रुद्रप्रयाग:महर्षि अगस्त्य की तपस्थली अगस्त्यमुनि जिला रुद्रप्रयाग में शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र है. यहां पर सात इंटरमीडिएट कॉलेज और एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय होने के साथ ही कई छोटे निजी विद्यालय स्थित हैं. इसके बावजूद इसे नगर पंचायत बनने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. रुद्रप्रयाग जिला बनने के 15 वर्षों बाद 2013 में अगस्त्यमुनि को नगर पंचायत बनने का अवसर मिला.
दरअसल, 1997 में चमोली, टिहरी एवं पौड़ी जनपद के कुछ हिस्सों को काटकर रुद्रप्रयाग जिले का निर्माण किया गया. जिला बनने के बाद रुद्रप्रयाग में विकास कार्यों में तेजी आई. वहीं अगस्त्यमुनि में भी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुआ और यह जिले का सबसे बड़ा शिक्षा का केंद्र बना. वर्ष 2012 में ग्राम पंचायत नाकोट, बनियाड़ी एवं सौड़ी को मिलाकर अगस्त्यमुनि नगर पंचायत अस्तित्व में आई.
पहली बार 2013 में यहां के लोगों ने नगर निकाय चुनाव में प्रतिभाग किया. पंचायत सीट पर अशोक खत्री पहले अध्यक्ष बने. जिन्होंने 4 मई 2013 से 3 मई 2018 तक अध्यक्ष का पद संभाला. 2018 में चुनाव से पहले फिर इसका सीमा विस्तार किया गया और फलई ग्राम पंचायत के गंगानगर एवं मरघट तोक को इसमें मिलाया गया. 2013 में कुल चार वार्डों से प्रारंभ हुआ नगर पंचायत का विस्तार 2018 में सात वार्डों तक पहुंच गया.
दूसरे निकाय चुनाव में महिला सीट आरक्षित होने पर अरुणा बेंजवाल नगर पंचायत की पहली महिला अध्यक्ष बनीं. अब 2025 में एक बार पुनः नगर के लोग अपने तीसरे अध्यक्ष को चुनने को बेकरार हैं. हालांकि अभी चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है. लेकिन सीटों का आरक्षण घोषित हो गया है. जिसमें अगस्त्यमुनि को अनारक्षित रखा गया है. अस्तित्व में आने के बाद से ही इस नगर पंचायत अगस्त्यमुनि को नगर पालिका में उच्चीकृत करने का प्रस्ताव बनता रहा. अभी हाल में केदारनाथ उपचुनाव से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे नगर पालिका बनाने की घोषणा भी की. मगर अभी इसका विधिवत शासनासदेश नहीं हो पाया है. ऐसे में इस बार भी यहां नगर पंचायत के लिए ही मतदान होगा.