हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 27, 2024, 6:11 PM IST

Updated : Jun 27, 2024, 7:15 PM IST

ETV Bharat / state

57 बरस में सिर्फ 3 बार 'हाथ' आया हमीरपुर सदर, अबकी बार खुद मुख्यमंत्री की दांव पर है साख - hamirpur election history

hamirpur assembly seat history: हमीरपुर सीट का इतिहास बेहद रोचक रहा है. यहां पर बीजेपी का ही दबदबा देखने को मिलता रहा है. 57 सालों में कांग्रेस सिर्फ तीन बार ही जीत हासिल कर पाई है. हमीरपुर जिले की हमीरपुर सदर सीट के इतिहास के पन्नों को पलटने पर ये यहां ठाकुर जगदेव चंद सबसे बड़े नेता मालूम होते है. ये सीट सालों से बीजेपी का गढ़ रही है. यहां सबसे अधिक समय तक जगदेव ठाकुर या उनके परिवार का ही सिक्का चलता रहा है. साल 1966 में भाषायी आधार पर जब पंजाब का विभाजन हुआ तो हमीरपुर भी हिमाचल का हिस्सा बन गया. हिमाचल का हिस्सा बनने के बाद साल 1967 में पहली बार हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हुए थे.

57 सालों में कांग्रेस 3 बार जीती है हमीरपुर सदर सीट
57 सालों में कांग्रेस 3 बार जीती है हमीरपुर सदर सीट (ईटीवी भारत)

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. यहां से बीजेपी ने पूर्व निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा को मैदान में उतार है. वहीं, कांग्रेस ने पुष्पेंद्र वर्मा को दूसरी बार टिकट दिया है. हमीरपुर सीट का इतिहास बेहद रोचक रहा है. यहां पर बीजेपी का ही दबदबा देखने को मिलता रहा है. 57 सालों में यहां कांग्रेस सिर्फ तीन बार ही जीत हासिल कर पाई है.

हिमाचल प्रदेश का छोटा सा जिला हमीरपुर हिमाचल प्रदेश को दो मुख्यमंत्री दे चुका है. वर्तमान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू हमीरपुर के नादौन विधानसभा क्षेत्र और पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल भी हमीरपुर जिले से संबंध रखते हैं. 1970 से 90 के दशक के बीच हिमाचल की राजनीति का एक बड़ा चेहरा ठाकुर जगदेव चंद सीएम की कुर्सी के एक दम नजदीक पहुंच चुके थे, लेकिन उनका अचानक उनका देहांत हो गया.

पूर्व मंत्री जगदेव ठाकुर (फाइल फोटो) (सोशल मीडिया)

हमीरपुर जिले की सदर सीट के इतिहास के पन्नों को पलटने पर ठाकुर जगदेव चंद यहां से सबसे बड़े नेता मालूम होते हैं. ये सीट सालों से बीजेपी का गढ़ रही है. यहां सबसे अधिक समय तक जगदेव ठाकुर या उनके परिवार का ही सिक्का चलता रहा है. साल 1966 में भाषायी आधार पर जब पंजाब का विभाजन हुआ तो हमीरपुर भी हिमाचल का हिस्सा बन गया. हिमाचल का हिस्सा बनने के बाद साल 1967 में पहली बार हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हुए. इस चुनाव में भारतीय जनसंघ के कांशीराम को लोगों ने विधायक बनाया था उस समय हिमाचल को अभी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला था. हमीरपुर के पहले विधायक बनने का गौरव हासिल करने वाले कांशी राम सुजानपुर के पटलांदर क्षेत्र से संबंध रखते थे. उनके बाद उनकी विरासत को उनके भतीजे ठाकुर जगदेव चंद ने संभाला. जगदेव चंद राजनीति में उतरे तो बड़े-बड़े सूरमा उनके कद के आगे छोटे पड़ गए. खैर कांशीराम के बाद 1972 में यहां से कांग्रेस के रमेश चंद वर्मा विधायक बनें.

पूर्व मंत्री जगदेव ठाकुर (फाइल फोटो) (सोशल मीडिया)

लगातार पांच बार जीते जगदेव चंद ठाकुर

1977 से ठाकुर जगदेव चंद के रूप में भगवा ब्रिगेड को यहां से ऐसा नेता मिला जिसने 1993 तक कांग्रेस को यहां से जीतने ही नहीं दिया. जगदेव चंद आए और पूरी तरह से ऐसे छाए कि 1982,1985,1990,1993 में लगातार पांच बार जीत हासिल की थी. 1977 में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. जून 1977 में विधायक और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, उन्हें सार्वजनिक परिवहन विभाग दिया गया था. उन्होंने निगम की बसों में यात्री बीमा योजना को शुरू करवाया था. 1993 के चुनाव के बाद जगदेव चंद मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन उनका देहांत हो गया. उनके देहांत के बाद हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में पहली बार उपचुनाव हुआ. कांग्रेस ने पूर्व विधायक रमेश चंद वर्मा की धर्मपत्नी अनिता वर्मा को मैदान में उतारा. दूसरी तरफ बीजेपी ने जगदेव चंद के छोटे बेटे नरेंद्र ठाकुर को उम्मीदवार बनाया. बीजेपी का मानना था कि सहानुभूति लहर पर सवार होकर वो हमीरपुर में कब्जा बरकरार रखेगी, लेकिन 1972 के बाद कांग्रेस के लिए अनीता वर्मा ने ये सीट उपचुनाव में जीती. इससे पहले उनके पति रमेश वर्मा ने सीट कांग्रेस की झोली में डाली थी.

पूर्व विधायक अनित वर्मा (ईटीवी भारत)

भाभी ने देवर को हाशिए पर खिसकाया

1998 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से नरेंद्र ठाकुर की जगह ठाकुर जगदेव चंद की बहू और नरेंद्र ठाकुर की भाभी उर्मिल ठाकुर को उम्मीदवार बना दिया. उर्मिल ठाकुर ने अनिता वर्मा को चुनाव हरा दिया. उस समय पहली बार प्रो. प्रेम कुमार धूमल के रूप में हिमाचल को हमीरपुर जिले से पहली बार मुख्यमंत्री मिला और उर्मिल ठाकुर सीपीएस बनीं. 2003 के विधानसभा चुनाव में उर्मिल ठाकुर यहां से चुनाव हार गईं, क्योंकि उनके देवर और जगदेव चंद के छोटे बेटे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में उतर गए थे.

पूर्व सीपीएस उर्मिल ठाकुर (सोशल मीडिया)

2003 में अनिता वर्मा दूसरी बार विधायक बनीं. 2007 में उर्मिल ठाकुर ने फिर अनिता वर्मा हरा दिया. इस विधानसभा क्षेत्र में गठन के बाद 57 वर्षों में सिर्फ अनिता वर्मा और उनके पति रामेश चंद वर्मा ही कांग्रेस के लिए यहां से तीन बार जीत हासिल कर पाए हैं.

विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी जीतने वाला उम्मीदवार
1967 कांग्रेस कांशीराम
1972 कांग्रेस रमेश वर्मा
1977 जनता पार्टी ठाकुर जगदेव चंद
1982 बीजेपी ठाकुर जगदेव चंद
1985 बीजेपी ठाकुर जगदेव चंद
1990 बीजेपी ठाकुर जगदेव चंद
1993 (आम चुनाव और उपचुनाव दोनों हुए) आम चुनाव बीजेपी उपचुनाव कांग्रेस ठाकुर जगदेव चंद(अनिता वर्मा उपचुनाव)
1998 बीजेपी उर्मिल ठाकुर
2003 कांग्रेस अनिता वर्मा
2007 बीजेपी उर्मिल ठाकुर
2012 बीजेपी प्रेम कुमार धूमल
2017 बीजेपी नरेंद्र ठाकुर
2022 निर्दलीय आशीष शर्मा

24 साल के इंतजार के बाद हमीरपुर से मिली जीत

2012 में प्रेम कुमार धूमल ने हमीरपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीते. उन्होंने यहां से बीजेपी नेता दिवंगत ठाकुर जगदेव चंद के बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर को हराया. 2017 के चुनाव में बीजेपी हाईकमान ने प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर सीट से उतारकर यहां पर 1993 के बाद एक बार फिर से जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर को हमीरपुर से टिकट दिया. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को हराकर अपनी जीत तय की थी. बाद में जब वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस दोनों को ही हार मिली. बीजेपी के सीटिंग विधायक नरेंद्र ठाकुर और कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा को निर्दलीय उम्मीदर आशीष शर्मा ने हरा दिया.

प्रमे कुमार धूमल, नरेंद्र ठाकुर और उर्मिल ठाकुर (फाइल फोटो) (ईटीवी भारत)

2024 में आशीष शर्मा ने दिया इस्तीफा

2024 में आशीष शर्मा ने बीजेपी में शामिल होने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इस्तीफा देते समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उपचुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को प्रत्याशी बनाया है. आशीष शर्मा ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि "सीएम सुक्खू ने अपने पहले दौरे के दौरान ही हमीरपुर की सभी मांगों को माना था, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जहां भी मुख्यमंत्री ने घोषणाएं की थी वह पूरी नहीं हो पाई है. आचार संहिता लगने से पहले बस अड्डे का काम शुरू करवाया है."

वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा को मैदान में उतारा है. नामांकन के दौरान उन्होंने आशीष शर्मा पर निशाना साधते हुए कहा था कि व्यापारिक मानसिकता वाले लोग भूल गए है कि वह किसके खिलाफ काम कर रहे हैं. ऐसी नीयत रखने वालों को जनता कभी माफ नहीं करेगी. पंद्रह महीने में आजाद प्रत्याशी होने के बावजूद आशीष शर्मा ने अपनी विधायकी को क्यों बेचा ? बता दें कि हिमाचल प्रदेशमें तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को मतदान होने हैं. 13 जुलाई को नतीजे घोषित होंगे.

ये भी पढ़ें: "सीएम सुक्खू ने हमीरपुर में की झूठी घोषणाएं, जनता को केवल गुमराह करने का किया काम"

Last Updated : Jun 27, 2024, 7:15 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details