शिमला: हिमाचल प्रदेश कर्ज के बोझ तले दबा है. ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या कर्मचारियों और पेंशनरों को सैलरी और पेंशन देने में हो रही है. इसके बावजूद कर्ज के बोझ तले दबी हिमाचल प्रदेश सरकार ने दिवाली से पहले वेतन व पेंशन सहित चार फीसदी डीए देने का ऐलान किया है. हालांकि, सितंबर महीने में वेतन व पेंशन पहली तारीख को नहीं मिला था. ऐसे में ये जानना दिलचस्प है कि आखिर दिवाली से पहले वेतन व पेंशन सहित चार फीसदी डीए देने का ऐलान करने वाली सरकार के खजाने में पैसा कहां से आया?
अक्टूबर महीने में भी पेंशन नौ तारीख को आई थी. अब ऐसा क्या हुआ कि अक्टूबर महीने का वेतन व पेंशन, जो नवंबर की पहली तारीख को ड्यू होता है, उसे दिवाली से पहले दिया जा रहा है. ये गणित क्या है और खजाने में ये पैसा कहां से आया, ये जानना दिलचस्प होगा.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू दावा कर रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश में कोई आर्थिक संकट नहीं है, लेकिन भाजपा का दावा इससे अलग है. भाजपा नेता जेपी नड्डा से लेकर जयराम ठाकुर व राजीव बिंदल आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र से आई रकम से राज्य का काम चल रहा है. इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच, सबसे पहले ये जान लेते हैं कि वेतन-पेंशन व डीए का खर्च कितना है और इसका इंतजाम कैसे हुआ है?
केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की किश्त एडवांस
फेस्टिव सीजन होने के कारण केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों को केंद्रीय करों में उनकी हिस्सेदारी की रकम की एक किश्त एडवांस में दे दी है. सभी 28 राज्यों को ये किश्त मिली है. हिमाचल के हिस्से 1479 करोड़ रुपये आए हैं.
एक महीने में हिमाचल सरकार का हिस्सा 740 करोड़ रुपये के करीब है. एक किश्त एडवांस में आने से ये रकम 1479 करोड़ रुपये बनी है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 600 करोड़ रुपये का लोन लिया है. लोन व केंद्रीय करों में हिस्सेदारी को मिलाकर राज्य सरकार के खजाने में 2079 करोड़ रुपये जुड़ गए. हिमाचल सरकार के खुद के टैक्स रेवेन्यू व नॉन टैक्स रेवेन्यू के 1200 करोड़ रुपये जुड़ते हैं.
इसके अलावा रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपये भी मिलते हैं. उसमें से 800 करोड़ रुपये नौ तारीख को पेंशन में खर्च हो गए हैं. अन्य खर्चों को निकाल दें तो एक अनुमान के अनुसार राज्य सरकार के खजाने में कम से कम 2700 करोड़ रुपए हैं.