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झारखंड में बढ़ती जा रही निर्दलीय और बागियों की संख्या, लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक का टेंशन न बढ़ा दें ये नेता! - Lok Sabha election 2024

Independent and rebel candiates in Jharkhand. लोकसभा चुनाव 2024 में निर्दलीय और बागी भी ताल ठोक रहे हैं. इस बार झारखंड में इनकी संख्या काफी है. इसको लेकर इंडिया गठबंधन और एनडीए के खेमे को जरूर चिंता में डाल दिया है.

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झारखंड में बढ़ती जा रही निर्दलीय और बागियों की संख्या (ETV Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 2, 2024, 5:55 PM IST

निर्दलीय और बागियों को लेकर जेएमएम और कांग्रेस नेताओं के बयान (ETV Bharat)

रांची: भारतीय जनता पार्टी और एनडी को शिकस्त देने के लिए इस बार इंडिया गठबंधन के दलों ने यह रणनीति बनाई थी कि हर सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों का आमने-सामने का मुकाबला हो. झारखंड में भी इंडिया गठबंधन दलों में बहुत सारे किंतु परंतु के बावजूद किसी भी सीट पर फ्रेंडली फाइट की स्थिति नहीं बनी.

यहां तक कि लालू प्रसाद की पार्टी राजद भी सिर्फ एक सीट पलामू पर ही मान गयी. जबकि 2019 में महागठबंधन धर्म को छोड़ उसने चतरा लोकसभा सीट से कांग्रेस के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार दिया था. लेकिन इस बार इंडिया दलों की चट्टानी एकता को कमजोर करने में उनके ही दल के बागी नेताओं की लंबी कतार है. समाजवादी विचारधारा वाले कई नेता भी अलग अलग बैनर और सिंबल लेकर इंडिया ब्लॉक को नुकसान पहुंचाने को तैयार हैं.

कांग्रेस और झामुमो के नेता ऐसा नहीं मानते कि बागी इस बार कोई खास करामात दिखा पाएंगे. क्योंकि जनता ने केंद्र से पीएम मोदी को हटाने का मन बना लिया है. झामुमो-कांग्रेस नेता कहते हैं कि ज्यादातर बागी उम्मीदवार वोटकटवा साबित नहीं होंगे क्योंकि लड़ाई दो ध्रुवों के बीच है. झामुमो केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय कहते हैं कि हमारे जो भी बागी नेता हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी पर भाजपा के अंदर भी भीतरघात है. हम तो एनडीए के साथ बागियों से निपटने की भी रणनीति बनाई है पर एनडीए का उनके दल के नेता ही काम बिगाड़ेंगे.

झारखंड में बढ़ती जा रही बागी और अपनी साख रखने वाले प्रत्याशियों की संख्या

झारखंड में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान चौथे से सातवें चरण में होना है. कई जगहों पर नामांकन हो चुकी है तो कई सीट पर प्रक्रिया चल रही है. राजद नेता सह पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा पलामू, झामुमो नेता जेपी वर्मा कोडरमा से, पूर्व सांसद और कई दलों से होकर इस बार बसपा से नागमणि, लोहरदगा से झामुमो विधायक चमरा लिंडा, राजमहल लोकसभा सीट से झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम, खूंटी लोकसभा सीट से झामुमो के पूर्व विधायक बसंत लौंगा जैसे कई छोटे-बड़े नेता चुनाव मैदान में हैं. इनमें कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो अपनी क्षमता से एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच आमने-सामने की दिख रही लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की क्षमता रखते हैं.

नजदीकी मुकाबले वाले लोकसभा सीटों पर दिख सकता है असर

इंडिया ब्लॉक के नेताओं के बागी होकर चुनाव में उतरने का कितना असर चुनावी नतीजों पर पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में कांग्रेस और झामुमो की राजनीति को जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने का खतरा उन सीटों पर ज्यादा होगा. जहां इंडिया और एनडीए में काफी नजदीकी मुकाबला होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि जिस तरह का ट्रेंड पहले के दो चरण में हुआ है और मतदान प्रतिशत कम रहा है. अगर वहीं ट्रेंड झारखंड में भी रहा तो फिर कई सीटों पर नजदीकी मुकाबला होगा तब ये बागी किसी को नुकसान और किसी को फायदा पहुंचा सकते हैं.

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