शिमला:आर्थिक संकट में फंसे छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में इस बार के बजट का आकार 58444 करोड़ रुपए का है. ये पिछले बजट से 5031 करोड़ अधिक है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने कार्यकाल के दूसरे बजट में व्यवस्था परिवर्तन से आत्मनिर्भर हिमाचल बनाने का दावा किया है. मनरेगा श्रमिकों से लेकर शहरी निकाय, पंचायत प्रतिनिधियों, जिला परिषद प्रतिनिधियों सहित आशा वर्कर, वॉटर कैरियर तक सभी वर्गों की झोली में मानदेय बढ़ोतरी के तौर पर कुछ न कुछ राहत दी गई है. यह बजट मुख्य रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबोधित करने वाला है. पशुपालकों के लिए दूध में न्यूनतम समर्थन मूल्य का तोहफा है तो प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस उपाय दिखाई देते हैं. कुल 2.32 घंटे के बजट भाषण में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बेशक कई बार पानी पीकर सूखे गले को तर किया, लेकिन वित्तीय स्थिति को संभालने और सुधारने सहित रोजगार सृजन के मोर्चे पर ये बजट कुछ खास नहीं कहता है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सीमित संसाधनों में सभी वर्गों को लुभाने की कोशिश की है. उदाहरण के लिए पंचायती राज संस्थाओं में जिला परिषद के अध्यक्ष से लेकर ग्राम पंचायत सदस्य तक के मानदेय में बढ़ोतरी की गई. इसके अलावा आशा वर्कर, आंगनवाड़ी सहायिकाओं, सिलाई अध्यापिकाओं, आउटसोर्स कर्मियों, एसएमसी अध्यापकों आदि के मानदेय में बढ़ोतरी की गई. दिहाड़ी भी अब चार सौ रुपए की गई है. सरकार का फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का दिखाई दिया. पशुपालकों को सरकार ने दूध खरीद में एमएसपी का ऐलान किया है. गाय के दूध को अब 45 रुपए में प्रति लीटर की दर से खरीदा जाएगा. भैंस का दूध 55 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदा जाएगा. हालांकि चुनाव पूर्व वादा गाय व भैंस के दूध को क्रमश: 80 व 100 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदने की बात कही गई थी.