देहरादून:500 साल, लंबे संघर्ष के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर स्थापित हो गया है. आज अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया. राम मंदिर में रामलला के विराजमान होने के बाद देशभर में भक्तिमय माहौल है. हर कोई राम रंग में डूबा है. इस खास मौके पर ईटीवी भारत आपको भगवान राम की लीलाओं से जुड़े खास मुखौटा नृत्य के बारे में बताने जा रहे हैं. ये मुखौटा नृत्य उत्तराखंड के चमोली जिले में किया जाता है. उत्तराखंड का ये मुखौटा नृत्य इतना ऐतिहासिक है कि इसे यूनेस्कों ने भी विश्व धरोहर में शामिल किया है.
राम की लीलाओं से जुड़े मुखौटा नृत्य को रम्माण कहा जाता है. इसके लिए चमोली जिले में रम्माण मेले का आयोजन किया जाता है. उत्तराखंड का सीमांत चमोली रम्माण पंरपरा का केंद्र है. चमोली के जोशीमठ ब्लॉक को देवताओं की भूमि माना जाता है. ये शहर यहां की जीवन शैली, संस्कृति और मठ मन्दिरों के लिए जाना जाता है. ये वही तप भूमि है जहां 8वीं शदी के आखिरी कुछ सालों में आदि गुरू शंकराचार्य का आगमन हुआ. शंकराचार्य ने इस क्षेत्र में तीन मठ- ज्योतिर्मठ, अणिमठ और थौलिंगमठ की स्थापना की. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इनमें से एक मठ थौलिंगमठ मौजूदा वक्त में तिब्बत में हैं.
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इसी क्षेत्र में शंकराचार्य ने सनातनियों के चारो धामों में से एक विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम की स्थापना की. बदरीनाथ धाम से 44 किलोमीटर पहले आदि गुरू शंकराचार्य ने ज्योतिर्मठ में अथर्ववेद की प्रतिष्ठा सम्पन्न कर 4 वर्षों तक बद्रीकाश्रम क्षेत्र में निवास किया. यहां उन्होंने ब्रह्मसूत्र भाष्य, गीता भाष्य एवं विष्णु सहस्रनाम भाष्य ग्रन्थों की रचना की.