बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद इमलीपारा के दुकानों को तोड़ने का काम शुरू - BILASPUR IMLIPARA SHOPS DEMOLITION
बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद इमलीपारा के दुकानों को तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है. इस फैसले को लेकर हड़कंप मचा हुआ है. दुकान मालिकों ने कोर्ट के फैसले पर अपनी राय जाहिर की है.
इमलीपारा के दुकानों को तोड़ने का काम शुरू (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
बिलासपुर:बिलासपुर नगर निगम ने बुधवार से इमलीपारा रोड चौड़ीकरण में रोड़ा बन रहे 86 दुकानों को हटाने का काम शुरू कर दिया है. निगम की टीम के साथ पुलिस बल बुधवार को मौके पर पहुंची और दुकानों को तोड़ने का काम शुरू किया. इससे पहले निगम ने व्यापारियों को दूसरी जगह पर शिफ्ट करने के लिए उन्हें जगह अलॉट किया था. बावजूद इसके व्यापारी वहां जाना नहीं चाहते. इधर निगम की ओर से सख्ती से कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
ये है पूरा मामला:दरअसल, पुराना बस स्टैंड से इमलीपारा होते हुए सिविल लाइन को जोड़ने वाली सड़क पर नगर निगम की 86 दुकानें हैं. बढ़ते यातायात को देखते हुए नगर निगम ने साल 2015 में सड़क चौड़ीकरण का प्लान बनाया और इन दुकानों को शिफ्ट करने के लिए व्यापारियों को नोटिस दिया. क्योंकि यह सभी दुकानें नगर निगम ने कई साल पहले व्यापारियों को लीज पर दी थी. अब जगह की जरूरत पड़ने पर निगम इन्हें दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की बात कह रहा है. निगम के नोटिस के बाद बिजनेसमैन हाई कोर्ट पहुंच गए थे. मामले में 9 साल केस चलने के बाद कोर्ट ने नगर निगम के पक्ष में फैसला सुनाया.
सड़क चौड़ीकरण के लिए दुकानों को शिफ्ट करने की कार्रवाई की जा रही है. सड़क चौड़ीकरण में बाधा बने 86 दुकानों को हटाकर व्यापारियों को पुराने बस स्टैंड के अंदर दुकान के लिए जगह आबंटित किया गया है. दुकान हटाने के लिए व्यापारियों को पहले ही जानकारी दी गई थी. व्यापारियों को दुकान से सामान हटाने का समय दिया गया था. उनके सामान हटाने के लिए उन्हें व्यवस्था भी दी जा रही है. -सुरेश शर्मा, नगर निगम के भवन शाखा अधिकारी
जानिए क्या कहते हैं व्यापारी:इस पूरा मामले में व्यापारी अजय तिवारी का कहना है कि, "हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी में लिखा है कि व्यापारियों को 15 दिनों का समय दिया जाए. कोर्ट ने कहा है कि निगम व्यापारियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के साथ ही सामान शिफ्टिंग के लिए 15 दिन का समय दिया जाए.साथ ही निगम इन्हें जगह के साथ शिफ्टिंग में मदद भी करेगी. पुराने बस स्टैंड के जिस जगह पर उन्हें भेजा जा रहा है, वह पहले ही कांग्रेस भवन के लिए एलॉट किया जा चुका है. निगम ने कोर्ट को गलत जानकारी दी, जिस जगह उन्हें भेजा गया है. वहां शराब की दुकानें हैं. ऐसे में ग्राहक वहां नहीं आयेंगे." वहीं, दूसरे व्यापारी कोविंद राम पमनानी ने कहा कि, "इस करवाई से हम बर्बाद हो गए. इस करवाई के बाद अब हम कहां जायेंगे? अपना परिवार कैसे चलाएंगे?
व्यापारियों ने कार्रवाई को बताया गलत: बताया जा रहा है कि यातायात दुरुस्त करने के लिए नगर निगम ने साल 2015 में पुराना बस स्टैंड पर इमलीपारा की निगम की दुकानों को तोड़ने की करवाई शुरू की. इस करवाई के खिलाफ व्यापारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. 9 साल बाद हाईकोर्ट का निगम के पक्ष में फैसला आ गया है. निगम की ओर से अब दुकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इस फैसले से रोजी रोटी कमाने वाले बिजनेस मैन नाराज हैं.