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जानिए होलिका दहन 2024 का शुभ मुहूर्त, इस तरह करें पूजा मनोरथ होंगे पूरे

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 20, 2024, 3:37 PM IST

Holika Dahan Shubh Muhurat 2024 सदियों से फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करने की परंपरा चली आ रही है. इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 24 और 25 मार्च को है. ऐसे में 24 मार्च की सुबह 9:56 बजे से पूर्णिमा शुरू हो रही है, जो 25 मार्च की दोपहर 12:30 बजे तक रहेगी. ऐसे में होलिका दहन का मुहूर्त 24 मार्च की रात 11 बजकर 9 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 25 मार्च की दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा. जानिए होलिका दहन की पूजा विधि...

Holika Dahan Shubh Muhurat 2024
होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2024

ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी से जानिए होलिका दहन 2024 का शुभ मुहूर्त

हल्द्वानी: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष यानी पूर्णिमा के दिन रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है. इस साल होलिका दहन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और वृद्धि योग के तहत आगामी 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. वहीं, अगर होली की बात करें तो कुमाऊं में 26 मार्च को मनाया जाएगा.

हल्द्वानी के जाने माने ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, पंचांग के अनुसार 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 9 बजकर 56 मिनट से शुरू होगा. जो 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा तिथि में भद्रा रहित समय में ही होलिका दहन किया जाता है.

होलिका दहन

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:ज्योतिषाचार्य नवीन जोशी की मानें तो इस बार होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. जबकि, रंगोत्सव 26 मार्च को मनाया जाएगा. ज्योतिष की गणना के अनुसार, होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 24 मार्च की रात 11 बजकर 9 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 25 मार्च की दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.

ज्योतिषाचार्य जोशी के मुताबिक, काशी परंपरा के अनुसार होलिका दहन के अगले दिन रंग उत्सव खेला जाता है, लेकिन शास्त्र परंपराओं के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को रंग उत्सव मनाने की परंपरा है. ऐसे में आगामी 25 मार्च को दोपहर 12:30 तक पूर्णिमा है, लेकिन होली उत्सव चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा में मनाई जाती है तो ऐसे में 26 मार्च को कुमाऊं मंडल में होली मनाई जाएगी.

होलिका दहन की पूजा विधि:होलिका दहन के दिन होली दहन के स्थान पर जाकर पूरब दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. पूजन सामग्री जिसमें जल, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, गुड़, हल्दी साबुत, मूंग, गुलाल और बताशे साथ ही नई फसल यानी गेहूं और चने की पकी बालियां ले लें. इसके बाद होलिका के पास ही गाय के गोबर से बनी गुलरियों की माला रख लें.

होलिका दहन करती महिलाएं

इसके बाद कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटकर प्रथम पूज्य गणेश जी का ध्यान करते हुए होलिका और भक्त प्रह्लाद की सभी चीजें अर्पित कर पूजा करें. भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को प्रणाम करते हुए अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करें और होलिका का दहन करें.

होली मनाने की परंपरा:पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, होली के दिन दैत्यराज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका (जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था) भक्त प्रह्वाद को लेकर अग्नि में बैठ गई थी, लेकिन प्रह्वाद को कुछ भी नहीं हुआ. जबकि, खुद होलिका ही उस अग्नि में भस्म हो गई. ऐसे में होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. होलिका दहन के अगले दिन रंगोत्सव मनाने की परंपरा है.

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