कुल्लू:हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में हर एक मेला देव परंपरा के साथ जुड़ा है और मेलों का इतिहास किसी न किसी देवता के साथ जुड़ा है लेकिन सैंज घाटी के ग्राम पंचायत कनौन में हूम मेले में देव परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली.
देवता ब्रह्मा व देवी भगवती लक्ष्मी के हूम मेले में देव हारियानों ने रात के समय करीब 70 फीट लंबी लकड़ी की जलती मशाल को कंधे पर उठाकर देव कार्य विधि अनुसार कर गांव की परिक्रमा कर देव कार्य को निभाया.
इस दौरान गालियां देकर बुरी शक्तियों को भगाया गया. इस परम्परा को देखने के लिए कनौन में देवी भगवती व ब्रह्मा के मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हाजिरी भरी. मान्यता है कि इस दिन देवी भगवती प्राकृतिक आपदा को टालने के लिए ज्वाला का रूप धारण करती हैं.
हर साल आषाढ़ महीने में देवी भगवती लक्ष्मी अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हूम जगराते पर्व का आयोजन करती हैं. देवी के गुर रोशन लाल झाबे राम ने बताया क्षेत्र में घटने वाली प्राकृतिक आपदा, बुरी आत्मा और भूत पिशाच की नजरों से बचने के लिए इस हूम पर्व का आयोजन किया जाता है.
इस पर्व में मशाल जलाने का एक खास महत्व है. मान्यता है कि देवी भगवती इस मशाल में ज्वाला रूप धारण कर बुरी परिस्थितियों से भक्तों को निजात दिलाती हैं. उन्होंने बताया कि बीती रात के समय देवी भगवती और देवता ब्रह्मा के रथ को पूरे लाव लश्कर के साथ माता के मंदिर देहरी में पहुंचाया.
देव पूजा अर्चना कर रात 12 बजे के करीब ये देव कार्य शुरू हुआ. मंदिर के पास करीब 70 फीट लंबी मशाल को देव आज्ञा अनुसार मंदिर में जलते दीया के साथ जलाया और देवता के हरियानो ने इस मशाल को कंधे पर उठाकर मंदिर के चारों ओर परिक्रमा कर करीब एक किलोमीटर दूर कन्नौन गांव पहुंचाया.