लखनऊ : बीजेपी के एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने सत्र के दौरान विधान परिषद में शहर में स्थित घरों की छत पर लगी होर्डिंग्स पर सवाल उठाए. इन होर्डिंग्स को आम लोगों के लिए जानलेवा भी बताया गया. विधायक द्वारा इन होर्डिंग्स को अवैध बताये जाने पर नगर निगम ने साफ किया है कि प्रतिदिन कार्रवाई की जाती है, सब अवैध नहीं हैं. हम सभी से शुल्क वसूलते हैं. आइये समझते हैं कि बीते दिनों विधान परिषद में होर्डिंग्स को लेकर क्या सवाल उठा और इस पर नगर निगम क्या तर्क दे रहा है?
विधान परिषद में होर्डिंग्स को लेकर क्या उठे सवाल? :16 दिसंबर 2024 को सत्र के दौरान सत्ताधारी दल बीजेपी के एमएलसी विजय बहादुर पाठक और एमएलसी दिनेश कुमार गोयल ने विधान परिषद में 110 के अंतर्गत लखनऊ में निजी घरों और अन्य बिल्डिंग की छतों पर लगी होर्डिंग्स पर चर्चा करने के लिए मांग की. विधायकों का तर्क था कि शहर खतरनाक होर्डिंग्स से भरा हुआ है. चौराहों से लेकर घरों की छत पर लगी होर्डिंग्स हादसों को दावत दे रही हैं. उनके मुताबिक, शहर में लगी अवैध होर्डिंग्स खुद तो करोड़ों कमा रही हैं, लेकिन नगर निगम को राजस्व नहीं दे रही हैं. विधायकों ने एक साल पहले पुणे और लालकुआं में होर्डिंग्स गिरने से हुए हादसों का भी उल्लेख किया है.
टेंडर प्रक्रिया में शामिल होती हैं प्रचार एजेंसियां :नगर निगम के मुताबिक, प्रचार एजेंसियां होर्डिंग्स में डिस्प्ले लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में शामिल होती हैं. इसके लिए टेंडर प्रक्रिया होते हुए उन्हें स्थान आवंटित कर उनसे शुल्क वसूला जाता है. शुल्क जमा करवाने से पहले उनसे स्ट्रक्चर सर्टिफिकेट यानी की मजबूती प्रमाण पत्र मांगा जाता है, जो इंजीनियर के द्वारा प्रमाणित होता है. यह तय करता है कि जिस बिल्डिंग में होर्डिंग्स लगनी है, वह और होर्डिंग कितनी मजबूत और नियमानुसार है.
उसी के बाद उसे डिस्प्ले करने की अनुमति दी जाती है. नगर निगम के मुताबिक, शहर में निजी घरों की छत पर 1190 होर्डिंग्स लगी हैं, जिन्होंने नगर निगम से परमिशन ली है. शहर में 306 यूनिपोल और 25 डिजिटल डिस्प्ले लगे हैं. शहर में 95 यूनिपोल, 328 होर्डिंग्स और 1670 पोल बोर्ड अवैध हैं, जिन्हे नगर निगम ने चिन्हित किया है. जिन्हें हटाया जा रहा है. सभी एजेंसियों द्वारा जमा किये गए स्ट्रक्चर सर्टिफिकेट की भी जांच करवाई जा रही है.