रांची: झारखंड राज्य के गिरिडीह लोकसभा सीट का गठन संयुक्त बिहार में 1957 में हुआ था. यहां देश में हुए दूसरी लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे.
1957 में हुआ पहला लोकसभा चुनाव
1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी काजी एसए मतीन विजय हुए थे. छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी को कुल 51.3 फीसदी वोट मिले थे, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नागेश्वर प्रसाद सिंह को 30.9 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 11.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.
1962 नें ठाकुर बटेश्वर सिंह ने दर्ज की जीत
1962 में हुए लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से स्वतंत्र पार्टी के ठाकुर बटेश्वर सिंह विजयी हुए थे. इन्हें कुल 39.8 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को 36.4 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए थे.
1967 का लोकसभा चुनाव
1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदला और अब्दुल इम्तियाज अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया. 1967 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 33 फीसदी मत प्राप्त हुए. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी एम. एस. ओबराय को 31.02 और भारतीय जन संघ को 17.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए.
1971 में कांग्रेस ने दर्ज की जीत
1971 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चपलेंदु भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बनाया और इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 37.8 फीसदी वोट प्राप्त हुए. जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस (ओ) के कृष्ण बल्लभ सहाय को 34.8 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए. वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 17.8 फीसदी मत प्राप्त हुए.
1977 में कांग्रेस को मिली हार
1977 के लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी. भारतीय लोक दल के रामदास सिंह को 56.4 फीसदी बोर्ड प्राप्त हुए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 29.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.
1980 में कांग्रेस के बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे जीते
1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता बिहार के 21 में मुख्यमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झारखंड बिहार संयुक्त के प्रदेश प्रभारी रहे बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे की जीत हुई थी. इन्हें 34.4 फीसदी वोट मिले थे. जबकि जनता पार्टी के रामदास सिंह को 35.9 फीसदी और निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े विनोद बिहारी महतो को 18.4 फीसदी मत प्राप्त हुए थे.
1984 में इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस की जीत
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पूरे देश में सहानुभूति की लहर थी, जिसमें एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की, लेकिन इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी उम्मीदवार को बदल दिया. बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे की जगह यहां से सरफराज अहमद को पार्टी ने टिकट दिया. सरफराज को यहां कुल 51.8 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. जबकि निर्दलीय उम्मीदवार विनोद बिहारी महतो को 18.8 और भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 17.4 फीसदी मत प्राप्त हुए.
1989 में बीजेपी ने पहली बार दर्ज की जीत
1989 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 35.2 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. वहीं निर्दलीय के तौर पर विनोद बिहारी महतो ने 31.5 फीसदी वोट प्राप्त किए. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरफराज अहमद को 26.9 फीसदी मत प्राप्त हुए.
1991 के चुनाव में झामुमो की जीत
1991 के लोकसभा चुनाव में विनोद बिहारी महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा से चुनाव लड़े. इससे पहले विनोद बिहारी महतो लगातार इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे और दूसरे स्थान पर रहते थे. इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 1991 में विनोद बिहारी महतो को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्हें कुल 47.2 फीसदी वोट मिले. जबकि उनके प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के रामदास सिंह को 31.02 फीसदी मत प्राप्त हुए. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सरफराज अहमद को 15.9 फीसदी वोट प्राप्त हुए.
1996 में बीजेपी ने फिर दर्ज की जीत