मंडी:हिमाचल प्रदेश के आईआईटी मंडी के स्टूडेंट्स ने कमाल किया है.आईआईटी मंडी के छात्रों ने कम कीमत एक ऐसा ऑस्केल्टेशन मॉडल तैयार किया है, जो ट्रेनी डाक्टरों के लिए मददगार काफी साबित होगा है. स्टूडेंट्स का यह मॉडल स्टेथोस्कोप में सिर्फ उसी बीमारी की आवाज सुनाई देगी, जिसकी धड़कनों के बारे में ट्रेनी डॉक्टर अध्ययन करना चाहते हों.
आईआईटी मंडी के सहायक प्रोफेसर डॉ. गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में विनम्र, नरेश मीणा, सोनू कुमार मीणा, तरूण, रिजवाना और अभिज्ञान की टीम ने इस मॉडल को बनाया है. इन छात्रों का दावा है कि अन्य ऑस्केल्टेशन के मुकाबले उनका यह ऑस्केल्टेशन कम कीमत पर ही उपलब्ध हो जाएगा. यह ऑस्केल्टेशन का यह मॉडल मोबाइल ऐप के माध्यम से काम करेगा.
डॉ. गजेंद्र सिंह ने कहा, "एक स्टेथोस्कोप के माध्यम से इंसान के शरीर की विभिन्न धड़कनों की आवाज सुनकर बीमारी का पता लगया जाता है. हर बीमारी की धड़कन की आवाज अलग होती है और यह धड़कनें शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं. डॉक्टर इन आवाजों की पहचान करना अपने प्रशिक्षण के दौरान सीखते हैं".
IIT मंडी के छात्रों का कमाल (ETV Bharat) उन्होंने बताया कि धड़कनों को सुनने के लिए डॉक्टर ऑस्केल्टेशन यंत्रों का सहारा लेते हैं. लेकिन उन्होंने जिस ऑस्केल्टेशन मॉडल को बनाया है, उसे एक ऐप के साथ जोड़ा है. जैसे ही ऐप पर आप बीमारी सिलेक्ट करके मरीज के शरीर पर स्टेथोस्कोप को लगाएंगे तो आपको सिर्फ उसी बीमारी की आवाज सुनाई देगी. यदि आपने स्टेथोस्कोप को शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्पर्श करवाया तो आपको कोई आवाज नहीं सुनाई देगी. इससे ट्रेनी डॉक्टरों को आवाज की पहचान करने और उन्हें सीखने में काफी ज्यादा मदद मिलेगी.
डॉ. गजेंद्र सिंह ने बताया कि धड़कनों की आवाजें उपलब्ध करवाने में एम्स बिलासपुर के फिजियोलॉजिस्ट डॉ. भूपेंद्र पटेल ने अपनी अहम भूमिका निभाई है. जिसके चलते ही इस मॉडल में इन आवाजों को रिकॉर्ड किया जा सका है. आज बाजार में यह ऑस्केल्टेशन उपकरण विभिन्न कंपनियों द्वारा उपलब्ध करवाए जाते हैं, जिनकी कीमत लाखों से शुरू होकर करोड़ों तक जाती हैं. लेकिन उन्होंने जो मॉडल बनाया है वह मात्र 30 हजार में बनाया है. जब इसे बाजार में उतारा जाएगा तो फिर उसे सही ढंग से बनाने के बाद यह 50 हजार से 1 लाख की कीमत में उपलब्ध हो जाएगा.
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