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रामनवमी विशेष: तपोवन मंदिर में आज भी जीवित है परंपरा, कुआं के पास झंडा की पूजा अर्चना होने के बाद ही होता है शोभा यात्रा का समापन - Ramnavmi 2024

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 15, 2024, 10:39 PM IST

Ranchi Tapovan Temple. तपोवन मंदिर में आज भी लगभग सौ साल पुरानी परंपरा जीवित है. शोभा यात्रा के समापन पर 250 साल पहले बने कुआं के पास आज भी झंडा की पूजा होती है.

Ranchi Tapovan Temple
Ranchi Tapovan Temple

तपोवन मंदिर के महंत ओमप्रकाश शरण

रांची: राजधानी रांची का तपोवन मंदिर रामनवमी के मौके पर राममय हो जाता है. इस अवसर पर निकलने वाली शोभायात्रा बगैर तपोवन मंदिर में पहुंचे पूर्ण नहीं माना जाता है. ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस स्थल को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं जो 1929 से आज तक चली आ रही है.

रांची में पहली बार रामनवमी की शोभा यात्रा इसी तपोवन मंदिर के सर्वप्रथम महंत रामशरण दासजी महाराज के द्वारा निकाली गई थी. जिन्होंने कुछ लोगों के साथ अपर बाजार स्थित महावीर मंदिर में झंडा का पूजा अर्चना कर तपोवन मंदिर तक यात्रा की थी. जहां पर पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर समापन किया गया. उस समय से चली आ रही यह परंपरा आज भी जारी है.

कुआं के नजदीक होती है झंडा की पूजा

तपोवन मंदिर स्थित प्राचीन कुआं आज भी रामनवमी शोभा यात्रा का गवाह है. इस कुआं के नजदीक सबसे पहले पुराने झंडे की पूजा अर्चना कर उसे उतारा जाता है और नया लगाया जाता है. तपोवन मंदिर प्रबंधन यह अहले सुबह विधि विधान के साथ संपन्न करता है उसके बाद अन्य श्रद्धालु और शोभा यात्रा में आनेवाले ध्वज की पूजा की जाती है.

मंदिर के महंत ओमप्रकाश शरण का मानना है कि यहां आनेवाले झंडे की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता यह है कि इस दौरान जो भी मांगा जाता है भगवान श्रीराम और बजरंगबली की कृपा भक्तों पर बरसती है. कुआं अति प्राचीन है जिसमें सालों भर पानी रहता है और मंदिर का समस्त कार्य इसी के पानी से संपन्न होता है.

कुआं का निर्माण कार्य करीब 250 साल पहले हुआ था. ओमप्रकाश शरण कहते हैं कि एक बार महात्माओं की टोली इस मंदिर में आए थे जो जल पीने की इच्छा जताई और मृतप्राय इस कुआं से निर्मल जल मिलने लगा. इस कुआं के समीप रामनवमी ध्वज की पूजा अर्चना की जाती है जिसके बाद शोभायात्रा का समापन होता है.

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