प्रयागराज : संगम नगरी में शहर की दीवारें सनातन धर्म से लेकर महाकुंभ तक की महिमा का बखान करती दिखेंगी. महाकुम्भ 2025 के शुरू होने से पहले 10 लाख स्क्वायर फिट में सड़क किनारे की दीवारों पर धर्म संस्कृति के साथ ही महाकुंम्भ का इतिहास पेंटिंग के जरिए दर्शाया जाएगा.
प्रयागराज में जनवरी 2025 में महाकुम्भ मेला का आयोजन शुरू होना है, उसके पहले प्रयागराज मेला प्राधिकरण पूरे शहर को संवारने का काम करने में जुटा हुआ है. जिसके तहत संगम की तरफ जाने वाले तमाम रास्तों पर सड़क के किनारे पेंटिंग का काम शुरू कर दिया गया है. शहर की सड़कों के किनारे की दीवारों पर पेंटिंग करने का कार्य शुरू कर दिया गया है. इस दौरान दुकानों पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, श्रीकृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु और भोले नाथ के साथ ही रामायण, गीता व महाकुम्भ समुद्रमंथन पर आधारित पेंटिंग बनाई जा रही है.
दीवारों पर दिखेगा महाकुंभ का इतिहास (Photo credit: ETV Bharat) 18 करोड़ के बजट से दीवारों पर हो रही है पेंटिंग :अधिकारियों के मुताबिक, जनवरी में लगने वाले महाकुंभ मेले में धार्मिक मेले का इतिहास और महत्व को दर्शाने वाले चित्र शहर की दीवारों पर कलाकार उकेरने में लग गए हैं. बताया जा रहा है कि महाकुम्भ से पहले करीब 18 करोड़ रुपये की लागत से शहर और महाकुंभ क्षेत्र में जाने वाली सड़कों के किनारे की दीवारों पर पेंटिंग की जाएगी.
अलग-अलग राज्यों से आये कलाकार पेंटिंग करने में जुटे :महाकुम्भ मेला के अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक, करोड़ों की लागत से शहर के सभी प्रमुख स्थल और सड़क किनारे की दीवारों को आकर्षक ढंग से सजाने के लिए पेंटिंग का कार्य शुरू किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि पेंट माई सिटी के तहत सनातन धर्म संस्कृति के साथ ही इस बार पर्यावरण आधारित प्रकृति और जीव जंतुओं की पेंटिंग भी बनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि 10 लाख स्क्वायर फीट के करीब दीवार पर पेंटिंग्स किये जाने का लक्ष्य रखा गया है. इसका चित्रण किया जाना है. चित्रण के पहले चरण के कार्य की शुरुआत मेला प्राधिकरण कार्यालय से हो चुकी है.
उन्होंने बताया कि पेंट माय सिटी का कार्य करने के लिए 8 संस्थाओं का चयन किया गया है, जिसमें से मुंबई, पुणे, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से आये कलाकार चित्रकारी कर रहे हैं. इसके साथ ही इलाहाबाद विश्विद्यालय के कला विभाग के छात्र भी इस कार्य में शामिल हैं. इसके साथ ही बाहरी संस्थाओं को 20 फीसदी स्थानीय कलाकार रखने की शर्त का पालन भी करने को कहा गया है, जिससे कि स्थानीय कलाकारों को भी रोज़गार मिल सके.
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