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बालोद के डूबान क्षेत्र में मुरुम का अवैध परिवहन, नियमों की उड़ी धज्जियां, अफसर बोले जांच के बाद करेंगे कार्रवाई - Illegal transportation of Murum

illegal mining of murum बालोद के कपरमेटा डूबान क्षेत्र में लीज के नाम पर अवैध तरीके से खनन का मामला सामने आया है.ईटीवी भारत ने संबंधित जगह की तस्वीरें खनिज विभाग को उपलब्ध कराई है.जिसके बाद अब खनिज विभाग ने जांच कराने की बात कही है.

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 3, 2024, 7:16 PM IST

Dooban area of ​​Balod
मुरुम का अवैध परिवहन (ETV Bharat Chhattisgarh)

बालोद :बालोद जिले के कपरमेटा बांध डूबान क्षेत्र में इन दिनों लीज के नाम पर अवैध तरीके से मुरुम का परिवहन हो रहा है. मुरुम परिवहन की जितनी अनुमति दी गई है उससे ज्यादा का परिवहन किया जा चुका है. खनिज विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक गोपाल राठी के नाम से 2000 घन मीटर की अनुमति मुरुम खनन के लिए दी गई थी. क्योंकि संबंधित क्षेत्र डूबान क्षेत्र में आता है और बंद है. लेकिन ये अनुमति भी शक के दायरे में हैं.

कौन कर रहा है खनन ?:वहीं पूरे मामले में खनिज विभाग की जिला अधिकारी मीनाक्षी साहू ने बताया कि गोपाल राठी के नाम से लीज जारी हुई है. 2 हजार घन मीटर खुदाई की अनुमति दी गई है. लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो नजारा कुछ और ही था.क्योंकि 2 हजार घन मीटर की मुरुम की जगह कई गाड़ियों से मुरुम का परिवहन करवाया जा रहा था. मौके पर 12 गाड़ियां मौजूद थी.जिसमें जेसीबी की मदद से मुरुम खोदकर भरा जा रहा था.

''2000 घन मीटर की अनुमति है. वह किसी से भी परिवहन कर सकता है. यदि उससे अधिक खुदाई की बात सामने आती है तो हम खनिज निरीक्षक को भेज कर वहां मामले की जांच करवाएंगे.'' मीनाक्षी साहू, जिला खनिज अधिकारी




बगैर अनुमति चैन माउंटेन से खुदाई : आपको बता दें कि मुरुम खनन के लिए चैन माउंटेन की अनुमति नहीं है. बावजूद इसके ठेकेदार ने बाकायदा चैन माउंटेन लगाकर मुरुम खनन किया है.इस बारे में खनिज अधिकारी मीनाक्षी साहू ने चैन माउंटेन से खुदाई के विषय में अनुमति से इनकार किया है. मीनाक्षी साहू के मुताबिक चैन माउंटेन से खुदाई की अनुमति नहीं है.इसकी अलग से जांच कराई जाएगी. आपको बता दें कि जिस जगह पर खुदाई की जा रही है वो बांध का क्षेत्र है. जहां के क्षेत्र में भूमिगत जलस्त्रोत बना रहता है.

खनिज विभाग की लापरवाही आई सामने :खनिज विभाग आनन फानन में ना जाने किस दबाव में लीज या फिर खनन की अनुमति जारी करता है.इसके बाद ना तो इलाके की मॉनिटरिंग की जाती है और ना ही संबंधित जगह की रिपोर्ट तैयार होती है.लीज लेने वाला शख्स थोड़ी सी जगह की अनुमति लेकर उससे अधिक दायरे में खनन कर देता है.ये कोई पहला मामला नहीं है,जब इस तरह के मामले सामने आए हो.

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