रांची: भारतीय जनता पार्टी और एनडी को शिकस्त देने के लिए इस बार इंडिया गठबंधन के दलों ने यह रणनीति बनाई थी कि हर सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों का आमने-सामने का मुकाबला हो. झारखंड में भी इंडिया गठबंधन दलों में बहुत सारे किंतु परंतु के बावजूद किसी भी सीट पर फ्रेंडली फाइट की स्थिति नहीं बनी.
यहां तक कि लालू प्रसाद की पार्टी राजद भी सिर्फ एक सीट पलामू पर ही मान गयी. जबकि 2019 में महागठबंधन धर्म को छोड़ उसने चतरा लोकसभा सीट से कांग्रेस के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार दिया था. लेकिन इस बार इंडिया दलों की चट्टानी एकता को कमजोर करने में उनके ही दल के बागी नेताओं की लंबी कतार है. समाजवादी विचारधारा वाले कई नेता भी अलग अलग बैनर और सिंबल लेकर इंडिया ब्लॉक को नुकसान पहुंचाने को तैयार हैं.
कांग्रेस और झामुमो के नेता ऐसा नहीं मानते कि बागी इस बार कोई खास करामात दिखा पाएंगे. क्योंकि जनता ने केंद्र से पीएम मोदी को हटाने का मन बना लिया है. झामुमो-कांग्रेस नेता कहते हैं कि ज्यादातर बागी उम्मीदवार वोटकटवा साबित नहीं होंगे क्योंकि लड़ाई दो ध्रुवों के बीच है. झामुमो केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय कहते हैं कि हमारे जो भी बागी नेता हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी पर भाजपा के अंदर भी भीतरघात है. हम तो एनडीए के साथ बागियों से निपटने की भी रणनीति बनाई है पर एनडीए का उनके दल के नेता ही काम बिगाड़ेंगे.
झारखंड में बढ़ती जा रही बागी और अपनी साख रखने वाले प्रत्याशियों की संख्या
झारखंड में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान चौथे से सातवें चरण में होना है. कई जगहों पर नामांकन हो चुकी है तो कई सीट पर प्रक्रिया चल रही है. राजद नेता सह पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा पलामू, झामुमो नेता जेपी वर्मा कोडरमा से, पूर्व सांसद और कई दलों से होकर इस बार बसपा से नागमणि, लोहरदगा से झामुमो विधायक चमरा लिंडा, राजमहल लोकसभा सीट से झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम, खूंटी लोकसभा सीट से झामुमो के पूर्व विधायक बसंत लौंगा जैसे कई छोटे-बड़े नेता चुनाव मैदान में हैं. इनमें कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो अपनी क्षमता से एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच आमने-सामने की दिख रही लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की क्षमता रखते हैं.