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दो साल के जश्न से पहले किसे मिलेगी सुक्खू कैबिनेट में एंट्री ? झंडी वाली एक कार और कई बीमार

सरकार के दो साल पूरे होने से पहले सीएम सुक्खू आज दिल्ली जा रहे हैं. ऐसे में कैबिनेट विस्तार की चर्चा जोर पकड़ रही है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 38 minutes ago

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का 11 दिसंबर को दो साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. इस उपलक्ष्य में सुक्खू सरकार बिलासपुर में समारोह आयोजित करने जा रही है. वहीं, सुक्खू सरकार में एक और मंत्री पद भी भरा जाना है. इसी बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज दिल्ली जा रहे हैं. ऐसे में झंडी वाली कार को लेकर भी हलचल तेज होने लगी, तलबगारों के मन में लड्डू फूटने के साथ ही दो साल पूरा होने के अवसर पर मंत्री पद भरे जाने को लेकर लोगों के बीच भी अटकलें तेज हो गई है.

मंत्री पद एक, रेस में कई नाम

अब मुख्यमंत्री से करीबी का फायदा किसको होता है, ये तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन हिमाचल में वैसे इस समय मंत्री पद के तलबगारों की संख्या कम नहीं है. कुल मिलाकर हालात एक अनार और सौ बीमार वाले हैं. वहीं प्रदेश में छह सीपीएस की नियुक्ति रद्द होने के बाद तलबगारों की लिस्ट और लंबी हो गई. ये सभी सीपीएस सीएम सुक्खू के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने भी एक अनार सौ बीमार की चुनौती से पार पाना भी आसान नहीं होगा. लेकिन ये भी सही है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की च्वॉइस पर ही हाईकमान की मुहर लगेगी. यही कारण है कि मंत्री पद के चाहवान अपने आप को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की गुड बुक में दिखाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: महाराज जगत सिंह सोसायटी को ट्रांसफर होगा राधा स्वामी सत्संग ब्यास का भोटा अस्पताल, सीएम बोले-विंटर सेशन में लाएंगे बिल

मंत्री बनने की रेस में ये नाम

हिमाचल में ज्वालामुखी से कांग्रेस विधायक संजय रतन रेस में दिख रहे हैं. वे पहले भी दावेदार थे, लेकिन अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कि एससी वर्ग से कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देने की छह से उनकी जगह कांगड़ा जिला से यादविंद्र गोमा को मंत्रिमंडल में मौका दिया गया. ऐसे में संजय रतन की पहुंच से मंत्री की कुर्सी दूर हो गई थी. अब सरकार के दो साल पूरा होने के अवसर पर फिर से मंत्री पद को भरे जाने की अटकलें तेज हैं. ऐसे में कांगड़ा जिला से संजय रतन फिर से कतार में हैं. इसके अतिरिक्त सुक्खू सरकार में छह पूर्व सीपीएस भी किसी न किसी रूप में सीएम के करीबी हैं. ऐसे में विधायक सुंदर ठाकुर के नाम की भी चर्चा में चल रहा हैं.

इसी तरह से मंत्रीपद की रेस में पूर्व सीपीएस संजय अवस्थी का नाम भी लिया जा रहा है. संजय अवस्थी की गिनती भी सीएम के करीबियों में होती है. वहीं, मंत्री पद के लिए विधायकों की बार करें तो मंडी जिला से कांग्रेस के एकमात्र एमएलए चंद्रशेखर ठाकुर भी रेस में दिख रहे है. प्रदेश में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला से चंद्रशेखर एकमात्र कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे, बाकी 9 सीटों पर कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था, इस लिहाज से चंद्रशेखर की दावेदारी भी मंत्री पद के लिए मजबूत दिख रही है. यदि संसदीय क्षेत्र के हिसाब से देखें तो चंद्रशेखर का निर्वाचन क्षेत्र हमीरपुर में आता है. वहीं, इस समय कांग्रेस में दो महिला विधायक हैं. दोनों पहली बार चुनाव जीती हैं. इसमें सीएम सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर के अलावा दूसरा नाम अनुराधा राणा का है. यदि महिला कोटे को प्रेफरेंस मिली तो इन दो में से फैसला करना होगा, लेकिन फर्स्ट टाइम एमएलए को मंत्री पद देने से भी परहेज ही किया जा सकता है.

फिलहाल सुक्खू कैबिनेट में कौन-कौन है

हिमाचल में इस समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री सहित मंत्रिमंडल में कुल 11 सदस्य हैं. उनमें कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार, स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी व आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा शामिल हैं. प्रदेश में अब केवल मंत्री का एक पद खाली है. ऐसे में कतार में शामिल कई नामों में से किसी एक पर मुहर लगाना भी आसान नहीं होगा.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने कहा, "हिमाचल में प्रदेश सहित जिला और ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस की कार्यकारिणी को भंग किया गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में कांग्रेस संगठन नए रूप में सामने आएगा. ऐसे में कैबिनेट में खाली एक पद को भरने पर भी फैसला लिया जा सकता है. मंत्री पद में किसको लेना है और कब तक पद को भरा जाना है, ये निर्णय पूरी तरह सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निर्भर करता है".

ये भी पढ़ें: क्या राधास्वामी डेरा ब्यास के भोटा अस्पताल को बंद होने से बचा पाएगी सुक्खू सरकार, क्या है लैंड सीलिंग एक्ट और हॉस्पिटल ट्रांसफर का मामला

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का 11 दिसंबर को दो साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. इस उपलक्ष्य में सुक्खू सरकार बिलासपुर में समारोह आयोजित करने जा रही है. वहीं, सुक्खू सरकार में एक और मंत्री पद भी भरा जाना है. इसी बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज दिल्ली जा रहे हैं. ऐसे में झंडी वाली कार को लेकर भी हलचल तेज होने लगी, तलबगारों के मन में लड्डू फूटने के साथ ही दो साल पूरा होने के अवसर पर मंत्री पद भरे जाने को लेकर लोगों के बीच भी अटकलें तेज हो गई है.

मंत्री पद एक, रेस में कई नाम

अब मुख्यमंत्री से करीबी का फायदा किसको होता है, ये तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन हिमाचल में वैसे इस समय मंत्री पद के तलबगारों की संख्या कम नहीं है. कुल मिलाकर हालात एक अनार और सौ बीमार वाले हैं. वहीं प्रदेश में छह सीपीएस की नियुक्ति रद्द होने के बाद तलबगारों की लिस्ट और लंबी हो गई. ये सभी सीपीएस सीएम सुक्खू के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने भी एक अनार सौ बीमार की चुनौती से पार पाना भी आसान नहीं होगा. लेकिन ये भी सही है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की च्वॉइस पर ही हाईकमान की मुहर लगेगी. यही कारण है कि मंत्री पद के चाहवान अपने आप को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की गुड बुक में दिखाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

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मंत्री बनने की रेस में ये नाम

हिमाचल में ज्वालामुखी से कांग्रेस विधायक संजय रतन रेस में दिख रहे हैं. वे पहले भी दावेदार थे, लेकिन अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कि एससी वर्ग से कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देने की छह से उनकी जगह कांगड़ा जिला से यादविंद्र गोमा को मंत्रिमंडल में मौका दिया गया. ऐसे में संजय रतन की पहुंच से मंत्री की कुर्सी दूर हो गई थी. अब सरकार के दो साल पूरा होने के अवसर पर फिर से मंत्री पद को भरे जाने की अटकलें तेज हैं. ऐसे में कांगड़ा जिला से संजय रतन फिर से कतार में हैं. इसके अतिरिक्त सुक्खू सरकार में छह पूर्व सीपीएस भी किसी न किसी रूप में सीएम के करीबी हैं. ऐसे में विधायक सुंदर ठाकुर के नाम की भी चर्चा में चल रहा हैं.

इसी तरह से मंत्रीपद की रेस में पूर्व सीपीएस संजय अवस्थी का नाम भी लिया जा रहा है. संजय अवस्थी की गिनती भी सीएम के करीबियों में होती है. वहीं, मंत्री पद के लिए विधायकों की बार करें तो मंडी जिला से कांग्रेस के एकमात्र एमएलए चंद्रशेखर ठाकुर भी रेस में दिख रहे है. प्रदेश में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला से चंद्रशेखर एकमात्र कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे, बाकी 9 सीटों पर कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था, इस लिहाज से चंद्रशेखर की दावेदारी भी मंत्री पद के लिए मजबूत दिख रही है. यदि संसदीय क्षेत्र के हिसाब से देखें तो चंद्रशेखर का निर्वाचन क्षेत्र हमीरपुर में आता है. वहीं, इस समय कांग्रेस में दो महिला विधायक हैं. दोनों पहली बार चुनाव जीती हैं. इसमें सीएम सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर के अलावा दूसरा नाम अनुराधा राणा का है. यदि महिला कोटे को प्रेफरेंस मिली तो इन दो में से फैसला करना होगा, लेकिन फर्स्ट टाइम एमएलए को मंत्री पद देने से भी परहेज ही किया जा सकता है.

फिलहाल सुक्खू कैबिनेट में कौन-कौन है

हिमाचल में इस समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री सहित मंत्रिमंडल में कुल 11 सदस्य हैं. उनमें कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार, स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी व आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा शामिल हैं. प्रदेश में अब केवल मंत्री का एक पद खाली है. ऐसे में कतार में शामिल कई नामों में से किसी एक पर मुहर लगाना भी आसान नहीं होगा.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने कहा, "हिमाचल में प्रदेश सहित जिला और ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस की कार्यकारिणी को भंग किया गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में कांग्रेस संगठन नए रूप में सामने आएगा. ऐसे में कैबिनेट में खाली एक पद को भरने पर भी फैसला लिया जा सकता है. मंत्री पद में किसको लेना है और कब तक पद को भरा जाना है, ये निर्णय पूरी तरह सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निर्भर करता है".

ये भी पढ़ें: क्या राधास्वामी डेरा ब्यास के भोटा अस्पताल को बंद होने से बचा पाएगी सुक्खू सरकार, क्या है लैंड सीलिंग एक्ट और हॉस्पिटल ट्रांसफर का मामला

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