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क्‍या कभी सोचा है, एक मधुमक्खी अपनी पूरी जिंदगी में कितना शहद बनाती है? - How To Do Beekeeping

आपने मधुमक्खी पालन होते देखा होगा. आपके शहद खाया भी होगा लेकिन कभी आपने सोचा कि एक चम्मच शहद बनाने में कितना समय लगता है? एक चम्मच शहद बनाने में मादा मधुमक्खी की पूरी जिंदगी बीत जाती है. नर मधुमक्खी की मौत हो जाती है. पढ़ें पूरी खबर.

मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 30, 2024, 6:08 AM IST

मधुमक्खी पालन

मुजफ्फरपुरःशहद की मिठास से तो वाकिफ ही होंगे. यह कई बीमारियों का रामवाण माना जाता है. इसके साथ ही इसका इस्तेमाल पूजा पाठ से लेकर, चाय दूध और पकवानों तक में होता है. जितनी आसानी से यह बाजार से हमारे घरों में उपलब्ध हो जाता है उतनी ही कठिन प्रक्रिया इसे तैयार करना है.

मधुमक्खी पालन की जानकारीः बिहार के मुजफ्फरपुर के कांटी प्रखंड के नरसंडा में मधुमक्खी पालन की जा रही है. हालांकि बिहार के कई क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन किया जाता है. मुजफ्फरपुर में ईटीवी भारत के संवाददाता ने भारतीय मधुपालक संघ के अध्यक्ष मो. सरफुद्दीन से खास जानकारी ली. मो. सरफुद्दी पिछले 20 साल से मधुमक्खी पालन से संबंधित काम कर रहे हैं. दूसरे लोगों को भी ट्रेनिंग देते हैं.

इस तरह होता है मधुमक्खी पालन.

एक मधुमक्खी कितना शहद बनाती है? मो. सरफुद्दी ने बताया कि शहद बनाने की प्रक्रिया काफी रोचक और मेहनत का काम है. इसमें मधुमक्खी और पालक दोनों कड़ी मेहनत करते हैं. उन्होंने बताया कि एक मधुमक्खी अपनी पूरी जीवन में 10 से 50 ग्राम ही शहद तैयार करती है. आमतौर पर एक चम्मच में करीब 10 ग्राम शहद आता है. अगर मौसम अच्छा रहा तो 50 ग्राम आसानी से शहद बनाती है.

"एक मधुमक्खी की जीवन तीन महीने की होती है. इससे अधिक जिंदा नहीं रहती है. इसके बाद अगला जेनरेशन काम करती है. मधुमक्खी के रानी का जीवन सबसे लंबा होता है. वह करीब एक साल जीती है. पहले तीन साल तक जिंदा रहती थी लेकिन अब एक साल तक जीवित रहती है."-मो. सरफुद्दी, अध्यक्ष, भारतीय मधुपालक संघ

मुजफ्फरपुर में मधुमक्खी पालन.

मौसम के अनुसार तैयार होता है शहद:अगर मौसम अच्छा है तो एक सप्ताह में शहद निकलने लगता है. एक महीने में करीब तीन से चार बार शहद निकाला जाता है. लीची के समय एक महीना मधुमक्खी का काम होता है. उसके बाद दूसरे जगह उसे लगाया जाता है. क्रंच में एक से डेढ़ महीना रहता है. सरसो में 4 महीना और एक्वालिप्टस, सूरजमुखी में एक महीने तक शहद तैयार होता है.

24 घंटे करती है काम:उन्होंने बताया की अंडे से बाहर निकलने के 4 से 5 दिन बाद से काम करने के लायक हो जाती है. 15 से 18 दिन में काम पर लग जाती है. हर एक मधुमक्खी 24 घंटे काम करती है तभी शहद तैयार होता है. मधुमक्खियां नवम्बर से लेकर मार्च के महीने तक शहद बनाती है. इसके बाद ऑफ सीजन आ जाता है. इसमें चीनी खिलाकर मधुमक्खियों को किसी तरह जिंदा रखना होता है. सीजन आते ही दोबारा परागन प्रक्रिया के साथ शहद बनाते हैं.

बनाने की प्रक्रिया:मधुमक्खी फूल से नेक्टर लेती है. उसे अपने छत्ते में रखती है. स्टोर करने के बाद अपने ढंग से गर्माहट देकर पकाती है. शहद को अच्छे ढंग से पकाने पर मिठास चीनी से 25 गुना अधिक बढ़ जाती है फिर मधुमक्खी मोम से सील करती है. उसके मुंह से मोम निकलता है. सील होने के बाद मधु पालक धुंआ के सहारे मक्खी को बॉक्स के अंदर गिरा देते है और छत्ता को निकालते हैं. मोम को छुड़ा से काटते हैं. इसके बाद मशीन से हल्का प्रेशर पर शहद निकाला जाता है.

बच्चे और अंडे को न पहुंचे नुकसान: सरफुद्दीन बताते हैं कि काम के दौरान यह देखना जरूरी होता है कि बच्चे और अंडे को कुछ न हो. फिर छत्ता को उसी बॉक्स में डाल देते हैं. सारे मक्खी बॉक्स पर आती है और फिर अपना काम शुरू कर देती है. बचाव के लिए नकाब का इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि मधुमक्खी परेशान करती है. छत्ता वापस से बॉक्स में रखा जाता है तो शांत हो जाती है.

मो. सरफुद्दी

एक बॉक्स में कितनी मक्खीः सरफुद्दीन बताते हैं कि एक बॉक्स में लाखों की तादाद में मक्खी होती है लेकिन उसमे केवल एक रानी मक्खी होती है. एक बॉक्स में 8 से 9 फ्रेम में मक्खी होती है. फ्रेम के हिसाब से गिनती करते हैं. एक फ्रेम में हजारों मक्खी होती है. जब फ्रेम पूरा फूल हो जाता है तो बॉक्स बढ़ाने के लिए डिवाइड किया जाता है.

कैसे बनती है रानी:फ्रेम फूल होने के बाद बॉक्स से तीन फ्रेम निकाला जाता है. उससे नया बॉक्स तैयार किया जाता है. तीन फ्रेम में दो ब्रूड और एक लारवा का जीरा होता है. तीनों को अलग बॉक्स में डाल दिया जाता है. उसका गेट बंदकर दूसरे जगह करीब 6 किमी दूर रखते हैं. 10 दिन के अंदर में मक्खी क्वीन सेल बनाती है. वह 8 से 10 की प्रक्रिया होती है. 13 दिन के बाद नई क्वीन की पैदाइश होती है.

एक दूसरे को मारकर बनती है क्वीन: सरफुद्दीन बताते है कि क्वीन का सेल अलग होता है. अन्य बच्चे का अलग सेल होता है. क्वीन का सेल बड़ा होता है. बच्चेदानी की तरह होता है, अगर क्वीन ज्यादा है तो लड़ाई होती है. एक से अधिक क्वीन निकलने पर अगर डिवाइड नहीं किया तो मजबूत क्वीन दूसरे रानी को मार देती है. इसके बाद वह खुद क्वीन बनती है क्योंकि एक बॉक्स में एक ही क्वीन होती है.

22 दिन के अंदर होती है इंटिमेट:क्वीन 22 दिन के अंदर में संभोग करती है. उसके साथ ड्रोन राजा होता है. देखने में काफी बड़ा होता है. एक बॉक्स में हजारों ड्रोन हो सकता है. रानी स्मेल छोड़ती है, जिसे पता चलता है रानी इंटिमेट होना चाह रही है. रानी बॉक्स से बाहर निकलती है और उसके पीछे हजारों मक्खी निकलती है.

कितने दिन बाद देती है अंडाः हजारों ड्रोन में जो ताकतवर होगा वह रानी को पकड़ लेता है. संभोग के बाद ड्रोन का पार्ट रानी के पार्ट में टूट जाता है. इसके बाद राजा की मौत होती जाती है. रानी प्रेग्नेंट होने के बाद बॉक्स के अंदर आती है. अपने पार्ट से ड्रोन का पार्ट निकालती रहती है. निकालने के एक सप्ताह के बाद अंडा देने से शुरू कर देती है.

शहद से नहीं होती है सुगर की बीमारीः शहद को हर तरह के लोग इस्तेमाल कर सकते है. यह 75 प्रतिशत तत्व को पूरा करती है. शुगर की बीमारी शहद से नहीं होती है. शुगर वाले लोग ज्यादातर जामुन के शहद का इस्तेमाल करते हैं. शहद में फ्रूट्रोज होता है. शहद कई बीमारियों का इलाज होता है.

कितनी आती है लागत: मधुमक्खी पालन पर सरफुद्दीन ने बताया कि इसके लिए छत्ते वाले बॉक्स लेने पड़ते हैं. एक बॉक्स की कीमत करीब 2 हजार रुपए होती है. इसके साथ ही मधुमक्खियां भी मिल जाती हैं. सिर्फ एक बॉक्स से काम शुरू कर सकते हैं लेकिन इससे खेती नहीं की जा सकती है. मधुमक्खियां अंडे देती हैं और इन अंडों के जरिए मधुमक्खियों की संख्या बढ़ती जाती है. इस तरह धीरे धीरे बॉक्स की संख्या भी बढ़ती है.

बक्स में मधुमक्खियां.

दूसरे राज्यों में मधुमक्खी पालनःमुजफ्फरपुर के बाजारों में बोचहां, मीनापुर, कांटी, कुढ़नी, मुशहरी, गायघाट, पारू, साहेबगंज, औराई, प्रखंड के करीब तीन सौ से अधिक गावों में किसान मधुमक्खी पालन के काम में दिन रात लगे रहते हैं. मुजफ्फरपुर के मधुपालक किसान बिहार के साथ-साथ झारखंड, पश्चिम बंगाल, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं राजस्थान तक जाकर शहद उत्पादन का काम करते हैं.

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