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4 करोड़ की लागत से ट्रॉमा में बनेगी एचएलए लैब, अंग प्रत्यारोपण में मरीजों के टिश्यू हो सकेंगे मैच - HLA Lab in SMS - HLA LAB IN SMS

अंग प्रत्यारोपण में मरीजों के टिश्यू मैच करवाने के लिए प्रदेश के एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में एचएलए लैब का निर्माण किया जाएगा. इसकी लागत करीब 4 करोड़ रुपए आएगी.

HAL Lab
एचएलए लैब

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 1, 2024, 3:39 PM IST

जयपुर.अंग प्रत्यारोपण को आसान बनाने के लिए एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में उत्तर भारत का पहला एचएलए (ह्यूमन ल्युकोसाइट एंटीजन) लैब का निर्माण किया जाएगा. करीब चार करोड़ की लागत से इस लैब का निर्माण किया जाएगा. इस लैब के लिए जगह चिह्नित की जा चुकी है.

ट्रॉमा सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ अनुराग धाकड़ का कहना है कि एचएलए लैब में अंग प्रत्यारोपण के लिए अंग देने व लेने वाले के मरीजों के टिश्यू मैच कराए जाते हैं. इससे पहले लैब नहीं होने के चलते मैचिंग के लिए डोनर और रिसीवर को प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता था, जो काफी महंगा पड़ता है. डॉ धाकड़ का कहना है कि अंगदान के पश्चात अंग प्रत्यारोपण के लिए अत्यावश्यक टेस्ट एचएलए लैब राज्य सरकार के अंगदान कार्यक्रम को तेजी मिलेगी. इससे मरीजों को राहत मिलेगी साथ ही मरीज जांचों के करीब 8 से 10 हजार रुपए तक बचेंगे. अभी तक एचएलए टाइपिंग जांच के लिए रोगी को एमओयू के आधार पर निश्चित की गई लैब पर भेजा जाता था. अब मरीजों को जल्द ही ट्रॉमा सेंटर में ही इस लैब का लाभ मिलेगा.

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बोन एंड टिशु बैंक का प्रस्ताव भेजा:राज्य सरकार की वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद ट्रॉमा सेंटर में प्रदेश का पहला बोन एंड टिश्यू बैंक बनेगा. इसके लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज की ओर से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसकी जल्द ही प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति आने की सम्भावना जताई जा रही है. बोन एंड टिश्यू बैंक बनेगा, तो सड़क व अन्य दुर्घटना में घायलों के ऑपरेशन के दौरान निकल जाने वाली हड्डियों और टिश्यू को इस बैंक में जमा किया जाएगा. ताकि भविष्य में ये किसी जरूरतमंद के काम आ सकें और उन्हें नया जीवन दिया जा सके.

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ये होगा फायदा:इस बोन एंड टिश्यू बैंक के बनने से घायलों के इलाज में काफी सहूलियत होगी. दुर्घटना में हाथ-पैर की टूटी हड्डियों के प्रत्यारोपण में भी समस्या नहीं आएगी. बोन कैंसर पीड़ितों को भी इस बैंक का काफी लाभ मिलेगा. बोन एंड टिश्यू बैंक में तीन आधुनिक मशीनें लगवाकर इसका ट्रायल कराया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के स्तर से कुछ औपचारिकताएं बाकी रह गई हैं. इसे भी जल्द पूरा करा लिया जाएगा.

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