सिरमौर: देवभूमि हिमाचल प्रदेश में नारी देह के आकार में मौजूद भगवान श्री परशुराम की माता श्री रेणुका जी झील के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो चुके हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां रेणुका जी के सिर के ताज यानी झील का ऊपरी हिस्सा पिछले काफी समय से दल-दल, गाद इत्यादि के कारण धीरे विलुप्त होता नजर आ रहा है. इस बीच हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील के अस्तित्व को बचाने की मांग की जा रही है. बता दें कि इस सिलसिले में हाल ही में मां रेणुका जी सेवा समिति के बैनर तले स्थानीय लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल भी जिला प्रशासन से इस बाबत गुहार लगा चुका है.
आस्था का केंद्र है श्री रेणुका जी झील
दरअसल इन समिति से क्षेत्र के विभिन्न महिला मंडलों की महिलाएं भी जुड़ी हुई हैं, जो पिछले कई महीनों से रेणुका जी झील के रखरखाव व साफ सफाई का निशुल्क कार्य कर रही हैं, लेकिन अब संबंधित विभाग ने इन्हें भी यह काम करने से रोक दिया है. इन स्थानीय लोगों का भी कहना है कि या तो विभाग निशुल्क उन्हें झील का रखरखाव करने दे या फिर खुद करें, क्योंकि ये एक झील मात्र नहीं, बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ स्थल है.
श्री रेणुका जी झील को लेकर धार्मिक मान्यता
मां रेणुका जी सेवा समिति के अध्यक्ष कुलदीप ठाकुर सहित क्षेत्र की महिलाओं का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रेणुका जी प्राकृतिक झील का संबंध भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान श्री परशुराम से है और उनकी माता रेणुका जी इस झील में समाहित है. लिहाजा ये झील धार्मिक आस्था का केंद्र है. जो झील रूपी मां की प्राचीन कला की आकृति है, वह दिन प्रतिदिन लुप्त होती जा रही है. उन्होंने कहा कि झील का ऊपरी हिस्सा जिसे माता का सिर कहा जाता है, वनस्पतियों ने पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है और वहां का पानी बिल्कुल सूख चुका है. झील के अंदर बहुत सारे पेड़ गिरे पड़े हैं, जो सड़ चुके हैं, जिन्हें निकाला नहीं जा रहा है.