करसोग:हिमाचल प्रदेश में लंबे ड्राई स्पेल के बाद हुई बारिश और बर्फबारी बागवानों के लिए अमृत के समान है. सूखे की वजह से बागवान फलदार पौधों का रोपण नहीं कर पा रहे थे, लेकिन अब बारिश-बर्फबारी होने के बाद जमीन में पर्याप्त नमी है. इसलिए बागवान अब मार्च के दूसरे सप्ताह तक सेब सहित अन्य फलदार पौधों को रोपण कर सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक बागवान आसानी से 15 मार्च तक पौधों का रोपण कर सकते हैं. बागवानी विभाग के पास सेब की विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधे उपलब्ध हैं. बारिश और बर्फबारी के बाद अब पौधे का रोपण करने का ये उचित समय है.
चिलिंग आवर्स पूरे होने की संभावना: हिमाचल प्रदेश में लंबे सूखे के बाद फरवरी में हो रही बारिश और बर्फबारी से तापमान में भारी गिरावट आई है. ऐसे में सेब सहित अन्य प्रजातियों के फलदार पौधों के लिए चिलिंग आवर्स पूरे होने की संभावना बढ़ गई है. विशेषज्ञों के मुताबिक लगातार 15 दिनों तक औसतन तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से कम रहने पर ही सेब सहित स्टोन फ्रूट के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स का पीरियड आरंभ होता है.
फलों के लिए चिलिंग आवर्स: इसमें सबसे अधिक रेड डिलीशियस के लिए 1200 घंटे की चिलिंग आवर्स की जरूरत होती है. इसी तरह से रॉयल के लिए 1000 से 1100 घंटे की चिलिंग आवर्स पूरा होना आवश्यक है. स्पर वैरायटी के लिए 800 से 900 घंटे व गाला प्रजाति सेब के लिए 700 से 800 घंटे तक के चिलिंग आवर्स पूरा होना जरूरी है. इसी तरह से स्टोन फ्रूट में प्लम के लिए 300 से 400 घंटे, खुबानी 300 से 400 सहित नाशपाती के लिए 700 से 800 घंटे व अंगूर के लिए 300 से 400 घंटे चिलिंग आवर्स पूरा होना जरूरी है. मौसम में आए बदलाव से अब आने वाले समय में चिलिंग आवर्स पूरे हो सकते हैं. जिससे सेब सहित स्टोन फ्रूट का उत्पादन अच्छा रहने की उम्मीद है.