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स्कूलों में संविधान की प्रस्तावना पढ़ना अनिवार्य करेगी कर्नाटक सरकार, सीएम सिद्धारमैया का ऐलान

संविधान दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने में नागरिकों की भूमिका पर प्रकाश डाला.

सीएम सिद्धारमैया
सीएम सिद्धारमैया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भारतीय संविधान में निहित अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने संवैधानिक मूल्यों के बारे में जागरूकता फैलाने के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि सरकार का लक्ष्य पूरे कर्नाटक में छात्रों के बीच इन सिद्धांतों को स्थापित करना है.

संविधान दिवस के अवसर पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने में नागरिकों की भूमिका पर प्रकाश डाला. सिद्धारमैया ने कहा, "हम अपने संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. यह दिन हमें दिए गए अधिकारों का इस्तेामाल करने के साथ-साथ उनके साथ आने वाली जिम्मेदारियों को पूरा करने की याद दिलाता है."

स्कूलों और कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि कर्नाटक सरकार स्कूलों और कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य करने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा, "ऐसा करके हम चाहते हैं कि छात्र हमारे संविधान की आकांक्षाओं को समझें और आत्मसात करें." इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि युवा नागरिक सामाजिक न्याय, समानता और लोकतंत्र की मजबूत भावना के साथ बड़े हों.

संविधान को बचाने के लिए प्रतिबद्ध सरकार
संविधान में बदलाव की वकालत करने वाले बयानों के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए सिद्धारमैया ने इसके मूल मूल्यों का विरोध करने वालों की आलोचना की. पेजावर स्वामीजी द्वारा हाल ही में संविधान में संशोधन का सुझाव देने वाली टिप्पणियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "जो लोग सामाजिक न्याय का विरोध करते हैं, वही संविधान में बदलाव की बात कर रहे हैं. हमारी सरकार इसे बचाने के लिए प्रतिबद्ध है."

उन्होंने बताया कि संविधान में 106 संशोधन किए गए हैं, लेकिन यह लोकतंत्र और समावेशिता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है. भारत का संविधान दुनिया के सबसे लंबे समय तक चलने वाले संविधानों में से एक है और यह हम सभी के लिए गर्व की बात है."

एकता और संवैधानिक मूल्यों के पालन का आह्वान
सिद्धारमैया ने केंद्र, राज्य और स्थानीय शासन में संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने का आह्वान किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की भूमिका नीति निर्माण से आगे बढ़कर संविधान में उल्लिखित न्याय, समानता और भाईचारे के आदर्शों की एक्टिव रूप से रक्षा करना भी है.

मुख्यमंत्री ने संविधान की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराया कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसका सार संरक्षित किया जाए. इस साल का संविधान दिवस समारोह उन मूल्यों की याद दिलाता है, जो भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने की नींव रखते हैं.

यह भी पढ़ें- 'जो दलितों की बात करेगा...' संविधान दिवस कार्यक्रम में माइक बंद होने पर बोले राहुल गांधी

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भारतीय संविधान में निहित अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने संवैधानिक मूल्यों के बारे में जागरूकता फैलाने के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि सरकार का लक्ष्य पूरे कर्नाटक में छात्रों के बीच इन सिद्धांतों को स्थापित करना है.

संविधान दिवस के अवसर पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने में नागरिकों की भूमिका पर प्रकाश डाला. सिद्धारमैया ने कहा, "हम अपने संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. यह दिन हमें दिए गए अधिकारों का इस्तेामाल करने के साथ-साथ उनके साथ आने वाली जिम्मेदारियों को पूरा करने की याद दिलाता है."

स्कूलों और कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि कर्नाटक सरकार स्कूलों और कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना अनिवार्य करने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा, "ऐसा करके हम चाहते हैं कि छात्र हमारे संविधान की आकांक्षाओं को समझें और आत्मसात करें." इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि युवा नागरिक सामाजिक न्याय, समानता और लोकतंत्र की मजबूत भावना के साथ बड़े हों.

संविधान को बचाने के लिए प्रतिबद्ध सरकार
संविधान में बदलाव की वकालत करने वाले बयानों के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए सिद्धारमैया ने इसके मूल मूल्यों का विरोध करने वालों की आलोचना की. पेजावर स्वामीजी द्वारा हाल ही में संविधान में संशोधन का सुझाव देने वाली टिप्पणियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "जो लोग सामाजिक न्याय का विरोध करते हैं, वही संविधान में बदलाव की बात कर रहे हैं. हमारी सरकार इसे बचाने के लिए प्रतिबद्ध है."

उन्होंने बताया कि संविधान में 106 संशोधन किए गए हैं, लेकिन यह लोकतंत्र और समावेशिता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है. भारत का संविधान दुनिया के सबसे लंबे समय तक चलने वाले संविधानों में से एक है और यह हम सभी के लिए गर्व की बात है."

एकता और संवैधानिक मूल्यों के पालन का आह्वान
सिद्धारमैया ने केंद्र, राज्य और स्थानीय शासन में संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने का आह्वान किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की भूमिका नीति निर्माण से आगे बढ़कर संविधान में उल्लिखित न्याय, समानता और भाईचारे के आदर्शों की एक्टिव रूप से रक्षा करना भी है.

मुख्यमंत्री ने संविधान की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराया कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसका सार संरक्षित किया जाए. इस साल का संविधान दिवस समारोह उन मूल्यों की याद दिलाता है, जो भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने की नींव रखते हैं.

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