुसा बाढ़ का पानी - Flood In Bihar

Kosi River In Madhubani: मधुबनी में कोसी नदी का जलस्तर बढ़ गया है. नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश से कोसी उफान पर है. 3 लाख से भी ज्यादा क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया. आगे पढ़ें पूरी खबर.

FLOOD IN BIHAR
मधुबनी में कोसी नदी का जलस्तर बढ़ा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 7, 2024, 12:17 PM IST

मधुबनी में कोसी नदी का जलस्तर बढ़ा (ETV Bharat)

मधुबनी: बिहार के मधुबनी में लगातार जलस्तर बढ़रहा है. इसके पीछे का कारण है कि नेपाल के तराई क्षेत्र में हो रही भारी बारिश से कोसी नदी उफन पर है. जिससे पूर्वी और कोसी तटबंध के इलाके में रह रहे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है. कोसी नदी का जलस्तर इस साल का सबसे अधिक डिस्चार्ज रिकॉर्ड किया गया है. रविवार की सुबह 6:00 बजे 3 लाख 42 हजार 65 क्यूसेक पानी कोसी बराज पर डिस्चार्ज किया गया. वहीं सुबह 8 बजे 3 लाख 49 हजार 400 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है.

खोले गए 41 फटक: कोसी बराज के 56 फटकों में से 41 फटको को खोल दिया गया, ताकि नदी का जलस्तर तेजी से कम हो सके. इधर कोसी तटबंध में बढ़े जलस्तर से मधुबनी जिले के तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है. मधेपुर प्रखंड के महिपतिया, गढ़गांव, ड़ाराह, द्वालख पंचायत के दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है, लोगों के घरों का दरवाज, हैंडपंप और सभी कुछ डूब चुका है.

कोसी में आया उफान (ETV Bharat)

बर्बाद हुई किसानों की फसल: ग्रामिण रामफल यादव ने बताया हैं कि इस साल समय से पहले कोसी में पानी का डिस्चार्ज बहुत ज्यादा आया है. जिससे मुंग, पटुआ, धान और सब्जी में भिड्डी की फसल बर्बाद हो गई है. कई एकड़ो में लगी फसल बर्बाद होने से किसान परेशान हैं. दूसरी तरफ जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता ने कहा कि "तटबंध पूरी तरह सुरक्षित है. नेपाल में भारी बारिश के कारण अधिक मात्रा में पानी छोड़ा गया है. विभाग के अधिकारी नजर बनाए हुए हैं. वहीं जलस्तर के बढ़ने के अनुमान लगाया जा रहे है, जिसको लेकर तटबंध पर निगरानी रखी गई है."

"सरकार के नेता सिर्फ वोट लेने के लिए यहां आते हैं. जलस्तर में बढ़ोतरी होने के बाद पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर करीब दर्जनो गांवो में बाढ़ का पानी फैलने के बाद आमलोगो की जिंदगी बतर हो जायेगी. इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. हमारी फसल बर्बाद हो गई है."-रामफल यादव, ग्रामीण

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